एम. करुणानिधि के बेटे एम के स्टालिन डीएमके के अध्यक्ष बन गए हैं. पार्टी मुख्यालय में डीएमके की जनरल काउंसिल की बैठक में के बाद औपचारिक तौर पर उनके नाम की घोषणा की गई. डीएमके की हिस्ट्री में स्टालिन पार्टी के दूसरे अध्यक्ष हैं. इससे पहले करुणानिधि 49 साल तक पार्टी के अध्यक्ष रहे थे.
अध्यक्ष चुने जाने के बाद स्टालिन ने अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया और कार्यालय में पार्टी संस्थापक सीएन अन्नादुरई और अपने पिता एम करुणानिधि को श्रद्धांजलि दी.
डीएमके के दूसरे अध्यक्ष के रूप में स्टालिन का चुनाव निर्विरोध तरीके से होने की पूरी संभावना थी, क्योंकि पार्टी के 65 जिलों के सचिवों ने पार्टी के शीर्ष पद के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया था और उनके विरोध में कोई नामांकन नहीं हुआ था. पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाले वह एकमात्र उम्मीदवार थे.
राहुल गांधी ने दी बधाई
डीएमके अध्यक्ष चुने जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एम के स्टालिन को बधाई दी. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, “स्टालिन अपनी राजनीतिक सफर का एक नया अध्याय शुरू करने जा रहे हैं, मैं उनकी सफलता की कामना करता हूं.”
पिछले कुछ समय में डीएमके और कांग्रेस की नजदीकियां एक बार फिर से बढ़ी है. ऐसे में राहुल गांधी के इस ट्वीट से ऐसा लग रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों दलों के बीच एक बार फिर से गठबंधन हो सकता है.
करुणानिधि का इसी महीने हुआ था निधन
करणानिधि की बीमारी की वजह से स्टालिन को जनवरी 2017 में पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. करुणानिधि की इसी महीने निधन हो गया था.
अलागिरि ने चेतावनी दी है
इस बीच स्टालिन के बड़े भाई एम. के. अलागिरि ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें पार्टी मं जगह नहीं मिली तो नतीजा अच्छा नहीं होगा. अलागिरि को उनके नेतृत्व का विरोध करने को लेकर करुणानिधि ने पार्टी से निष्कासित कर दिया था.
सालों से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं स्टालिन
स्टालिन ने पार्टी में कई पोस्ट पर काम किया है. 1984 में वे पार्टी के यूथ विंग सेक्रेटरी बने थे. स्टालिन इमरजेंसी के दौरान मीसा एक्ट में जेल भी गए. 2003 में उन्हें पार्टी का डेप्यूटी जनरल सेक्रेटरी चुन लिया गया. 2015 में दूसरी बार पार्टी ट्रेजरार के लिए उनका चयन हुआ. 2006 में उन्हें नगर निगम प्रशासन का मंत्री बनाया गया. इसके बाद 2009 में वे डिप्टी सीएम बन गए.
ये भी पढ़ें- करुणानिधि को स्टालिन का खत-‘क्या आखिरी बार आपको अप्पा कह सकता हूं’
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)