जम्मू-कश्मीर में अब हुर्रियत नेता भी बातचीत के लिए तैयार हैं. राज्यपाल सत्यपाल मलिक के हुर्रियत से बातचीत को लेकर दिए गए बयान के बाद अब हुर्रियत ने भी इसके लिए हामी भर दी है. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज उमर फारुख ने कहा है कि अगर सार्थक बातचीत की पेशकश होती है तो यह एक सकारात्मक कदम हो सकता है.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में मीरवाइज ने कहा, कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए वो हमेशा ही बातचीत के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर में बातचीत के अलावा कोई भी दूसरा तरीका नहीं है. हमने कभी भी बातचीत के लिए इनकार नहीं किया है. हुर्रियत हमेशा बातचीत के पक्ष में रही है.
हुर्रियत नेता मीरवाइज ने कहा कि कश्मीर में हमारी पार्टी सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. घाटी में रोज हमारे युवा मर रहे हैं, इसीलिए इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत है
राज्यपाल ने दिए थे बातचीत के संकेत
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने हुर्रियत से बातचीत की बात कही थी. मलिक ने कहा था कि पिछले साल अगस्त से कश्मीर घाटी में हालात बेहतर हुए हैं और हुर्रियत कांफ्रेंस सरकार के साथ बातचीत करना चाहती है. उन्होंने कहा, 'पहले हुर्रियत कांफ्रेंस बातचीत करना नहीं चाहती थी, राम विलास पासवान 2016 में उनके दरवाजे पर खड़े थे, लेकिन वे लोग बातचीत के लिए तैयार नहीं थे. लेकिन आज बातचीत के लिए तैयार हैं.
गोली का जवाब गुलदस्ते से नहीं
राज्यपाल मलिक ने कड़ा रुख अपनाते हुए आतंकियों का साथ देने वालों को भी चेतावनी दी. उन्होंने कहा, कश्मीर में आतंकवादियों की भर्ती लगभग थम गई है और हर शुक्रवार को होने वाली पथराव की घटनाएं भी बंद हो गई है. जब कोई युवक मारा जाता है तो हमें अच्छा महसूस नहीं होता. लेकिन जब कोई गोली चलाएगा, तब सुरक्षा बल भी जवाबी गोलीबारी करेंगे. वे गुलदस्ता नहीं भेंट करेंगे.
मलिक ने कहा कि कश्मीर हर 15 दिन में बदलता है. बाहर से इसके बारे में बातचीत की जरूरत नहीं है. अगर कोई कश्मीर को जानना चाहता है तो उसे वहां रहना चाहिए. उन्होंने कहा, 'जब मैं दिल्ली जाता हूं, तब ऐसे कई लोग हैं जो कश्मीरी होने का दावा करते हैं. मैं उनसे पूछता हूं कि वो कश्मीर में कब थे? वो कहते हैं 15 साल पहले. लेकिन कश्मीर 15 दिन में बदल जाता है.
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