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अमित शाह के रोड शो में हिंसा के बाद बदला बंगाल का खेल

विद्यासागर की मूर्ति टूटना देश में बहुत कुछ टूट जाने के संकेत दे रहा है.

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कोलकाता में ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति किसने तोड़ी? TMC कह रही है कि बीजेपी के 'गुंडों' ने. बीजेपी कह रही है खुद TMC ने मूर्ति तुड़वाई? कौन सच्चा है, कौन झूठा, ये हमें अभी नहीं मालूम, लेकिन दिल्ली से कोलकाता तक बंगाल पर बवाल मचा है. जहां तक सियासी नफे-नुकसान का मामला है, पहले राउंड में ममता बनर्जी लीड लेती और बीजेपी डिफेंसिव दिख रही है. ममता इस जंग को ‘बाहरी’ बनाम ‘बंगाली’ की शक्ल दे रही हैं, बंगाली प्राइड पर हमला बता रही हैं, लेकिन सच ये है कि विद्यासागर की मूर्ति टूटना देश में बहुत कुछ टूट जाने का संकेत दे रहा है.

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कोलकाता में क्या हुआ?

मंगलवार को कोलकाता में रोड शो शुरू हुआ तो सबकुछ सही चल रहा था, लेकिन मामला तब बिगड़ा जब रोड शो कॉलेज स्ट्रीट पहुंचा. यहां बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं में झड़प होने लगी. पहली झड़प यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर और आसपास हुई. उसके बाद विद्यासागर कॉलेज के अंदर और बाहर झड़प हुई. इसी कॉलेज में बंगाली पुनर्जागरण के प्रतीक ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़ी गई.

मूर्ति टूटने पर ममता की प्रतिक्रिया

ममता शुरू से कहती आई हैं कि बीजेपी के लोग एंटी बंगाली हैं. अब इस घटना ने उन्हें इस दावे को और हवा देने का मौका दे दिया है. मूर्ति टूटने की बात उन्हें जैसे ही पता चली वो हमलावर हो गईं.

गुंडा, गुंडा, गुंडा, नरेंद्र मोदी गुंडा है, अमित शाह गुंडा है. वो बंगाली विरासत को मिटाने के लिए यूपी, बिहार, राजस्थान और झारखंड से गुंडे लेकर आए थे. मैं उन्हें छोड़ूंगी नहीं, मैं कसम खाती हूं, मैं चाहूं तो दिल्ली जाकर कुछ ही मिनटों में आपके दफ्तर और घर पर कब्जा कर सकती हूं . अब तो हद ही पार हो गई, क्या ऐसे लोगों को बंगाल पसंद करेगा?
ममता बनर्जी, टीएमसी चीफ

घटना के बाद ममता देर रात विद्यासागर कॉलेज पहुंचीं. मूर्ति के टूटे हुए टुकड़ों को उठाया. फिर बयान दिया.

घटना की निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. मैं खुद शर्मिंदा हूं, माफी मांगती हूं कि बंगाली के तौर पर बीजेपी के गुंडों से हम ईश्वर चंद्र विद्यासागर का सम्मान नहीं बचा पाए. जो लोग देश के प्रतीकों की इज्जत नहीं कर सकते, क्या वो देश का नेतृत्व करेंगे? साहस ठीक है, लेकिन दुस्साहस नहीं.
ममता बनर्जी, टीएमसी चीफ

ममता ने चुनाव आयोग से पूछा है कि वो बीजेपी के खिलाफ एक्शन क्यों नहीं ले रहा?  ममता इसी मसले को लेकर प्रोटेस्ट मार्च भी कर रही हैं.

मूर्ति टूटने पर बीजेपी की प्रतिक्रिया

ये मामला बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकता है, इसका अंदाजा बीजेपी को भी है. लिहाजा मूर्ति टूटने के बाद से ही कह रही है कि टीएमसी ने खुद मूर्ति तुड़वाई है. बीजेपी ने चुनाव आयोग से ममता के प्रचार पर रोक लगाने की भी मांग की है. मंगलवार रात ये हंगामा हुआ और बुधवार सुबह-सुबह अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और  आरोप लगाया कि मूर्ति दरअसल टीएमसी के लोगों ने ही तोड़ी है.

दो कमरों के अंदर प्रतिमा लगी है, कॉलेज बंद हो गया था, शाम साढ़े सात बजे. तो कमरा किसने खोला? चाबी किसके पास थी? कॉलेज पर किसका प्रशासनिक कब्जा है? वोट हासिल करने के लिए टीएमसी ने इतने प्रतिष्ठित व्यक्ति की प्रतिमा तोड़ी.
अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष

अमित शाह ने कहा - “हमारे कार्यकर्ताओं को उकसाने का प्रयास किया गया, लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं ने शांति बनाए रखी. रोड शो में तीन हमले हुए. तीसरे हमले में आगजनी, पथराव और बोतल में केरोसीन डालकर फेंका गया. पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है.’’

आप सिर्फ 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, बीजेपी हर राज्य में चुनाव लड़ रही हैं, हर पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ रही है, कहीं पर भी हिंसा नहीं होती, लेकिन सभी 6 फेज में बंगाल में हिंसा हो रही है. ये इस बात का सबूत है कि हिंसा टीएमसी कर रही है.
अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष
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टीएमसी-बीजेपी में वीडियो वॉर

टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन ने तीन वीडियो जारी कर ये साबित करने की कोशिश की कि शाह के रोड शो में शामिल लोग कॉलेज के अंदर घुसे. एक वीडियो में उन्होंने ये भी दिखाया कि बीजेपी समर्थकों ने कॉलेज के बाहर खड़ी बाइक्स में आग लगाई. जवाब में बीजेपी में ने भी एक वीडियो जारी कर दिखाया कि किस तरह अमित शाह पर पथराव हुआ और रोड शो के आसपास आगजनी हुई.

अभी तक जो हमें पता है

अमित शाह ने कहा कि जब बीजेपी के कार्यकर्ता कॉलेज परिसर में घुस ही नहीं सकते थे, तो उनपर मूर्ति तोड़ने का आरोप लगाना गलत है, लेकिन डेरेक ओ ब्रायन के वीडियो में दिखा कि बीजेपी के कार्यकर्ता और समर्थक कॉलेज परिसर में घुस रहे हैं. फिलहाल ममता बनर्जी ने हिंसा पर जांच बिठाई है. हो सकता है जांच रिपोर्ट से सच्चाई सामने आए. चुनाव आयोग भी अपने स्तर से जांच करेगा ही.

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जय श्रीराम बनाम बंगाल?

पश्चिम बंगाल में इस चुनाव जय श्रीराम के नारे खूब लग रहे हैं. बीजेपी शुरू से  ये मैसेज दे रही थी कि बंगाल में ‘जय श्रीराम’ बोलने से रोका जाता है. जब सोमवार को जाधवपुर में अमित शाह की रैली कैंसिल हो गई, चॉपर उतारने की अनुमति नहीं मिली. फिर अमित शाह ने चैलेंज देने के अंदाज में कहा कि ''मैं 'जय श्रीराम' का नारा लगाकर कोलकाता में रोड शो करने आ रहा हूं, करके दिखाओ मुझे गिरफ्तार. ''  इसी के बाद ये रोड शो प्लान किया गया, लेकिन विद्यासागर की मूर्ति टूटने के बाद मामला बदल गया. अब लड़ाई बंगाली सम्मान बनाम बाकी हो गया. अब लड़ाई ‘बाहरी बनाम बंगाली’ की हो गई है. बंगाल में टीएमसी और लेफ्ट प्रदर्शन कर रहे हैं, तो इधर दिल्ली में बीजेपी के लोग धरने पर बैठे हैं.

ममता बनर्जी से लेकर टीएमसी के तमाम नेताओं ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वो बाहर से लोगों को लाकर बंगाली कल्चर, सम्मान और विरासत पर हमला कर रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी इस मामले पर डबल हमलावर है.

बीजेपी को अंदाजा है कि हिंदुत्व में कुछ जरूरी सुधार करने वाली महान शख्सियत के सम्मान को ठेस पहुंचाने का आरोप हिंदुत्व के ध्वज धारियों पर टिका तो भारी नुकसान उठाना पड़ेगा.

बंगाल जो भी जीते, हिंदुस्तान हार रहा

बंगाली पुनर्जागरण के प्रतीक विद्यासागर, अंग्रेजों को विधवा पुनर्विवाह एक्ट पास करने के लिए बाध्य  करने वाले विद्यासागर, आज इस्तेमाल हो रहे बंगाली अल्फाबेट को बनाने वाले विद्यासागर. 2004 में बीबीसी की एक पोल में जिस विद्यासागर को ऑल टाइम सबसे महान बंगालियों में से एक बताया गया , उन्हीं की मूर्ति 2019 के सियासी दंगल में टूट गई, तो ये बहुत कुछ टूटने का संकेत हैं. ममता उन्हें बंगाल का प्रतीक बता रही हैं, लेकिन हकीकत ये है कि हमने बचपन से जो विद्यागार के बारे में पढ़ा है, वो ये कहता है कि वो पूरे देश के प्रतीक हैं.

आज जिस उदार हिंदुत्व पर एक मॉर्डन हिंदुस्तानी गर्व कर सकता है, उस हिंदुत्व को गढ़ने वालों में से एक हैं विद्यासागर. तो अगर उनकी मूर्ति टूटती है तो उदार हिंदुत्व के टूटने के संकेत हैं.

ये बात भी समझ से परे है कि पूरी दुनिया में दुर्गा पूजा के लिए मशहूर बंगाल का हिंदुत्व बाकी उत्तर भारत के हिंदुत्व से अलग कैसे है? और अगर ये अलग नहीं है तो झगड़ा किस बात का है?

पश्चिम बंगाल में जिस तरह से 2019 चुनाव के हर चरण में हिंसा की तस्वीरें आईं वो भारतीय चुनावों की अलग ही पिक्चर पेंट करती हैं. क्योंकि हकीकत ये है कि पूरे देश में आमतौर पर चुनाव शांतिपूर्ण हुए हैं. चिंता की बात ये है कि ये उस बंगाल में हो रहा है जिसके बारे में यह कहा जाता है कि बंगाल जो आज सोचता है, बाकी देश कल जाकर सोचता है.

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