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कर्नाटक: सुप्रीम कोर्ट जाएंगे अयोग्य करार दिए गए 3 विधायक

2023 तक उपचुनाव भी नहीं लड़ सकते अयोग्य करार दिए गए विधायक

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कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रमेश कुमार ने जिन 3 विधायकों को अयोग्य करार दिया है, वे अब सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वाले हैं. सुप्रीम कोर्ट में ये तीनों विधायक स्पीकर के अयोग्य करार देने वाले फैसले को चुनौती देंगे. इन तीन विधायकों में एक निर्दलीय विधायक आर शंकर और दो कांग्रेस के बागी विधायक महेश कुमातल्ली और रमेश जारकिहोली शामिल हैं.

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स्पीकर ने कही थी ये बात

गुरुवार को स्पीकर ने जिन विधायकों को अयोग्य करार दिया था उनके सामने कई चुनौतियां हैं. स्पीकर ने इन तीनों को मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने तक के लिए अयोग्य घोषित किया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस करते वक्त स्पीकर ने मीडिया से कहा था कि ये तीनों विधायक उपचुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे.

‘‘विधायक आर शंकर, रमेश जारकिहोली और महेश कुमातल्ली को 15वीं विधानसभा से संविधान के 10वें शेड्यूल(एंटी डिफेक्श लॉ) के तहत अयोग्य करार दिया गया है. मौजूदा विधानसभा  का कार्यकाल  पूरा होने  तक (2023 तक )के लिए अयोग्यता बरकरार रहेगी. ये उपचुनाव भी नहीं लड़ सकते.’’
रमेश कुमार, स्पीकर(कर्नाटक विधानसभा)

अपने फैसले का स्पीकर ने बताया ये आधार

स्पीकर केआर रमेश कुमार ने 3 विधायकों को अयोग्य करार देने वाले अपने फैसले पर कहा कि इन विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफा नहीं दिया था, इसलिए उनके इस्तीफे को अस्वीकार कर दल-बदल कानून के तहत उन्हें अयोग्य ठहराने की कार्रवाई की गई है. कुछ दिनों में रमेश कुमार बाकी बचे विधायकों के इस्तीफे पर भी फैसला लेने वाले हैं. लेकिन रमेश कुमार ने ये भी कहा है कि अयोग्य ठहराए गए विधायकों के कार्यकाल पर आखिरी फैसला चुनाव आयोग करेगा.

इसके बाद से ये सवाल उठने लगा है कि क्या चुनाव आयोग तीनों विधायकों के पक्ष में फैसला देगा? ऐसा इसलिए, क्योंकि 2018 में तमिलनाडु में विधानसभा स्पीकर ने 18 विधायकों को अयोग्य करार दिया था और कहा था कि ये सभी विधायक उपचुनाव नहीं लड़ सकते हैं. लेकिन उस वक्त चुनाव आयुक्त रहे ओपी रावत ने कहा था कि अयोग्य विधायकों के उपचुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं है. बीजेपी नेता तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत के उसी बयान का हवाला दे रहे हैं.

बता दें कि पिछले दिनों कांग्रेस-जेडीएस के कुल 15 विधायकों ने अपनी पार्टी से बगावत कर स्पीकर को इस्तीफा सौंप दिया था. इसके बाद 23 जुलाई को 14 महीने पुरानी कुमारस्वामी सरकार गिर गई थी. फ्लोर टेस्ट के दौरान कुमारस्वामी सरकार को 99 वोट हासिल हुए थे, जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े थे.

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