कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार गिर गई है. कुमारस्वामी के पक्ष में 99 वोट पड़े हैं. विश्वास मत में विपक्ष को 105 वोट पड़ गए हैं. इसके साथ ही अब कर्नाटक में बीजेपी सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है.
विधानसभा चुनाव के बाद से ही ठीक नहीं थे हालात
कर्नाटक में 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं. 222 सीटों पर हुए इस चुनाव में जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी दो सीटों से जीते थे. ऐसे में चुनाव के बाद सदन का संख्याबल 221 था और बहुमत का आंकड़ा 111 था. इस तरह कोई भी पार्टी बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाई थी. मगर बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया और 17 मई को बीएस येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
हालांकि, येदियुरप्पा सरकार चलाने के लिए जरूरी बहुमत नहीं जुटा पाए और उन्होंने 19 मई को बिना फ्लोर टेस्ट के ही इस्तीफा दे दिया.
येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद बनी गठबंधन सरकार
इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस ने सरकार बनाने के लिए गठबंधन किया. यह गठबंधन जिस तरह से हुआ था, उससे हर कोई चौंकने पर मजबूर हो गया था. दरअसल जेडीएस से काफी ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी कांग्रेस मुख्यमंत्री पद जेडीएस को देने के लिए तैयार हो गई. इसके बाद एचडी कुमारस्वामी ने 23 मई को कर्नाटक के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. तब से कांग्रेस-जेडीएस ने बीजेपी पर कई बार आरोप लगाए कि वो उनके विधायकों को तोड़कर सरकार गिराने की कोशिश कर रही है.
इस आरोपों को सबसे ज्यादा हवा तब मिली थी, जब फरवरी 2019 में कुमारस्वामी ने एक ऑडियो क्लिप जारी की. इस क्लिप को जारी कर कुमारस्वामी ने कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष येदियुरप्पा पर आरोप लगाए कि उन्होंने जेडीएस विधायक नगनगौड़ा के बेटे शरणगौड़ा को पैसे और (नगनगौड़ा के लिए) मंत्री पद का लालच दिया था.
येदियुरप्पा ने शुरुआत में इस क्लिप को फेक बताया था और कहा था कि इसमें उनकी आवाज नहीं है. हालांकि बाद में उन्होंने कहा,
यह सच है कि मैं शरणगौड़ा से मिला था. कुमारस्वामी ने विधायक के बेटे को भेजा था, ताकि मैं उनकी जरूरत के हिसाब से बोलूं. इसके बाद उन्होंने ऑडियो से छेड़छाड़ करते हुए इसे एडिट कर दिया.
जब यह क्लिप जारी हुई थी, तब येदियुरप्पा ने कहा था कि अगर इसमें उनकी आवाज हुई तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे. इस पर कुमारस्वामी ने कहा था, ''अगर ऑडियो क्लिप में येदियुरप्पा की आवाज नहीं हुई और इससे छेड़छाड़ हुई हो या यह मिमिक्री हुई तो उन्हें इस्तीफा देने की जरूरत नहीं होगी. मैं खुद इस्तीफा दे दूंगा.’’
जुलाई में बढ़ीं कांग्रेस-जेडीएस सरकार की मुश्किलें
जुलाई 2019 की शुरुआत में कांग्रेस के 13 और जेडीएस के 3 विधायकों ने अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. हालांकि बाद में इनमें से कांग्रेस के एक विधायक रामलिंगा रेड्डी ने अपना इस्तीफा वापस लेने का ऐलान किया.
15 बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी कांग्रेस-जेडीएस सरकार की किस्मत तय करने में अहम साबित हुआ. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं हैं.
अब कई दिनों से लगातार चल रहे कर्नाटक के नाटक खत्म हुआ, 23 जुलाई को मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के नेतृत्व में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर की गठबंधन सरकार विश्वासमत हासिल नहीं कर सकी. विश्वास मत के विरोध में 105 जबकि समर्थन में 99 मत पड़े. गठबंधन सरकार कुल 6 मतों से पीछे रह गई और विश्वास मत जीतने में कामयाब नहीं हो सकी. इसके साथ ही बीजेपी ने कहा है कि वो कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा पेश करेगी.
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