करीब एक दशक पहले टीवी पर बड़ा ही लोकप्रिय विज्ञापन चलता था-
एमपी अजब है, सबसे गजब है एक नहीं, दो नहीं, सैंकड़ों यहां शेर हैं...
ये विज्ञापन मध्य प्रदेश टूरिज्म ने बनवाया था लेकिन लगता है कि बनाने वाले के जहन में पर्यटन से ज्यादा पॉलिटिक्स रही होगी. यकीन नहीं तो मौजूदा सियासी घटनाओं पर नजर डालिए. खड़ताल बजाकर मुनादी कर रही हैं- एमपी अजब भी है, गजब भी है. और यहां शेर भी कई हैं.
सिंधिया के बयान से बढ़ी हलचल
मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में कयासों ने करवट ली कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के हालिया बयान से. 2 जुलाई को हुए कैबिनेट विस्तार की हलचल के बीच कांग्रेस के पुराने साथियों कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए सिंधिया ने कहा-
मैं उन दोनों को कहना चाहता हूं, कमलनाथ जी और दिग्विजय सिंह जी, आप दोनों सुन लीजिए, टाइगर जिंदा है.ज्योतिरादित्य सिंधिया, बीजेपी नेता, राज्यसभा
दरअसल 100 दिन से ज्यादा की माथापच्ची के बाद बने शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में जिन 28 विधायकों ने शपथ ली उनमें से 9 सिंधिया खेमें के हैं. और विस्तार में जाएं तो 16 उस ग्वालियर-चंबल इलाके से आते हैं जो सिंधिया मजबूत गढ़ माना जाता है.
एक तीर, दो निशाने?
कहते हैं कि असल बात शब्दों में नहीं बल्कि शब्दों के बीच छुपी खामोशी में होती है, खासतौर पर तब, जब शब्द सियासत के किसी पुराने खिलाड़ी के हों. सिंधिया के बयान का एक मतलब ये भी निकाला गया कि वो अपनी मर्जी के लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल करवाकर शिवराज को भी संदेश दे रहे हैं.
संदेश ये कि- मैं कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में बैक-सीट पर बैठने नहीं आया हूं. शपथ ग्रहण के फौरन बाद नए मंत्रियों को बधाई मिलती तस्वीरों में सिंधिया, शिवराज और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ पूरे एक्शन में नजर आए थे.
दरअसल थोड़े ही वक्त के अंतर पर सिंधिया ने ‘टाइगर’ वाला बयान दो बार दिया. पहली बार बिना किसी का नाम लिए और दूसरी बार कमलनाथ और दिग्विजय का नाम लेकर. अब अपनी सरकार गिरने का दर्द कहिए या पुरानी अदावत, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सिंधिया पर पलटवार कर सुर्खियां अपनी तरफ मोड़ लीं. कमलनाथ ने चुटकी लेते हुए कहा-
देखना होगा कागज का टाइगर है या सर्कस का टाइगर कौन सा टाइगर अभी जिंदा है.कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश
कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ने जरा तीखा तीर चलाया. उन्होंने ट्वीट किया- जब शिकार प्रतिबंधित नहीं था, तब मैं और श्रीमंत माधवराव सिंधिया जी शेर का शिकार किया करते थे. इंदिरा जी के वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन एक्ट लाने के बाद से मैं अब सिर्फ शेर को कैमरे में उतारता हूं.
लेकिन इसके करीब दो घंटे बाद उन्होंने लड़ते हुए दो बाघों की तस्वीर के साथ एक और ट्वीट किया- 'शेर का सही चरित्र आप जानते हैं? एक जंगल में एक ही शेर रहता है!!'
इस ट्वीट में इशारा था कि ये खींचतान दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया और शिवराज के बीच की है और बीजेपी में दोनों में से किसी एक की ही चलेगी.
पहली बार जिंदा नहीं हुआ ‘टाइगर’
‘टाइगर जिंदा है’ का ये फिल्मी डायलॉग लोगों ने पहली बार 2017 में आई एक हिंदी फिल्म में सलमान खान से सुना था. लेकिन मध्य प्रदेश के लोगों ने इसे ज्यादा शिवराज सिंह से सुना. दिसंबर, 2018 में सत्ता से बाहर होने के बाद शिवराज जब बीजेपी कार्यकर्ताओं की बैठकों में जाते थे तो कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहते थे कि, ‘वो ये ना भूलें कि टाइगर अभी जिंदा है.’
सहमा सा शिवराज कैंप!
मध्य प्रदेश की राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि सिंधिया के बयान और तेवरों के बाद शिवराज कैंप सहमा हुआ दिख रहा है. खुद को ‘जिंदा टाइगर’ बताकर सिंधिया ने ये संदेश भी दिया है कि वो भले ही राज्ययभा में हों लेकिन आने वाले दिनों में सूबे की पॉलिटिक्स में भी सक्रिय रहेंगे.
तिल देखो, ताड़ देखो, शेर की दहाड़ देखो
तो इन राजनीतिक बयानबाजियों के बीच कहीं सतपुड़ा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना और कान्हा के शेरों को ही अस्तित्व का संकट ना हो जाए. इसलिए शुरुआत की तरह मैं खत्म भी एक विज्ञापन से ही करता हूं. करीब डेढ़ दशक पहले ये विज्ञापन भी मध्य प्रदेश पर ही बना था.
तिल देखो, ताड़ देखो, आंखे फाड़-फाड़ देखो, मार्बल का पहाड़ देखो, शेर की दहाड़ देखो..
अब वो शेर कागज का है, सर्कस का या फिर जंगल का- ये आप खुद तय कर लीजिए.
जानिए- एमपी में कैबिनेट विस्तार के पीछे की पॉलिटिक्स -
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