महाराष्ट्र बीजेपी की नेता और राष्ट्रीय महासचिव पंकजा मुंडे (Pankaja Munde) ने उन तमाम अटकलों का जवाब दिया है, जिनमें कहा जा रहा था कि वो पार्टी छोड़ने जा रही हैं. पंकजा मुंडे ने साफ किया कि वो बीजेपी नहीं छोड़ने वाली हैं. उन्होंने कहा कि, उन्हें केंद्र या राज्य में मंत्री बनने की कभी इच्छा नहीं रही. उन्हें पहले भी जब महाराष्ट्र बीजेपी की तरफ से मंत्रीपद ऑफर हुआ था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया.
नाराज समर्थकों से पंकजा मुंडे की मुलाकात
पंकजा मुंडे ने अपने समर्थकों के साथ मुलाकात करने के बाद ये बात कही. क्योंकि कैबिनेट में हुए बदलाव के बाद पिछले कुछ दिनों से उनके समर्थक लगातार इस्तीफा देने का दबाव बना रहे थे. यहां तक कि कुछ कार्यकर्ताओं ने तो पंकजा मुंडे को अपने इस्तीफे तक सौंप दिए. बताया जा रहा था कि पंकजा मुंडे की बहन प्रीतम मुंडे को केंद्र में मंत्रीपद नहीं मिलने के चलते पंकजा मुंडे और उनके समर्थकों में भारी नाराजगी है.
इसके बाद तमाम तरह की अटकलें शुरू हो गईं. जिनमें कहा जा रहा था कि पंकजा मुंडे बीजेपी छोड़कर शिवसेना में शामिल हो सकती हैं. उनके कई समर्थकों ने भी यही संकेत दिए. लेकिन अब इस मामले पर तमाम चर्चा और अटकलों के बाद पंकजा मुंडे ने सामने आकर सफाई दी है. उन्होंने कहा कि,
"मैं राष्ट्रीय स्तर पर काम करती हूं. मेरे नेता नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा हैं. आज मैंने अपने कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत की. क्योंकि इनमें से ज्यादातर सोच रहे थे कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में हमें जगह मिलेगी, इसीलिए हमारे कई लोगों ने मुझे इस्तीफे सौंपे, लेकिन मैंने सभी के इस्तीफे खारिज कर दिए. मैंने उन्हें कहा कि क्या मैंने आपको इस्तीफा देने के लिए कहा? मैं नहीं चाहती कि लोग मेरे लिए कुर्बानी दें."
पंकजा मुंडे ने कहा, मेरे बारे में कहा गया कि, 'प्रधानमंत्री ने कभी मुझ पर अविश्वास नहीं दिखाया, कभी सवाल नहीं किया. मैं चुनाव जरूर हारी हूं पर मैं खत्म नहीं हुई हूं, ऐसा नहीं है कि सब खत्म है. कई लोग मुझसे जुड़े हुए हैं, बस ये है कि सही समय पर सही फैसले लिए जाते हैं. धर्मयुद्ध जब तक टाला जा सकता है तब तक टालूंगी. हमें यह धर्मयुद्ध टालना है. यही कृष्ण ने किया, यही अर्जुन ने किया, यही भीष्म ने किया.'
मंत्री बनने की नहीं थी इच्छा
पंकजा मुंडे ने आगे कहा कि, गोपीनाथ मुंडे हमेशा समाज के उन लोगों को ऊंचे पद देते थे, जो निचले वर्ग से आते थे. वो मुझे और प्रीतम को राजनीति में मंत्री बनाने के लिए नहीं लाए थे. जब उनका निधन हुआ था तो महाराष्ट्र बीजेपी ने मुझे मंत्रीपद ऑफर किया, लेकिन मैंने उसे स्वीकार नहीं किया था. मेरी और प्रीतम की ये इच्छा कभी नहीं रही.
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