कांग्रेस के नौ विधायकों ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को रद्द करने की गुहार लगाई. कर्नाटक के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश ने इन विधायकों को अयोग्य करार दिया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को विधायकों के इस्तीफे पर संविधान के अनुसार फैसला लेने की पूरी छूट दी थी, लेकिन कहा था कि विधायकों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
पद से इस्तीफा देने का है अधिकार: बागी विधायक
इन नौ विधायकों में ए.एच.विश्वनाथ, के.सी.नारायणगौड़ा, ए.के.गोपालैया, प्रताप गौड़ा और अन्य शामिल हैं. इन विधायकों ने कहा कि उन्हें पद से इस्तीफा देने का अधिकार है और उन्होंने कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के 28 जुलाई के आदेश को शीर्ष अदालत से रद्द करने की मांग की.
28 जुलाई को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के.आर.रमेश ने 14 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया था और उनके दिए गए इस्तीफों को खारिज कर दिया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी के 23 जुलाई को सदन में विश्वास मत प्रस्ताव पेश करने के दौरान 14 विधायक सदन से गैरहाजिर रहे थे.
मूल अधिकारों का हनन है: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ताओं ने याचिका में कहा, "(तब के) विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई इस तरह से याचिकाकर्ताओं के मूल अधिकारों का हनन है, जिसकी संविधान के अनुच्छेद 19 व 21 में गारंटी दी गई है. (पूर्व) विधानसभा अध्यक्ष का याचिकाकर्ताओं को संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्य करार देना व याचिकाकर्ताओं द्वारा दिए गए इस्तीफों को खारिज करना पूरी तरह से अवैध, तर्कहीन और दुर्भावनापूर्ण है."
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