मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को राज्य के सीएम पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई है. मध्य प्रदेश कांग्रेस के रणनीतिकार माने जाने वाले कमलनाथ के नेतृत्व में ही कांग्रेस पार्टी 15 साल से राज कर रही बीजेपी को मात देने में सक्षम हुई है.
मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर आए नतीजों के बाद कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. फाइनल रिजल्ट से पहले ही कमलनाथ ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखकर प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था.
इंदिरा मानती थीं 'तीसरा बेटा'
कमलनाथ को आठ महीने पहले ही मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. जब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, तब ये बात फिर से चर्चा में आई कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी उन्हें अपना 'तीसरा बेटा' मानती थीं.
दरअसल, एक बार इंदिरा गांधी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से लड़ रहे कमलनाथ के लिए चुनाव प्रचार करने आई थीं. इंदिरा ने तब चुनावी रैली में लोगों से कहा था, ''कमलनाथ मेरे लिए तीसरे बेटे जैसे हैं. कृपया उन्हें वोट दीजिए.''
मोरारजी देसाई की सरकार से लड़ने में इंदिरा की मदद की
साल 1979 में कमलनाथ ने मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबला करने में कांग्रेस की मदद की थी. 39 साल बाद 72 साल के कमलनाथ ने अब इंदिरा गांधी के पोते कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में दमदार भूमिका निभाई है.
जनता के बीच ‘मामा' के रूप में अपनी अच्छी छवि बना चुके और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को चौथी बार लगातार सत्ता में आने से रोकने के लिए कमलनाथ ने कड़ी टक्कर दी है.
कमलनाथ के वीडियो पर बीजेपी ने मचाया बवाल
मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान कमलनाथ को कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा. इस दौरान उनके मुस्लिम वोटों को लेकर तीन वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए. इन वीडियो में वो कांग्रेस की जीत के लिए मौलवियों से राज्य के मुस्लिम बहुल इलाके में 90 फीसदी वोट सुनिश्चित करने को कहते हुए दिख रहे थे. कमलनाथ कहते दिख रहे थे कि मुस्लिम बहुल बूथों पर अगर 90 फीसदी से कम मतदान होगा, तो कांग्रेस को नुकसान होगा.
इन वीडियो को मुद्दा बनाकर बीजेपी के नेताओं ने चुनावी रैलियों में कमलनाथ पर जमकर हमला बोला था. हालांकि कांग्रेस ने इन वीडियो को झूठा बताया था.
कमलनाथ के कारण पार्टी में दिखी एकजुटता
ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह राहुल गांधी ने कमलनाथ को इस साल 26 अप्रैल को मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया. यहां कांग्रेस साल 2003 से सत्ता से बाहर है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कमलनाथ ने राज्य में विपक्षी कांग्रेस की किस्मत फिर से पलटने में कामयाबी पाई.
कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुरेश पचौरी जैसे प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं को एक साथ लाने का काम किया, जिसके चलते इस बार हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी में एकजुटता दिखी.
रणनीति बनाकर बीजेपी से किया मुकाबला
समाज के हर तबके के लिए योजनाओं के कारण शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता से वाकिफ चुनाव अभियान की शुरुआत में ही कमलनाथ ने बीजेपी पर हमला शुरू कर दिया था. अभियान के जोर पकड़ने पर पार्टी की ओर मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए राज्य कांग्रेस ने ‘वक्त है बदलाव का' नारा दिया.
कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान में चौहान के उन वादों पर फोकस किया, जिसे पूरा नहीं किया जा सका. पार्टी ने चौहान को 'घोषणावीर' बताया, जिसके बाद सरकार की ओर से घोषित योजनाओं को लेकर चर्चा शुरू हो गई.
कमलनाथ का राजनीतिक करियर
कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था. उनके पिता का नाम महेंद्रनाथ और माता का लीला है. देहरादून के दून स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की. राजनीति में आने से पहले उन्होंने सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से ग्रेजुएशन किया.
कमलनाथ और स्वर्गीय संजय गांधी अच्छे दोस्त थे. कहा जाता है उन्हीं के कहने पर कमलनाथ राजनीति में आए. 1980 में उन्होंने पहली बार मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा. तब से अब तक इसी सीट से 9 बार सांसद चुने जा चुके हैं.
यूपीए सरकार में पर्यावरण और वन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. साल 1995 से 1996 तक केंद्र सरकार में कपड़ा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे. 2004 से 2009 तक केंद्र सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. 2009 में यूपीए-टू में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. 2001 से 2004 तक कांग्रेस पार्टी के महासचिव रहे.
(इनपुट भाषा से)
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