महाराष्ट्र में सरकार तो बन गई है. लेकिन सियासी हलचल अभी जारी है. ऐसे में विरोधी पार्टियों के नेताओं के बीच 'मेल-मिलाप' के दौर भी जारी हैं. 9 दिसंबर को एक तरफ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अजित पवार ने नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की. तो दूसरी तरफ बीजेपी के 'नाराज' नेता एकनाथ खड़से ने एनसीपी चीफ शरद पवार से मुलाकात की.
ये मुलाकात क्या कहलाती है?
सूत्रों के मुताबिक, एकनाथ खड़से 10 दिसंबर को उद्धव ठाकरे से मिल सकते हैं. कहा तो ये जा रहा है कि ये मुलाकात में कोई सियासत नहीं है, लेकिन खड़से की पार्टी से नाराजगी जगजाहिर है. चुनाव से पहले ही वो अपनी नाराजगी जता चुके हैं. पार्टी ने उनकी नाराजगी दूर करने का जिम्मा विनोद तावड़े और भूपेंद्र यादव को दिया है.
उधर अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस की मुलाकात उनके साझा कोशिशों से बनी 80 घंटे की सरकार और इसके गिरने के बाद पहली बार हुई.
दोनों नेता रविवार को निर्दलीय विधायक संजय शिंदे की शादी के लिए आमंत्रित थे. शादी समारोह में दोनों एक ही सोफे पर बैठे नजर आए, जिसके बाद वह मीडिया की नजरों में भी आ गए और उनकी तस्वीरें भी खूब खींची गई.
राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन नहीं होता: देवेंद्र फडणवीस
अजित पवार ने हालांकि फडणवीस के साथ मुलाकात के संबंध में सोमवार को बारामती में कहा कि राजनीति में कोई भी स्थायी दुश्मन नहीं होता. पवार ने एक मुस्कान के साथ कहा, "उन्हें आमंत्रित किया गया था. मुझे भी संजय शिंदे द्वारा शादी के लिए आमंत्रित किया गया था. हम एक साथ बैठे थे और हमने सिर्फ मौसम पर चर्चा की."
मंत्री पद दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, "यह मुख्यमंत्री (उद्धव ठाकरे) का विशेषाधिकार है, जो इस पर फैसला लेंगे."
मंत्री या उपमुख्यमंत्री के अपने संभावित पद के सवाल पर पवार ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता उन्हें पद पर चाहते हैं, लेकिन अंतिम फैसला एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और महा विकास अघाड़ी का होगा जिसमें शिवसेना और कांग्रेस भी शामिल हैं. उन्होंने हाल ही में सिंचाई घोटाले में जांचकर्ताओं से मिली 'क्लीन चिट' पर बात करने से इनकार कर दिया.
(इनपुट: IANS से भी)
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