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शिवसेना से झगड़े के बाद BJP ने अपनी सहयोगी JJP को क्या दिया?

क्या शिवसेना की शर्तें इतनी कड़ी थीं कि बीजेपी को महाराष्ट्र में उसके साथ सरकार बनाना नामुमकिन लगा

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महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना की सरकार नहीं बन पाई. शिवसेना राज्य में पहली बार अपना सीएम देखने का ख्वाब पाले हुई थी और बीजेपी को यह मंजूर नहीं था. सीएम पद दोनों की सत्ता साझेदारी की राह का रोड़ा बन गया. सबसे ज्यादा सीट जीतकर भी बीजेपी ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने का ऑप्शन छोड़ दिया. वहीं हरियाणा में उसने जननायक जनता पार्टी के साथ सरकार बनाना मंजूर कर लिया.

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बीजेपी को शिवसेना की किन शर्तों से था ऐतराज ?

बीजेपी चीफ अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा कि सीएम पद की मांग के साथ ही शिवसेना की कुछ ऐसी शर्तें थीं, जिन्हें माना नहीं जा सकता था. क्या शिवसेना की शर्तें इतनी कड़ी थीं कि बीजेपी को इन्हें मानना बिल्कुल असंभव था. तो क्या यह मानना पड़ेगा कि शिवसेना के मुकाबले हरियाणा में जननायक जनता पार्टी की शर्तें आसान थीं? क्या हरियाणा में सिर्फ दस एमएलए वाले जेजेपी को सत्ता में बड़ी हिस्सेदारी देना बीजेपी के लिए आसान था?

हरियाणा में सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने जेजेपी को उसकी हैसियत से काफी ज्यादा दिया है. समर्थन के एवज में जेजेपी चीफ दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम पद देने का ऐलान पहले ही कर दिया था. बाद में दस विधायकों वाली पार्टी को 11 मंत्रालय दे दिए गए.

हरियाणा में 10 विधायक वाले जेजेपी को 11 मंत्रालय

जेजेपी के नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को सरकार में 11 अहम विभाग दिए गए हैं. दुष्यंत चौटाला को आबकारी एवं कराधान, उद्योग, श्रम एवं रोजगार, नागरिक उड्डयन, लोक निर्माण विभाग, विकास एवं पंचायत, पुरातत्व  संग्रहालय, पुनर्वास और कंसोलिडेशन विभाग दिए गए हैं.

क्या शिवसेना की शर्तें इतनी कड़ी थीं कि बीजेपी को महाराष्ट्र में उसके साथ सरकार बनाना नामुमकिन लगा

दुष्यंत चौटाला की ओर से बीजेपी के सामने शर्त रखी गई थी कि जेजेपी को डिप्टी सीएम का पद चाहिए और तीन मंत्री पद . बीजेपी को इसमें को कोई दिक्कत नहीं दिखी और दोनों ही शर्तें मान ली गयीं. सब कुछ तय होते ही अमित शाह सबके साथ सामने आए और बीजेपी-जेजेपी की गठबंधन सरकार बनाए जाने का फैसला कर गए. लेकिन महाराष्ट्र में अमित शाह शिवसेना की शर्तें मानने को तैयार नहीं हैं. लगता है कि उन्हें शिवसेना पर भरोसा नहीं था. वरना थोड़ी भी गुंजाइश होती तो वह इतने अहम राज्य की बाजी हाथ से नहीं जाने देते.

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