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ये 5 ‘फायरब्रांड’ स्पीकर बन सकते हैं बीजेपी के लिए बड़ा सिरदर्द

सिद्धू और राज ठाकरे के अलावा तीन और नेता जो दे रहे हैं चुनौती

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कांग्रेस महाधिवेशन में गर्मी कुछ बढ़ गई. खून कुछ ज्यादा उबलने लगा. जोश कुछ ज्यादा बढ़ने लगा. कार्यकर्ताओं की मुट्ठियां कुछ ज्यादा कसने लगी. तालियां, रुक नहीं रही थीं. मंच पर थे, नवजोत सिंह सिद्धू. और सिद्धू अपने पूरे रंग में थे. पगड़ी गुलाबी जरूर थी पर जुबान अंगारे बरसा रही थी.

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आज के सियासी दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भाषण कला की चर्चा हर जगह होती है. वो बीजेपी के ऐसे हथियार हैं, जिनके शब्दों की मार कई बार विपक्षियों को उठने का मौका नहीं देती. लेकिन 18 मार्च को जिस तरह से नवजोत सिंह सिद्धू और राज ठाकरे ने जुबानी गोला-बारूद बरसाया है और जिस तरह से सिर्फ 24 घंटों में इन भाषणों को लाखों बार देखा गया है, उससे ये बहस तो छिड़ ही गई है कि सिद्धू और ठाकरे जैसे नेता बीजेपी और मोदी के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकते हैं. अकेले, क्विंट हिंदी के यूट्यूब चैनल पर 24 घंटे में सिद्धू के वीडियो को ढाई लाख से ज्यादा व्यू मिले.

ये बहस इस बात से और भी तेज हो गई कि बीते कुछ दिनों में जो 2 बड़े भाषण, पीएम मोदी ने दिए हैं, उन्हें सोशल मीडिया और यूट्यूब पर उतना नहीं देखा गया, जितना उनके भाषणों को अक्सर देखा जाता है. तो क्या पीएम मोदी के भाषणों को ये 5 नेता अपने भाषणों से चुनौती दे सकते हैं? अब आप सोच रहे होंगे कि बाकी के 3 कौन?

तो ये हैं--

  • कन्हैया कुमार
  • हार्दिक पटेल
  • जिग्नेश मेवाणी
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2019 तक पहुंचते-पहुंचते, चुनावी कुरुक्षेत्र में जो तीर एक दूसरे पर बरसने हैं वो जुबानी ही होने हैं. ऐसे में नरेंद्र मोदी जैसे असरदार वक्ता के सामने कांग्रेस और विपक्ष इन 5 चेहरों को सामने रख कर ये लड़ाई लड़ सकते हैं. अब एक-एक कर समझिए ऐसा क्या है इन पांचों के पास जो फिलहाल किसी और नेता में नहीं दिखता.

1.नवजोत सिंह सिद्धू

सिद्धू कभी बीजेपी का झंडा उठा कर चलते थे. केसरिया पगड़ी खूब पहनते थे. अमृतसर से बीजेपी के सांसद भी रहे. लेकिन, राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं बढ़ने लगीं. अनबन हुई और बीजेपी के मंच से उतरकर कांग्रेस के मंच पर चढ़ने में देर नहीं लगाई. पंजाब में माहौल बदलने में, जनता के बीच पैठ बनाने में सिद्धू के भाषणों की खासी भूमिका रही. सिद्धू, उन वक्ताओं में से हैं जो ठांसना जानते हैं. अपनी बात रखते हैं पूरे दम और ठसक के साथ. उन बातों में कई दफा काम की बात, गायब भले रहती हो, लेकिन सुनने वालों की कतार में खड़े आखिरी आदमी तक जोश और फड़कन भरपूर पहुंचते हैं. कांग्रेस महाधिवेशन में दिए सिद्धू के 21 मिनट के भाषण को यूट्यूब पर लाखों बार देखा जा चुका है.

हालांकि, अपने भाषण के लिए उन्हें बधाइयां मिल रही हैं तो पाला बदल कर कांग्रेस की तारीफ के लिए लानतें भीं. सिद्धू के वीडियो में ये कमेंट करने वालों की तादाद खासी है जो चाहते हैं कि कांग्रेस अपनी बात कहने के लिए सिद्धू को बड़े स्तर पर आगे लाए. उन्हें पीएम मोदी के सामने, अपने अंदाज में बड़े मुद्दे रखने के लिए मंच दे.

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2. राज ठाकरे

मुंबई में गुड़ी पड़वा के मौके पर हुई महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की रैली में राज ठाकरे का अंदाज, उनके चेहरे की तमतमाहट शायद हर श्रोता तक पहुंची होगी. ठाकरे ने अपने भाषण में मोदी-मुक्त भारत की बात की. उन्होंने कहा:

सरकार ने बेरोजगारों का रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया है. सरकार ने राफेल डील में बड़ा घोटाला किया है, लेकिन कोई इस पर नहीं बोल रहा है. हम 500 करोड़ का फाइटर प्लेन लगभग 1600 करोड़ में खरीद रहे हैं. रक्षा मंत्री ने डील के बचाव में कहा कि हमें फ्रांसीसी कंपनी के बारे में पता है, लेकिन भारत में उसकी समकक्ष कंपनी के बारे में जानकारी नहीं है. गडकरी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस इस कंपनी के उद्घाटन के लिए नागपुर गए थे.

राज ठाकरे, यूं भी अपने आक्रामक सियासी तेवरों के लिए जाने जाते हैं. आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी को ठाकरे के भाषणों और बयानों की मार से बचकर रहना होगा.

3. कन्हैया कुमार

कन्हैया को सोशल मीडिया सेंसेशन कहा जा सकता है. कुछ वक्त पहले ये तमगा प्रधानमंत्री मोदी के पास भी था. लेकिन, अब उसकी चमक कुछ फीकी होती दिखती है. कन्हैया के बयान, उनके भाषण सोशल मीडिया पर जमकर शेयर होते हैं. लाखों नहीं बल्कि करोड़ों बार उन्हें देखा जाता है. न्यूज 18 इंडिया के एक कार्यक्रम में जब वो बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा से उलझे तो वो वीडियो वायरल हो गया. न्यूज 18 इंडिया के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर ही उसे 1 मिलियन से ज्यादा बार देखा जा चुका है. और लाखों बार तमाम दूसरे चैनलों पर.

कन्हैया, जेएनयू का ब्रांड लेकर आते हैं. वो ब्रांड जो युवाओं में अच्छा-खासा पॉपुलर है. उनके बोलने में एक भदेसपन है. वो देसी हैं. तामझाम वाले नहीं दिखते. और ये सारी बातें उनके भाषणों और उनकी बात कहने के अंदाज को और मजबूत करती हैं. आने वाले दिनों में बीजेपी और मोदी सरकार के लिए कन्हैया के भाषण भी मुसीबत बन सकते हैं.

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4. हार्दिक पटेल

2017 गुजरात विधानसभा चुनावों में यूं देखा जाए तो भले हार्दिक कोई बड़ा कमाल करते न दिखे हों लेकिन भीड़ जुटाने और उससे तालियां लेने के मामले में वो अव्वल साबित हुए हैं. सूरत की रैली हो या ट्विटर पर उनका अंदाज, वो हर जगह छाए रहे.

हार्दिक, 2019 के गुजरात में फिर से उभर सकते हैं. हार्दिक, फिर हंगामा बरपा सकते हैं. हार्दिक, फिर बीजेपी के लिए मुसीबत का सबब बन सकते हैं.

5. जिग्नेश मेवाणी

बीते कुछ वक्त में अगर दलितों की आवाज के तौर पर किसी नेता का सबसे तेजी से उभार हुआ है तो वो हैं- जिग्नेश मेवाणी. वो आपको पुलिस से उलझते दिख जाते हैं. वो आपको सड़क पर, चौराहों पर अपने समर्थकों के लिए लड़ते दिख जाते हैं. और अपने भाषणों में वो तीखे होते गए हैं. जिग्नेश ने खुद को दलितों की आवाज के तौर पर स्थापित कर लिया है.

मेवाणी की हिंदी उतनी साफ नहीं, पर जुबान बहुत साफ है. सीधी है. जो बात कहते हैं, खरे अंदाज में कहते हैं. शायद, युवाओं को, खासकर गुजरात के युवाओं को वो खूब भा रहे हैं. शायद यही वजह है कि यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर उनके वीडियो भी लाखों की संख्या में देखे जा रहे हैं.

ये पांच, बीजेपी के लिए धधकती आंच का काम कर सकते हैं जिससे पार्टी को सावधान रहना होगा.

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क्या घट रही है पीएम मोदी के भाषणों की लोकप्रियता?

इन पांच के बरक्स अगर आप सिर्फ पीएम मोदी के बीते कुछ दिन के दो भाषणों को उठाकर देखें तो आपको ये अंदाजा लगाने में देर नहीं लगेगी कि उनके भाषणों को देखने वालों की संख्या में कुछ कमी आती दिखती है. 17 मार्च को कृषि उन्नति मेले में दिए भाषण को बीजेपी के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर महज हजार व्यू हैं. वहीं, नरेंद्र मोदी के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर करीब 7 हजार व्यू. (आंकड़ा- 19 मार्च शाम 6.30 बजे तक)

तो क्या कुछ है जो बदल रहा है? क्या आहिस्ता-आहिस्ता, पीएम मोदी के भाषण, उनके चाहने वालों को उबाऊ लगने लगे हैं. 2019 की राह में बीजेपी और खुद पीएम मोदी को इस पर भी सोचना होगा और खुद को चुनौती देने वाले 5 भाषण-वीरों से निपटने के बारे में भी.

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