बहुत कम बार ऐसा होता है कि कोई उपचुनाव (byelection) बड़ी सियासी हस्तियों के लिए इतने अहम हो जायें, लेकिन इस बार ऐसा है. 11 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में 29 विधानसभा के साथ 3 लोकसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को मतदान होना है. विंध्य के दक्षिण से लेकर पश्चिमी हिमालय और ब्रह्मपुत्र घाटी तक इस राजनीतिक आग की चुनावी तपिश देखी जा सकती है. बिहार के महागठबंधन (mahagathbandhan) की गांठ खुलती दिख रही है तो हरियाणा (Haryana) में बीजेपी (BJP) को विवादास्पद विधायक गोपाल कांडा (Gopal Kanda) को 3 दिन के अंदर पार्टी में शामिल कराकर टिकट देना पड़ा है.
ये उपचुनाव 5 राज्यों में चुनाव से पहले सियासी सेमीफाइनल हैं और बाउंड्री लाइन पर किसानों की फील्डिंग है. आप कह सकते हैं कि दक्षिण में इस फील्डिंग से क्या असर पड़ेगा, लेकिन हरियाणा, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और हिमाचल की सीटों के नतीजे फाइनल से पहले राजनीतिक पार्टियों को हवा का रुख बताएंगे. भले ही इन प्रदेशों में अभी चुनाव नहीं होने हैं, लेकिन ये नतीजे चुनावी राज्यों में सियासी रणनीति समझाने और बदलने का माद्दा रखते हैं.
हरियाणा से यूपी तक जाएगा संदेश
हरियाणा में एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव (Haryana byelection) होना है, लेकिन ये हॉट सीट बनी हुई है, क्योंकि हरियाणा की ऐलनाबाद सीट (Ellenabad seat) पर वोटिंग की वजह किसान आंदोलन है. यहां से इनेलो के अभय चौटाला (Abhay Chautala) विधायक थे और उन्होंने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा दे दिया था.
इस सीट को जीतने के लिए बीजेपी ने अपने उस उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया जो 2019 में दूसरे नंबर पर रहे थे, बल्कि गीतिका हत्याकांड के बाद विवादों में आये विधायक गोपाल कांडा के छोटे भाई गोबिंद कांडा (Gobind Kanda) को आनन-फानन में पार्टी में शामिल कराकर मैदान में उतारा है. इसका मतलब है कि जाट बहुल इस सीट पर बीजेपी अपने गैर जाट वाले फॉर्मूले पर उतर आई है. क्योंकि 2019 में दूसरे नंबर पर रहने वाले पवन बेनीवाल भी जाट समुदाय से आते हैं और अभय चौटाला भी.
बीजेपी ने बनिया समुदाय से आने वाले गोबिंद कांडा को टिकट देकर गैर जाटों को साधने की कोशिश की है. कांग्रेस ने बीजेपी के टिकट पर दो बार चुनाव लड़ने वाले पवन बेनीवाल को उतारा है, जिन्हें 2019 में करीब 30 फीसदी वोट मिले थे.
वैसे तो ये सीट इनेलो की परंपरागत सीट है और इस बार ओमप्रकाश चौटाला भी चुनाव प्रचार में हैं. 2019 में इनेलो ने यही इकलौती सीट जीती थी, लेकिन इस बार ओपी चौटाला के दूसरे बेटे अजय चौटाला अपने भाई के खिलाफ बीजेपी उम्मीदवार के लिए वोट मांग रहे हैं.
अगर इस सीट पर बीजेपी जीती तो वो इसे किसान आंदोलन के खिलाफ अपनी जीत बताकर पेश करेंगे, जिसे वो यूपी तक भुनाने की कोशिश करेंगे. अगर यहां फिर से अभय चौटाला जीते और भारतीय जनता पार्टी का मत प्रतिशत घटा तो संदेश जाएगा कि किसान आंदोलन का आने वाले चुनावों में बड़ा असर पड़ेगा. बीजेपी को 2019 में ऐलनाबाद सीट पर 29.95 प्रतिशत वोट मिले थे.
ऐलनाबाद में एक और समीकरण ये भी है कि कुछ किसान संगठनों ने अपना उम्मीदवार उतारा है, जिससे संयुक्त किसान मोर्चा ने किनारा किया है. विकल पाचार को कितने वोट मिलते हैं ये भी देखना दिलचस्प होगा, जो तय करेगा कि किसान समर्थकों में संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt kisan morcha) का कितना असर है.
मध्य प्रदेश, बिहार और हिमाचल
हिमाचल की एक लोकसभा और 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. यहां जयराम ठाकुर की साख दांव पर है, क्योंकि यहां भी लगभग एक साल बाद चुनाव होने हैं. तो अगर बीजेपी विरोधी हवा चली तो जयराम ठाकुर को लंबा नुकसान हो सकता है.
मध्य प्रदेश में भी शिवराज के लिए हालात कुछ ऐसे ही हैं, उधर बिहार में उपचुनाव बेहद रोचक हो गया है. वहां महागठबंधन का हिस्सा कांग्रेस और आरजेडी दोनों ने अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं और लालू प्रसाद यादव खुद प्रचार में उतर रहे हैं. बिहार की दो सीटें वहां कई तरह के समीकरण बदल देंगी, क्योंकि महागठबंधन और बीजेपी-जेडीयू के बीच में मात्र चार सीटों का अंतर है. अगर आरजेडी ये दो सीटें जीती तो हम और वीआईपी जैसी पार्टियों की अहमियत दोगुनी हो जाएगी.
कर्नाटक-तेलंगाना में बीजेपी की परीक्षा
कर्नाटक में सिंदगी और हंगल विधानसभा पर उपचुनाव सीएम बासवराज बोम्मई के लिए बड़ी परीक्षा होने वाले हैं, क्योंकि येदयुरप्पा को हटाकर हाल ही में उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया है. उधर तेलंगाना में अपनी जमीन बनाने की कोशिश कर रही बीजेपी के लिए हुजूराबाद विधानसभा सीट का चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि पिछले साल ही बीजेपी ने टीआरएस को उपचुनाव में झटका दिया था जिससे उसकी उम्मीदें बढ़ गई हैं.
असम में भी बीजेपी के लिए परीक्षा
असम में 5 सीटों पर उपचुनाव होना है, 126 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी के पास 59 सीटें हैं. बीजेपी ने यहां तीन सीटों पर दलबदलुओं को टिकट दिया है और 2 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ दी हैं. अगर बीजेपी इन तीनों पर सीटों पर जीती तो बहुमत से 2 सीटें पीछे रह जाएगी.
महाराष्ट्र में एक सीट पर चुनाव
महाराष्ट्र की एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. ये कांग्रेस के खाते की सीट है क्योंकि उसके विधायक रावसाहब अंतापुरक के देहांत से खाली हुई है और उनके बेटे को कांग्रेस ने टिकट दिया है. बीजेपी तगड़ा जोर लगा रही है, क्योंकि महाविकास अघाड़ी खुलकर किसान आंदोलन के समर्थन में है. अगर बीजेपी यहां गठबंधन को हराती है तो ये उसके मनोबल को बढ़ाएगा.
30 अक्टूबर को डाले जाएंगे वोट
11 राज्यों की 29 विधानसभा सीटों और तीन लोकसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे और 2 नवंबर को गिनती होगी. हालांकि इसमें नागालैंड की शमटोर-चेस्सोर सीट शामिल नहीं होगी क्योंकि वहां नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के केशू यिमचुंगर को निर्विरोध चुना गया है.
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