मध्य प्रदेश का सियासी संकट वक्त के साथ और गहराता जा रहा है. 16 मार्च को बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के बाद विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी गई. इसके बाद बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट के लिए निर्देश दिए जाने की मांग की है. इसके अलावा बीजेपी ने राज्यपाल के सामने अपने विधायकों की परेड भी कराई है.
इस बारे में बीजेपी नेता और मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा, ‘’हमने आज 106 विधायकों का एक हलफनामा राज्यपाल को सौंप दिया. सभी बीजेपी विधायक उनके सामने मौजूद थे.’’
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान ने कहा
- कमलनाथ जी की सरकार अल्पमत में है, बहुमत खो चुकी है
- राज्यपाल ने सरकार को आदेश दिया था कि उनके अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट कराया जाए
- राज्यपाल के आदेश का पालन नहीं किया गया, सरकार सत्र स्थगित कर भाग गई
- बहुमत बीजेपी के पास है, हमने राज्यपाल के सामने विधायकों की परेड कराई है
कमलनाथ बोले- विधायकों को बनाया गया बंदी, ऐसे में फ्लोर टेस्ट का मतलब नहीं
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 16 मार्च की सुबह राज्यपाल टंडन को लेटर लिखकर कहा कि उनकी पार्टी के विधायकों को बीजेपी द्वारा कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में बेंगलुरु में ‘बंदी’ के रूप में रखा गया है और ऐसी स्थिति में सदन में फ्लोर टेस्ट कराना अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक होगा. उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट का मतलब तभी होगा जब सभी विधायक बंदिश से बाहर और पूरी तरह से दबावमुक्त हों.
16 मार्च को मध्य प्रदेश विधानसभा में क्या हुआ?
16 मार्च को विधानसभा में इस साल के बजट सत्र का पहला दिन था. सत्र की शुरुआत में विधानसभा में राज्यपाल लालजी टंडन का अभिभाषण हुआ. इसके बाद बीजेपी विधायकों की विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग के साथ हंगामा शुरू हो गया.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर गोविंद सिंह ने देश में कोरोनावायरस के खतरे के मुद्दे को उठाया और केंद्र सरकार की एडवाइजरी का भी जिक्र किया. इसके बाद विधानसभा स्पीकर ने सिंह के अनुरोध को स्वीकार करते हुए विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी.
राज्यपाल टंडन ने 16 मार्च को विधानसभा में कहा, ‘’मैं सभी (विधानसभा) सदस्यों को सलाह देना चाहता हूं कि वो शांतिपूर्ण तरीके से अपने दायित्व का पालन करें ताकि मध्य प्रदेश के गौरव और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा हो सके.’’
ऐसे शुरू हुआ मध्य प्रदेश का हालिया सियासी संकट
मध्य प्रदेश का हालिया राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दिया. सिंधिया कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. उधर मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिन्हें सिंधिया खेमे का बताया जा रहा है. हालांकि कांग्रेस का आरोप है कि उसके विधायकों को बंधक बनाया गया है.
मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने 22 में से 6 विधायकों के इस्तीफे को ही स्वीकार किया है. ऐसे में 16 ‘बागी’ विधायकों के इस्तीफे पर अभी स्पीकर का फैसला बाकी है. इस बीच मध्य प्रदेश विधानसभा का मौजूदा संख्याबल 222 हो गया है, जबकि बहुमत का आंकड़ा 112 हो गया है.
बात कांग्रेस के संख्याबल की करें तो उसके पास फिलहाल (16 ‘बागी’ विधायकों सहित) 108 विधायक हैं. इसके अलावा उसे 7 सहयोगी विधायकों का भी समर्थन हासिल है. जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं.
अगर बाकी 16 विधायकों के भी इस्तीफे मंजूर हो जाते हैं तो विधानसभा का संख्याबल घटकर 206 हो जाएगा. उस स्थिति में बहुमत का आंकड़ा घटकर 104 हो जाएगा और बीजेपी की सरकार बनाने की राह साफ हो जाएगी.
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