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बिहार में नहीं लागू होगा NRC, NPR भी पुराने तरीके से होगा: नीतीश

NRC और NPR पर अपने रुख को लेकरबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार सुर्खियों में रहे हैं

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NRC और NPR पर अपने रुख को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार सुर्खियों में रहे हैं. अब 23 फरवरी को नीतीश ने साफ-साफ कहा है कि राज्य में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस लागू नहीं होने जा रहा है और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर भी उसी तरह अपडेट होगा जैसा साल 2010 में हुआ था.

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इससे पहले पिछले महीने भी नीतीश कुमार ने कहा था कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का सवाल ही पैदा नहीं होता है. उन्होंने कहा कि यह तो केवल असम को लेकर चर्चा में था, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसे स्पष्ट कर चुके हैं. हालांकि, तब उन्होंने जातिगत जनगणना कराए जाने का समर्थन करते हुए कहा था, "हम भी चाहेंगे कि जातिगत जनगणना हो. जातिगत जनगणना 1930 में हुई थी, उसके बाद नहीं हुई है. इस जनगणना से स्पष्ट हो जाएगा कि कितने लोग किस जाति के रहते हैं."

कई सदस्यों द्वारा सीएए और एनपीआर के मुद्दे पर बहस की मांग पर नीतीश ने कहा था कि "अगर सभी लोग चाहते हैं तो बिहार विधानसभा में हम विशेष रूप से चर्चा करेंगे. हम किसी भी विषय पर चर्चा को तैयार हैं." उन्होंने कहा, "जहां तक एनआरसी का सवाल है तो इसे लागू करने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. यह असम को लेकर चर्चा में था. इसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी अपनी बात स्पष्ट कर चुके हैं."

बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का नीतीश की पार्टी जेडीयू ने लोकसभा और राज्यसभा में समर्थन किया था. इस पर हालांकि पार्टी में कलह शुरू हो गई थी. एनआरसी और एनपीआर का खुलेआम विरोध कर रहे नीतीश की पार्टी जेडीयू के पूर्व उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को पार्टी से निकाल दिया गया था.

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