बिहार (Bihar) में नई शिक्षक नियमावली 2023 के विरोध में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा के नेतृत्व में 13 जुलाई को विधानसभा मार्च निकाला गया था. पटना के गांधी मैदान से शुरू हुआ विधानसभा मार्च डाक बंगला चौराहे पर जिला प्रशासन और पुलिस द्वारा रोका गया, लेकिन उसके बाद भी ना मानने की वजह से प्रशासन द्वारा कार्रवाई की गई. प्रशासन ने इस मार्च के लिए अनुमति नहीं दी थी.
63 नेताओं और कई कार्यकर्ताओं पर FIR
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, नेता प्रतिपक्ष बिहार विधानसभा विजय कुमार सिन्हा, सुशील कुमार मोदी सहित 63 नेताओं और सैकड़ों कार्यकर्ताओं पर पटना के कोतवाली थाना में FIR दर्ज किया गया है.
प्रशासन द्वारा सैकड़ों की संख्या में तैनात पुलिस बल और मजिस्ट्रेट ने मार्च में शामिल नेताओं और कार्यकर्ताओं से अपील की कि वह यहां से लौट जाएं, क्योंकि उन्हें यह अनुमति नहीं दी गई है, लेकिन इसके बाद भी ना तो कार्यकर्ता पीछे हुए और ना ही बीजेपी नेता.
पुलिस ने किया लाठीचार्ज
विधानसभा मार्च को रोकने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज किया, जिसमें बीजेपी नेताओं सहित सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता घायल हुए.
शुक्रवार को मसौढ़ी के सहकारिता प्रसार पदाधिकारी, शशि भूषण कुमार, जो 13 जुलाई को पटना के डाक बंगला चौराहे पर मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात थे, उन्होंने कोतवाली थाने में FIR दर्ज करवाते हुए आवेदन में कहा कि
विधानसभा मार्च के दौरान बीजेपी के नेताओं को बैरिकेडिंग के पास रोकने की काफी कोशिश की गई, लेकिन मार्च में शामिल नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पथराव शुरू कर दिया. इसके बाद पुलिस और प्रशासन के पदाधिकारियों के ऊपर मिर्ची पाउडर फेंका जाने लगा.
बीजेपी को नहीं मिली थी मार्च की अनुमति
भीड़ को नियंत्रित करने और लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बनाए रखने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा. भारतीय जनता पार्टी को किसी भी तरह के मार्च की अनुमति नहीं दी गई थी, इसके बाद भी पार्टी के नेताओं ने बिना अनुमति मार्च निकाला, जिसकी वजह से सड़क जाम हो गई और ट्रैफिक भी अवरुद्ध हो गया.
विधानसभा मार्च के दौरान दर्ज किए गए एफआईआर में धारा 147, 149, 188, 323, 324, 337, 338 और 353 लगाई गई हैं.
वहीं पटना के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने शुक्रवार की शाम पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि...
बीजेपी द्वारा पटना के गांधी मैदान में सभा के लिए अनुमति ली गई थी. सदर एसडीओ को विधानसभा मार्च करने का आवेदन भी दिया गया था लेकिन प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी थी. डाक बंगला चौराहे के बाद कई संवेदनशील इलाके हैं, जिनमें विधानसभा, राजभवन और मुख्यमंत्री आवास अहम माना जाता है. अगर डाकबगला चौराहे पर भीड़ को प्रशासन द्वारा पीछे नहीं धकेला जाता तो बीजेपी कार्यकर्ता कहीं भी जा सकते थे, जिसके बाद स्थिति को नियंत्रित करना काफी मुश्किल हो जाता.
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा यह कहा जाना कि बीजेपी कार्यकर्ता की मौत लाठीचार्ज में हुई है यह बिल्कुल ही गलत है. पटना डीएम डॉक्टर चंद्रशेखर के आदेश पर 2 सदस्यीय जांच टीम का गठन किया गया है, जिसमें पटना एडीएम और सिटी एसपी भी शामिल हैं.
इस टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि बीजेपी के जहानाबाद जिला के महामंत्री विजय सिंह की मौत लाठीचार्ज में नहीं हुई है, उनकी मौत छज्जू बाग स्थित पीएन बनर्जी पथ पर हुई, जहां लाठी चार्ज नहीं हुआ था.
BJP प्रदेश अध्यक्ष सहित एक डेलिगेशन राज्यपाल से मिला
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बिहार विधानसभा के नेतृत्व में एक डेलिगेशन बिहार के महामहिम राज्यपाल से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा, जिसमें कहा गया कि बिहार की स्थिति जंगलराज से भी खराब है. लाठीचार्ज में बीजेपी के कार्यकर्ता विजय सिंह की मौत के मामले की जांच पटना हाईकोर्ट के सीटिंग जज या फिर सीबीआई से करवाने की मांग भी की.
(इनपुट- महीप राज)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)