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मध्यप्रदेश में 4 बागी विधायकों के समर्थन से बहुमत के पार कांग्रेस

जानिए- कौन हैं वो चार निर्दलीय विधायक जो कांग्रेस में वापसी को हैं तैयार

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मध्य प्रदेश में कांग्रेस भले ही बहुमत से दो सीट दूर रह गई हो, लेकिन पार्टी के चार बागियों ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया है जिससे कांग्रेस के पास बहुमत से 2 ज्यादा विधायक हो गए हैं.

मध्य प्रदेश में दो सीटें जीतने वाली बीएसपी ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को समर्थन करने का ऐलान कर दिया है. उधर, एक सीट जीतने वाली समाजवादी पार्टी पहले ही समर्थन का ऐलान कर चुकी है.

कांग्रेस के पास अब 121 विधायकों का समर्थन हो गया है. निर्दलीय उम्मीदवार के दौर पर निर्वाचित हुए पार्टी के चार बागी विधायक कांग्रेस में वापसी के लिए तैयार हैं. इन चारों ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था.

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किसके पास कितनी सीटें?

  • कांग्रेस - 114
  • भारतीय जनता पार्टी - 109
  • बहुजन समाज पार्टी - 2
  • समाजवादी पार्टी - 1
  • निर्दलीय - 4

कांग्रेस में वापसी के लिए तैयार हैं निर्दलीय विधायक

बताया जा रहा है कि चारों निर्दलीय विधायक कांग्रेस में वापसी के लिए तैयार हैं. इन विधायकों में बुरहानपुर सीट से ठाकुर सुरेंद्र नवल सिंह, सुसनेर से विक्रम सिंह राणा, खरगौन से केदार डावर और वारासिवनी से प्रदीप जायसवाल शामिल हैं.

ठाकुर सुरेंद्र सिंह नवल कांग्रेस के बागी हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया से अदावत की वजह से इस बार टिकट नहीं मिल पाया, जिसके बाद निर्दलीय चुनाव लड़े और बीजेपी की अर्चना चिटनिस को हराया.

ठाकुर सुरेंद्र सिंह नवल उर्फ शेरा भैया ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बुरहानपुर सीट से चुनाव लड़ा था. उन्होंने बीजेपी की अर्चना चिटनिस को 5120 वोटों से हराया है. इस सीट पर कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही. कांग्रेस ने बुरहानपुर सीट से रविंद्र सुक महाजन को चुनाव लड़ाया था, जिन्हें कुल 15369 वोट हासिल हुए. साल 2013 के चुनाव में यहां से बीजेपी की अर्चना चिटनिस ने 22827 वोटों के अंतर से चुनाव जीता था.

विक्रम सिंह राणा भी कांग्रेस के बागी हैं. टिकट न मिलने पर कांग्रेस से इस्तीफा दिया था और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा. राणा ने कांग्रेस के ही महेंद्र भैरो सिंह को बड़े मार्जन से हराया.

विक्रम सिंह राणा उर्फ गुड्डू भाई ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सुसनेर सीट से चुनाव लड़ा था. उन्होंने कांग्रेस के महेंद्र भैरो सिंह बापू को 27062 वोटों से हराया है. इस सीट पर बीजेपी तीसरे नंबर पर रही. बीजेपी ने सुसनेर सीट से मुरलीधर पाटीदार को चुनाव लड़ाया था, जिन्हें कुल 43880 वोट हासिल हुए. साल 2013 के चुनाव में इस सीट से बीजेपी के मुरलीधर पाटीदार ने 27676 वोटों के अंतर से चुनाव जीता था.

केदार डावर पूर्व कांग्रेसी हैं. साल 2003 में धूलकोट से विधायक चुने गए थे. इस बार टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़े थे.

केदार डावर ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भगवानपुरा सीट से चुनाव लड़ा था. उन्होंने बीजेपी के जमना सिंह सोलंकी को 9716 वोटों के अंतर से हराया है. इस सीट पर कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही. कांग्रेस ने भगवानपुरा सीट से विजय सिंह सोलंकी को चुनाव लड़ाया था, जिन्हें कुल 20112 वोट हासिल हुए. साल 2013 के चुनाव में इस सीट से बीजेपी के विजय सिंह ने 1820 वोटों के अंतर से चुनाव जीता था.

प्रदीप जायसवाल पूर्व कांग्रेसी हैं. साल 2008 में कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे. लेकिन 2013 के चुनाव में हार गए. इस बार कांग्रेस ने टिकट नहीं दी तो निर्दलीय चुनाव लड़ा.

प्रदीप जायसवाल ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर वारासिवनी सीट से चुनाव लड़ा था. उन्होंने बीजेपी के योगेंद्र निर्मल को 3862 वोटों के अंतर से हराया है. इस सीट पर कांग्रेस चौथे नंबर पर रही. कांग्रेस ने इस सीट से संजय सिंह मसानी को चुनाव लड़ाया था, जिन्हें कुल 11785 वोट हासिल हुए. साल 2013 के चुनाव में इस सीट से बीजेपी के योगेंद्र निर्मल ने 17938 वोटों के अंतर से चुनाव जीता था.

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