मध्य प्रदेश में लंबी ‘माथापच्ची’ के बाद 2 जुलाई को शिवराज सिंह चौहान सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार तो हो गया, लेकिन अब बताया जा रहा है कि विभागों के बंटवारे पर पेंच फंस गया है. बता दें कि मंत्रिमंडल विस्तार में 28 मंत्रियों (20 कैबिनेट मंत्री, 8 राज्य मंत्री) को शपथ दिलाई गई. इन नए मंत्रियों में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया के 12 समर्थक भी शामिल हैं.
हालांकि, मुख्यमंत्री चौहान खुद अपने चार करीबी विधायकों को ही मंत्री बना सके और बाकी चार करीबी पूर्व मंत्रियों और वरिष्ठ विधायकों को इसमें जगह नहीं दे पाए. इससे पहले 21 अप्रैल को हुए पांच सदस्यीय मंत्रिपरिषद के गठन में भी चौहान अपने किसी करीबी को मंत्री नहीं बना सके थे. अब जब विभागों के बंटवारे की बारी है, तो इसमें भी चौहान की राह आसान नजर नहीं आ रही.
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, विभागों के बंटवारे में तीन तरफ से पेंच फंसा है- शिवराज सिंह चौहान के भरोसेमंद, सिंधिया की टीम और केंद्रीय नेतृत्व की पसंद के बीजेपी नेता.
'सिंधिया के समर्थक चाहते हैं बड़े विभाग'
रिपोर्ट में बीजेपी से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सिंधिया के समर्थक बड़े विभागों पर जोर दे रहे हैं- जिनमें वो विभाग भी शामिल हैं, जो उनके पास कांग्रेस की अगुवाई वाली पिछली सरकार में थे.
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी की राज्य इकाई से साफ-साफ कहा है कि पार्टी सिंधिया और उनके समर्थकों की वजह से मध्य प्रदेश की सत्ता में लौटी है, ऐसे में विभागों के बंटवारे में कोई समझौता नहीं किया जा सकता.
दरअसल मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों के राज्य विधानसभा से त्यागपत्र देने से कमलनाथ के नेतृत्व वाली (कांग्रेस की अगुवाई वाली) सरकार 15 महीने में ही गिर गई थी और चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में बीजेपी सरकार बनी थी. कांग्रेस के ज्यादातर बागी विधायक, जिन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, सिंधिया के समर्थक माने जाते हैं.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सिंधिया अपने समर्थकों के पास हेल्थ, रेवेन्यू, ट्रांसपोर्ट, स्कूल एजुकेशन, फूड एंड सिविल सप्लाइज, लेबर एंड डब्ल्यूसीडी जैसे विभाग रखना चाहेंगे. सिंधिया के समर्थक एनर्जी, कमर्शियल टैक्स, माइनिंग एंड अर्बन डिवेलपमेंट से जुड़े विभाग भी अपने पास रखना चाहते हैं.
ऐसे में माना जा रहा है कि विभागों के बंटवारों को लेकर अब बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व ही फैसला करेगा.
इस मामले पर कांग्रेस मीडिया कोऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि पहले मंत्रियों के चयन पर फैसला भी बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने किया और अब विभागों का बंटवारा भी वहीं से होगा. उन्होंने कहा है कि सिंधिया के आने के बाद बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश में सरकार चलाना आसान नहीं होगा.
बता दें कि शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को अकेले मुख्यमंत्री की शपथ ली थी और कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के बीच मुख्यमंत्री चौहान 29 दिन तक अकेले ही सरकार चलाते रहे. बाद में उन्होंने 21 अप्रैल को पांच सदस्यीय मंत्रिपरिषद का गठन किया था.
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