उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) के मउ जिले के घोसी लोकसभा सीट से बहुजन समाजवादी पार्टी सांसद अतुल रॉय 2019 से जेल में हैं, शनिवार को वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें बलात्कार केस से बरी कर दिया. उनके खिलाफ 2019 से ही केस चल रहा था. 2019 में चुनाव जीतने के बाद उन्होंने सरेंडर कर दिया था. फिलहाल वह प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं. सांसद के वकील अनुज यादव ने कहा "सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं".
1 मई 2019 को 24 वर्षीय एक छात्रा ने सांसद के खिलाफ केस दर्ज कराई थी. युवती ने अपनी तहरीर में लिखा था कि सांसद से उसका परिचय पढ़ाई के दौरान हुआ था. युवती ने लिखा था कि "सांसद अपनी पत्नी से मुलाकात कराने के बहाने फ्लैट पर ले गया और वहां घटना को अंजाम दिया. तहरीर में उन्होंने यह भी लिखा गया कि उनकी फोटो और विडियो भी लिया गया था जिसके जरिए वो बार-बार ब्लैकमेल कर रेप करते थे.
सांसद के बरी होने के बाद उनके वकील ने कहा कि पीड़िता की ओर से कोई साबूत नहीं पेश नहीं किया गया और आरोप साबित नहीं हो पाया. वकील ने ये भी कहा कि कोर्ट ने पाया कि अतुल राय के खिलाफ मुकदमा उन्हें चुनाव में हराने की मंशा से दर्ज कराया गया था.
अतुल रॉय का कहना था कि यह सब मुख्तार अंसारी के द्वारा करवाया जा रहा है, मुख्तार अंसारी हमारी जगह अपने बेटे को लड़वाना चाहते थे लेकिन मुझे सीट मिल जाने के कारण वो हमें फंसाने की साजिश रच रहे हैं.
2019 में हुए चुनाव में उन्होंने सीट तो पक्की कर ली थी परंतु रेप केस में नाम आने के बाद वह शपथ नहीं ले पाए थे, उसके बाद उनके वकील ने इलाहाबाद कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि चुनाव के बाद उन्होंने शपथ नहीं ली है, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें दो दिनों की पैरोल दी थी.
अतुल राय पर आरोप लगाने वाली युवती ने अगस्त 2021 में मामले के एक गवाह और अपने दोस्त के साथ सुप्रीम कोर्ट के बाहर आत्मदाह कर लिया था. आत्मदाह से पहले फेसबुक लाइव पर युवती ने आरोप लगाया था कि कुछ सीनियर पुलिस अधिकारी अतुल राय का पक्ष ले रहे हैं. इस केस में भी अतुल राय पर सुसाइड के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज हुआ है. इसी साल जुलाई में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने राय को बेल देने से मना करते हुए संसद और चुनाव आयोग से कहा था कि वो राजनीति में अपराधियों के आने पर रोक लगाएं. राय के ऊपर 23 आपराधिक मामले दर्ज हैं. उनकी हिस्ट्रीशीट, उनकी ताकत और सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका के चलते अदालत ने उन्हें जमानत देने से इंकार किया था.
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