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बंगाल में चुनाव से पहले बोस की विरासत को लेकर BJP और TMC में होड़

नेताजी सुभाष चंद्र बोस बंगाल में राजनीतिक दलों के लिए नया मुद्दा बनते दिख रहे हैं.

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पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रवादी आइकन और स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजनीतिक दलों के लिए नया मुद्दा बनते दिख रहे हैं.

बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और उसकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के बीच बोस की विरासत को लेकर होड़ मच गई है. दोनों दल बोस की जयंती पर उनके सच्चे ध्वजवाहक और बंगाली 'अस्मिता' (गौरव) को परिभाषित करने वाले सच्चे देशभक्त के रूप में उभरने के लिए बेताब हैं.

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बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने हर साल 23 जनवरी को बोस की जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है. वहीं बुधवार को, भारतीय रेलवे ने अपने सालगिरह समारोह के आगे हावड़ा-कालका मेल का नाम बदलकर 'नेताजी एक्सप्रेस' कर दिया.

रेल मंत्रालय ने कहा, "भारतीय रेलवे को 12311/12312 हावड़ा-कालका एक्सप्रेस का नाम नेताजी एक्सप्रेस के तौर पर घोषित करने को लेकर खुशी महसूस हो रही है, क्योंकि नेताजी ने भारत की स्वतंत्रता और विकास को एक्सप्रेस मार्ग पर रखा था."

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी ट्वीट किया, “नेताजी के ‘पराक्रम’ ने भारत को स्वतंत्रता और विकास के एक्सप्रेस मार्ग पर लाकर खड़ा किया. मैं ‘नेताजी एक्सप्रेस’ की शुरुआत के साथ उनकी जयंती मनाने के लिए रोमांचित हूं.”

इसे लेकर बोस के परपोते इंद्रनील मित्रा ने कहा है, "यह अब एक आम बात हो गई है. हमें बहुत बुरा लगता है क्योंकि राजनीतिक दल हर साल नेताजी के प्रति लोगों की भावनाओं के साथ खेलते हैं. इस बार यह और भी मजेदार है क्योंकि चुनाव करीब आ रहा है. चुनाव की गर्मी खत्म होते ही नेताजी एक बार फिर गुमनामी में डूब जाएंगे और हकीकत में कुछ नहीं होगा. केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने भारत के स्वतंत्रता नायक के कद को काफी हद तक तुच्छ बनाया है. हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते." उन्होंने कहा कि बोस की मौत का रहस्य अभी भी कायम है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और अभिजीत बनर्जी द्वारा प्रायोजित एक उच्चस्तरीय समिति की घोषणा पहले ही कर दी है, जो बंगाल में सालभर चलने वाले कार्यक्रम की जिम्मेदारी संभालेगी. कवि शंखा घोष और बोस के परिजन सुगाता बोस भी समिति के सदस्य हैं, जो हर जिले में उनकी जयंती मनाएंगे.

सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार इस मौके पर हर जिले में बोस की तस्वीरें और मूर्तियों पर माला चढ़ाने के साथ उनकी जयंती मनाने के लिए तैयार है, उसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम और फिल्म की स्क्रीनिंग होगी. पार्टी को बंगाली संस्कृति से गहराई से जुड़ा दिखाने के लिए, तृणमूल कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार राज्य के आदर्श व्यक्ति को सम्मान देने की कोशिश कर रही है.

राजनीतिक विश्लेषक उदयन बंदोपाध्याय ने कहा, "वे जिस स्कूल की राजनीति कर रहे हैं, मेरा मतलब है कि बीजेपी और टीएमसी दोनों, बोस की राजनीतिक विचारधारा से मेल नहीं खाते हैं. इसमें उनकी विचारधारा का कोई प्रतिबिंब नजर नहीं आ रहा है. वे इस अवसर का इस्तेमाल बिना किसी संदर्भ के सार्वजनिक भावनाओं को अपने पक्ष में करने के लिए कर रहे हैं. यह स्वतंत्रता किंवदंती का अपमान है और हम बंगालियों को उनकी 125वीं जयंती पर नेताजी के लिए किए जाने वाली गतिविधियों पर बहुत शर्म आ रही है."

इस बीच, बीजेपी की राज्य इकाई ने 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोलकाता में एक जनसभा को संबोधित करने का अनुरोध किया है. सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) एक कार्यक्रम तैयार करने की कोशिश कर रहा है.

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