दिल्ली नगर निगम (MCD) सदन एक बार फिर से अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है. यह एक महीने में तीसरी बार है कि मेयर चुने बिना हंगामे के बीच ऐसा हुआ है. बीजेपी पार्षद और आम आदमी पार्षद आमने सामने आकर नारेबाजी करने लगे और सदन में हंगामा खड़ा हो गया, पीठासीन अधिकारी द्वारा एमसीडी सदन में यह कहा गया कि एल्डरमैन यानि कि मनोनीत पार्षद, मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों के लिए चुनाव कर सकते हैं यानि वोट डाल सकते हैं, जिसका आप पार्षदों ने कड़ा विरोध किया. उसके बाद एमसीडी सदन में हंगामा शुरू हो गया.
पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने कहा कि महापौर, उप महापौर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में बुजुर्गों को मतदान करने की अनुमति दी जाएगी.
इस घोषणा का आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने विरोध किया. पार्टी नेता मुकेश गोयल ने कहा कि बुजुर्ग वोट नहीं दे सकते. इस पर सत्या शर्मा ने कहा कि लोगों ने आपको यहां सेवा करने के लिए भेजा है, चुनाव होने दीजिए. चार दिसंबर को हुए नगर निगम चुनाव के बाद सदन का यह तीसरा सत्र है.
6 जनवरी और 24 जनवरी को हुए पहले दो सत्रों को पीठासीन अधिकारी ने बीजेपी और आम आदमी पार्टी के सदस्यों के बीच हंगामे और तीखी नोकझोंक के बाद महापौर का चुनाव किए बिना स्थगित कर दिया था.
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने ट्वीट में लिखा कि MCD में बीजेपी के पार्षद बिना बात हंगामा करके आज भी मेयर का चुनाव नहीं होने दे रहे…. AAP के पार्षद शांत बैठे है लेकिन BJP पार्षद बिना बात हंगामा मचा रहे हैं.
“सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही उम्मीद”
इसके अलावा आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कल को किसी राज्य में गवर्नर दूसरी पार्टी का Pro-tem Speaker बना दे और वो किसी की भी सरकार बना दे? आज Aldermen, कल LG और परसों मरे हुए पार्षदों का भी वोट डलवा दें? हंगामे से बचने के लिए हम संविधान में आग लगवा दें? सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही देश की उम्मीद बची है.
दिल्ली नगर निगम (DMC) अधिनियम, 1957 के मुताबिक निकाय चुनावों के बाद सदन के पहले ही सत्र में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव किया जाना है. हालांकि, नगर निकाय चुनाव हुए दो महीने हो चुके हैं और दिल्ली को अभी तक मेयर नहीं मिला है.
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