महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर गतिरोध शनिवार को भी जारी रहा. मुख्यमंत्री पद चाह रही शिवसेना अपना रुख कभी कड़ा कर रही है तो कभी उसमें नरमी दिखा रही है, जबकि उसकी सहयोगी बीजेपी इंतजार करो की नीति अपना रही है.
सहयोगी दलों बीजेपी और शिवसेना ने 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में पर्याप्त बहुमत हासिल किया था लेकिन दोनों के बीच सत्ता बंटवारे को लेकर औपचारिक बातचीत शुरू नहीं हुई है.
राज ठाकरे और शरद पवार की मुलाकात
उधर, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को एनसीपी चीफ शरद पवार से मुलाकात की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये बैठक करीब 15 मिनट तक चली. इस बैठक में चुनाव नतीजों पर चर्चा की गई.
सोमवार को सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे शरद पवार
एनसीपी चीफ शरद पवार सोमवार, 4 नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे. एनसीपी नेता अजित पवार ने बताया, ‘शरद पवार 4 नवंबर को दिल्ली जाएंगे. इस बात की प्रबल संभावनाएं हैं कि वह कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे और महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर चल रहे हालातों पर चर्चा करेंगे.’
सरकार गठन पर क्या बोले महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष?
महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने शनिवार को पार्टी नेता वी सतीश और विजय पुराणिक के साथ बैठक की.
बाद में जब पाटिल से यह पूछा गया कि क्या कोई हल दिखाई दे रहा है, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने सरकार गठन को लेकर वर्तमान के गतिरोध समाप्ति के लिए कोल्हापुर की देवी अम्बाबाई से प्रार्थना की है.
अगर BJP बहुमत साबित नहीं कर पाई, तो शिवसेना साबित करेगीः राउत
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि सरकार बनाना बीजेपी का अधिकार है क्योंकि वह अकेली सबसे बड़ी पार्टी है. उन्होंने कहा, ‘‘उसे बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन लेने दीजिये. अगर वह (BJP)बहुमत साबित नहीं कर पाती है तो शिवसेना अपना बहुमत साबित करेगी.’’
राउत ने कहा कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा उससे इनकार किये जाने से ठेस लगी थी, जिस पर ‘‘दोनों सहयोगी दलों के बीच पहले ही सहमति बन चुकी है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम जो भी मांग कर रहे हैं उस पर उनके द्वारा सहमति जतायी गई थी.’’
राउत ने कहा कि वह बीजेपी थी, जिसने गठबंधन के लिए कहा था. संजय राउत ने कहा-
हमारे अंदर संदेह थे. हालांकि, हमने सोचा कि हमें उन्हें एक मौका देना चाहिए. अब हम कह रहे हैं कि बीजेपी को अपने वादे का सम्मान करना चाहिए. उसे स्वीकार करिए जिस पर सहमति बनी थी.
बता दें, प्रदेश के कुछ कांग्रेस नेता पहले ही बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए शिवसेना का समर्थन करने की बात कर चुके हैं.
हालांकि, शिवसेना नेता संजय राउत ने यह भी कहा कि शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और वह अंत तक ‘‘गठबंधन धर्म’’ का पालन करेगी.
सरकार बनाने के लिए शिवसेना के समर्थन पर क्या कह रही है कांग्रेस और NCP
संजय राउत ने कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवई की ओर से कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को लिखे गए उस पत्र का स्वागत किया है, जिसमें मुस्लिम नेता दलवई ने लिखा कि पार्टी को शिवसेना का समर्थन करना चाहिए.
शिवसेना और बीजेपी में अंतर है. शिवसेना ने राष्ट्रपति पद के लिए प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था. बीजेपी के उलट शिवसेना की राजनीति समावेशी बन गई है. बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए शिवसेना का समर्थन करना चाहिए.हुसैन दलवई, कांग्रेस नेता
उन्होंने कहा कि राज्य में मुस्लिमों का एक बड़ा वर्ग बीजेपी के मुकाबले शिवसेना को तरजीह देगा.
उधर, एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा है कि अगर शिवसेना ‘‘बीजेपी के बिना’’ सरकार बनाने को तैयार हो तो एनसीपी ‘‘निश्चित रूप से एक सकारात्मक रुख अपनाएगी.’’
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