मध्य प्रदेश का सियासी संकट बरकरार है. फ्लोर टेस्ट को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को करीब 4 घंटे सुनवाई हुई. कांग्रेस, बीजेपी, राज्यपाल, स्पीकर और बागी विधायकों की ओर से 5 वकीलों ने दलीलें पेश कीं.अब गुरुवार को फिर सुनवाई होगी.
बागी विधायकों को बंधक नहीं बनाया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार की सुनवाई के दौरान कहा कि 16 बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल हों या नहीं, लेकिन उन्हें बंधक नहीं रखा जा सकता. वहीं, विधायकों ने कहा कि स्पीकर को उनके इस्तीफे मंजूर करने का निर्देश दिया जाए.
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर से पूछा कि आखिर विधायकों के इस्तीफों को अभी तक स्वीकार क्यों नहीं किया गया? इस बीच, मुख्यमंत्री कमलनाथ और राज्यपाल लालजी टंडन ने एक दूसरे को चिट्ठियां लिखीं.
विधानसभा स्पीकर से पूछे सवाल, विधायकों के इस्तीफे पर फैसला क्यों नहीं लिया
बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर अदालत चाहे तो वह 16 बागी विधायकों को जज के चैंबर में या रजिस्ट्रार के सामने पेश कर सकते हैं. हालांकि, जज ने इसके लिए मना किया और कहा कि वो ऐसा आदेश जारी नहीं कर सकते.
अदालत ने एमपी के विधानसभा स्पीकर से सवाल किया कि आखिर आपने विधायकों के इस्तीफे पर अभी तक फैसला क्यों नहीं लिया? क्या ये विधायक अपने आप अयोग्य नहीं हो जाएंगे? अगर आप संतुष्ट नहीं हैं, तो आप विधायकों के इस्तीफे को नामंजूर कर सकते हैं. आपने 16 मार्च को बजट सत्र को टाल दिया. अगर आप बजट को पास नहीं करेंगे, तो सरकार का कामकाज कैसे चलेगा?
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में कमलनाथ की ओर से दलील दी गई कि , 'मैं कांग्रेस का सदस्य हूं और मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं. बागी विधायक भी कांग्रेसी हैं. मैं उनसे मिलना चाहता हूं.' इस पर बागी विधायकों के वकील ने दलील दी कि कमलनाथ से विधायक नहीं मिलना चाहते हैं. इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कमलनाथ के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि हम विधायकों से मिलने का आदेश नहीं दे सकते हैं. यह बच्चों का मामला नहीं हैं.
कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल से की मुलाकात
इस बीच, कांग्रेस विधायक दल ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा. कांग्रेस ने राज्यपाल से कहा कि मध्य प्रदेश कांग्रेस के 16 विधायकों को बेंगलुरु में भारतीय जनता पार्टी ने बंधक बनाकर रखा है. इन विधायकों को मुक्त कराने के लिए विधायक दल के नेता और मुख्यमंत्री कमलनाथ भी अपील कर चुके हैं
कमलनाथ सरकार की ओर से बहुमत परीक्षण नहीं कराने के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नौ बीजेपी विधायकों ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. जबकि दूसरी याचिका कांग्रेस विधायकों की है. इसमें बेंगलुरु में ठहरे 22 बागी विधायकों को वापस लाने का निर्देश देने की मांग की गई है. मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच कर रही है. कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे, बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी, राज्यपाल के वकील तुषार मेहता, स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह कर रहे हैं.
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