महाराष्ट्र में पालघर लोकसभा उपचुनाव में लड़ाई रोचक होती जा रही है. शिवसेना के प्रत्याशी श्रीनिवास वनगा को कड़ी टक्कर देने के लिए बीजेपी ने पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र गावित को टिकट देने का फैसला लिया है.
मंगलवार को गावित कांग्रेस का दमन छोड़कर बीजेपी में आ गए. बुधवार को गावित लोकसभा उपचुनाव के लिए बीजेपी के टिकट से पर्चा दाखिल करेंगे.
उधर शिवसेना के टिकट पर बीजेपी के दिवंगत नेता चिंतामणि वनगा के बेटे श्रीनिवास वनगा ने पर्चा दाखिल किया है. ऐसे में पालघर लोकसभा सीट पर उपचुनाव बेहद रोचक हो गया है.
कौन हैं गावित?
गावित नादुरबार जिले से आदिवासी नेता हैं. कांग्रेस में उनकी अच्छी पकड़ थी. पालघर से विधानसभा चुनाव जीत चुके गावित कांग्रेस सरकार में राज्यमंत्री रहे हैं. गावित वर्ष 2014 के लोकसभा और 2016 के विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं. अब वो बीजेपी के टिकट पर एक बार फिर लोकसभा के उपचुनाव में उतर रहे हैं.
शिवसेना की 'चाल' को मुख्यमंत्री ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने कहा, ‘‘बीजेपी की मौजूदा सीट पर बिना कोई जानकारी दिए वनगा परिवार को शिवसेना में लिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. मुझे उम्मीद है कि शिवसेना अब भी सोच-विचारकर बीजेपी के उम्मीदवार को समर्थन देगी.''
मुख्यमंत्री फडनवीस ने कहा कि शिवसेना को हर उपचुनाव में मदद की गई, चिंतामण वनगा के निधन के बाद सीट बिना विरोध चुनी जाए, इस विषय पर उन्होंने उद्धव ठाकरे से बात की थी, लेकिन शिवसेना की अचानक चली गई चाल से वे दुखी हैं.
पालघर उपचुनाव में चार पार्टियों के बीच होगा मुकाबला
कांग्रेस ने दामोदर शिंगडा को अपना उम्मीदवार बनाया है. साथ ही पालघर लोकसभा में अच्छी-खासी पैठ रखने वाली बहुजन विकास अघाड़ी ने भी ऐलान किया है कि वे इस चुनाव में उम्मीदवार उतरेगी.
पालघर की 6 विधानसभा सीट में से 3 विधायक बहुजन विकास अघाड़ी के हैं. अब शिवसेना ने भी उम्मीदवार उतारकर पालघर की लड़ाई बेहद रोचक बना दिया है.
भंडारा गोंदिया के लिए नाम का ऐलान बुधवार को
भंडारा गोंदिया सीट में बीजेपी बनाम एनसीपी का मुकाबला देखने को मिलेगा. बीजेपी यहां से हेमंत पटले को अपना उम्मीदवार घोषित करेगी, इस बात की सम्भावना है. हेमंत पटले कुनबी समाज से आते हैं, जिसका इस सीट में अच्छा खासा प्रभाव है.
एनसीपी ने बीजेपी पूर्व एमएलए मधुकर कुकड़े को अपना उम्मीदवार बनाया है. भंडारा गोंदिया सीट बीजेपी के नाना पटोले के पार्टी छोड़ने के बाद खाली हुई थी.
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