मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सत्ता में आए एक साल से ज्यादा का वक्त गुजर गया है, मगर नेताओं में आपसी सामंजस्य अबतक बनता नहीं दिख रहा है. कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के सड़क पर उतरने वाले बयान और मुख्यमंत्री कमलनाथ के तल्ख जवाब से इतना तो साफ हो ही गया है कि पार्टी के भीतर सब ठीक नहीं है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के किसानों के कर्ज माफ करने के वादे को पूरा न करने पर सड़कों पर उतरने वाले बयान पर अब मध्य प्रदेश के मंत्री गोविंद सिंह ने कहा है कि सिंधिया को ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए.
सिंधिया कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. उन्हें सार्वजनिक रूप से इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. जो काम शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी को राज्य की जनता ने दिया है कि वह आंदोलन, प्रदर्शन करें वह हमारी पार्टी के नेताओं को नहीं करना चाहिए.गोविंद सिंह, मंत्री, मध्य प्रदेश
'5 साल के लिए वचन दिया है 1 साल के लिए नहीं'
गोविंद सिंह ने सिंधिया पर ही कहा है कि आजाद भारत में जिसको सड़क पर उतरना है उतर सकता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने 5 साल के लिए वचन दिया है 1 साल के लिए नहीं.
जब कमलनाथ से पूछा गया कि सिंधिया ने कहा था अगर सरकार किसान कर्जमाफी और अन्य वादों को पूरा नहीं करती तो वो सड़क पर उतर जाएंगे. इसके जवाब में कमलनाथ ने कहा- “तो उतर जाएं”. बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस नेताओं की एक बैठक भी हुई थी. जिसके बाद सब कुछ ठीक होने की बात हो रही थी लेकिन कमलनाथ के बयान ने कलह के संकेत दिए थे.
गोविंद सिंह भी मान चुके हैं, हो रही है देरी
सिंधिया के बयान से पहले मंत्री गोविंद सिंह ने भी माना था कि किसानों की कर्जमाफी में देरी हो रही है. हाल ही में एक कार्यक्रम में गोविंद ने कहा था कि "राहुल गांधी ने कहा था कि सरकार बनाने के बाद हम 10 दिनों में 2 लाख रुपए तक का किसानों का कर्ज माफ करेंगे, लेकिन हम अभी तक नहीं कर सके."
“विपक्ष का कहना है कि हमने लोगों के साथ विश्वासघात किया है. मैं बताना चाहता हूं कि ये थोड़ा मुश्किल है इसलिए कर्ज माफ करने में देरी हो रही है.”गोविंद सिंह, मंत्री, मध्य प्रदेश
बता दें, साल 2018 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी ने ऐलान किया था कि अगर राज्य में उनकी सरकार आएगी, तो वह 10 दिन के अंदर ही किसानों का कर्ज माफ कर देगी. इसके बाद कांग्रेस ने किसानों के कर्जमाफी को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया था. राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद वादे के मुताबिक, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभालते ही कमलनाथ ने सबसे पहले किसानों के दो लाख रुपये तक की कर्जमाफी की फाइल पर दस्तखत किए थे.
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