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नीतीश नहीं तेजस्वी यादव बन सकते हैं CM? जानिए कितने विधायकों की है जरूरत

Bihar Politics: 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के महागठबंधन से नाता तोड़, एक बार फिर NDA में शामिल होने की अटकलों के बीच प्रदेश में राजनीतिक उथल-पुथल मचा हुआ है. सियासी ड्राम अपने चरम पर है. हर दिन नया घटनाक्रम सामने आ रहा है. शुक्रवार, 26 जनवरी को भी पटना में राजनीतिक हलचल देखने को मिली. एक तरफ उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव राजभवन के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, तो दूसरी तरफ इस सवाल पर सीएम नीतीश ने कहा, "उनसे पूछें जो नहीं आए."

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बिहार की ताजा राजनीतिक घटनाक्रम के बीच आपको प्रदेश का सियासी गणित समझाते हैं. सवाल है कि क्या नीतीश कुमार के महागठबंधन छोड़ने के बाद RJD सरकार बनाने की स्थिति में है या फिर उसे विपक्ष में बैठना होगा?

विधानसभा के मौजूदा आंकड़े क्या कहते हैं?

243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 है. वर्तमान में प्रदेश में महागठबंध की सरकार है. महागठबंधन में JDU, RJD, कांग्रेस के साथ लेफ्ट की पार्टियां हैं. संख्याबल के हिसाब से देखें तो RJD 79 विधायकों के साथ प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी है. JDU के 45 और कांग्रेस के 19 विधायक हैं. CPI (ML) 12, CPI(M) और CPI के 2-2 विधायक हैं. 1 निर्दलीय विधायक ने भी सरकार का समर्थन किया है. इस तरह से वर्तमान महागठबंधन सरकार के कुल 160 विधायक हैं.

वहीं बीजेपी 78 विधायकों के साथ प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. जीतन राम मांझी की HAM पार्टी पहले ही महागठबंधन छोड़कर NDA में शामिल हो चुकी है. HAM के 4 विधायक हैं.

RJD के पास कितनी संख्या?

बड़ा सवाल है कि अगर नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होते हैं तो क्या RJD प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है? JDU के अलग होने के बाद महागठबंधन में सीटों का गणित कुछ इस तरह से बनेगा: RJD+कांग्रेस+लेफ्ट की सीटों को मिला दिया जाए तो 79+19+16 यानी 114 का नंबर बनता है. जो कि बहुमत के आंकड़े से 8 कम है.

जानकारों की मानें तो RJD इस बार JDU में सेंधमारी कर सकती है. इसके अलावा लालू HAM, AIMIM और एक निर्दलीय विधायक को भी अपनी पाले में करने की कोशिश कर सकते हैं. हालांकि, जीतनराम मांझी पहले ही NDA में शामिल हो चुके हैं, ऐसे में उनका महागठबंधन में आना मुश्किल दिखता है.

नीतीश के लिए BJP और BJP के लिए नीतीश क्यों जरूरी?

बिहार के वर्तमान सियासी घटनाक्रम को इसी साल होने वाले लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. एक तरफ NDA है तो दूसरी तरफ INDIA गठबंधन है. नीतीश की JDU फिलहाल INDIA गठबंधन के साथ है.

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. 2019 के चुनाव में JDU ने NDA के तहत चुनाव लड़ा था. BJP को 17, JDU को 16 और LJP को 6 सीटें मिली थी. एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी.

क्विंट हिंदी से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं, "बीजेपी और नीतीश दोनों की मजबूरी है साथ आना. पिछली बार बिहार में NDA ने 39 सीटें जीती थी. JDU के साथ मिलकर ये स्कोर था. उन सीटों को रिटेन करना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है. ये तभी संभव होगा जब नीतीश उसके साथ होंगे."

"नीतीश के साथ मजबूरी ये है कि लालू यादव लगातार उनपर तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए दवाब डाल रहे हैं. पार्टी तोड़ने की खबरें भी आई थीं."

हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने दावा करते हुए कहा था कि "एक धड़ा नीतीश कुमार पर दवाब डाल रहा था कि सत्ता का परिवर्तन हो और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का पद सौंपा जाए. लेकिन JDU में एक धड़ा ऐसा भी है जो ऐसा करने से रोकता था."

वहीं JDU के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह पर भी तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए मदद करने का आरोप लगा था. इसके साथ ही उनपर ये भी आरोप लगा था कि उन्होंने इस काम के लिए JDU के दर्जनभर विधायकों से बात भी की थी. 

इन आरोपों के बीच 29 दिसंबर 2023 को ललन सिंह ने JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. नीतीश कुमार ने खुद पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली थी. ललन सिंह ने इस्तीफे के बाद इन आरोपों का खंडन भी किया था.

हालांकि, इसके बाद से ही कहा जा रहा था कि महागठंबन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है और खरमास के बाद बिहार में बड़ा राजनीतिक उलटफेर हो सकता है.

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