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कृषि कानून निरस्त करने के अलावा विकल्प बताएं किसान यूनियन : तोमर

केंद्रीय कृषि मंत्री ने एक बार फिर किसान यूनियनों से कृषि सुधार पर तकरार दूर करने के रास्ते सुझाने की अपील की है.

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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बार फिर किसान यूनियनों से कृषि सुधार पर तकरार दूर करने के रास्ते सुझाने की अपील की है. केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन की राह पकड़े किसानों की रहनुमाई करने वाले यूनियनों के साथ 19 जनवरी को होने वाली अगले दौर की वार्ता से पहले कृषि मंत्री ने रविवार को कहा कि कानूनों को निरस्त करने के अलावा अगर यूनियन कोई विकल्प बताएं तो उस पर सरकार विचार करेगी. उधर, देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन 53वें दिन में प्रवेश कर गया है और किसान यूनियनों का कहना है कि आंदोलन तेज करने को लेकर उनके पूर्व घोषित सारे कार्यक्रम आगे जारी रहेंगे.

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कोई विकल्प सुझाएंगे तो गंभीरता से विचार करेगी: तोमर

केंद्रीय कृषि मंत्री ने आईएएनएस को दिए एक बयान में कहा कि अगले दौर की वार्ता में किसान यूनियन तीनों कृषि कानूनों पर बिंदुवार चर्चा कर अपनी आपत्ति बताएं तो सरकार उस पर विचार करेगी. उन्होंने कहा, कानून को निरस्त करने के अलावा किसान जो भी विकल्प सुझाएंगे सरकार उस पर गंभीरता से विचार करेगी.

कृषि और संबद्ध क्षेत्र में सुधार लाने के मकसद से केंद्र सरकार ने कोरोना काल में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 लाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और मसले के समाधान के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन कर दिया, लेकिन सरकार ने किसान यूनियनों के साथ बातचीत का मार्ग खुला रखा है.

दो मांगों को स्वीकार कर चुकी है सरकार: कृषि मंत्री

सरकार की तरफ से वार्ता की अगुवाई कर रहे केंद्रीय कृषि मंत्री बार-बार दोहरा चुके हैं कि देश के किसानों के हितों में जो भी प्रावधान उचित होंगे सरकार उन्हें नये कानून में शामिल करने पर विचार करेगी. मगर, किसान यूनियनों के नेता कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं. सरकार ने कहा है कि वह किसानों की समस्याओं का समाधान तलाशने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सामने भी अपना पक्ष रखने को तैयार है. जबकि प्रदर्शनकारी किसान यूनियन सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के पास जाने को तैयार नहीं है.

आंदोलनरत किसान तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि बिजली अनुदान और पराली दहन से संबंधित दो अन्य मांगों को सरकार पहले ही स्वीकार कर चुकी है.

नये कृषि कानूनों पर किसानों की आपत्तियों का समाधान करने को लेकर पहली बार पिछले साल 14 अक्टूबर को कृषि सचिव ने किसान नेताओं से बातचीत की. इसके बाद शुरू हुआ मंत्रि-स्तरीय वार्ता का दौर और अब तक नौ दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं. मंत्रि-स्तरीय वार्ताओं में तोमर के अलावा रेलमंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश भी मौजूद रहे हैं. अब 19 जनवरी को फिर किसान यूनियनों के नेता केंद्रीय मंत्रियों के साथ वार्ता करेंगे. इस वार्ता से पहले कृषि मंत्री ने किसान यूनियनों को स्पष्ट कर दिया है कि कानून को निरस्त करने के अलावा अगर कोई विकल्प किसानों की तरफ से आएगा तो उस पर सरकार विचार करेगी.

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