उद्धव ठाकरे का 'तख्तापलट' कर बीजेपी के साथ गठबंधन की मदद से मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) विधानसभा के फ्लोर (Maharashtra Floor Test) पर अपना बहुमत साबित कर दिया है. विधानसभा में हुए फ्लोर टेस्ट में एकनाथ शिंदे सरकार के पक्ष में कुल 164 वोट पड़े हैं जो कि बहुमत के जादुई आंकड़े- 144 से 20 वोट से अधिक है. जबकि उनके विपक्ष में 99 वोट पड़े हैं.
इसके साथ ही महाराष्ट्र में पिछले लगभग 2 हफ्तों से चल रहे सियासी संकट और बगावती एपिसोड का यह अध्याय अभी के लिए समाप्त हो गया है.
विधानसभा में आज क्या हुआ?
बीजेपी के सुधीर मुनगंटीवार और शिवसेना के चीफ व्हिप भरत गोगावाले ने विश्वास मत प्रस्तावित किया था. ध्वनि मत के बाद विश्वास मत के प्रस्ताव पर विपक्ष ने डिवीजन ऑफ वोट (एक एक वोट की गिनती) की मांग की गयी.
विधानसभा अध्यक्ष ने इस मांग को अपनी अनुमति दे और एक एक वोट की गिनती की प्रक्रिया शुरू हो गयी. इसके लिए सदस्यों को गिनती के लिए खड़े होने के लिए कहा गया.
महाराष्ट्र में बुलाए गए दो दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन, रविवार को बीजेपी के राहुल नार्वेकर विधानसभा नए अध्यक्ष चुन लिए गए थे. इससे जहां बागी शिवसेना विधायकों और बीजेपी की सत्ताधारी गठबंधन को फ्लोर टेस्ट के पहले ही बड़ी बढ़त मिल गयी थी. वहीं उद्धव ठाकरे जानते थे कि नए विधानसभा अध्यक्ष उनके 'असली शिवसैनिक' होने के दावों और बागियों के खिलाफ दल-बदल कानून के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेंगे.
विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव बता रहा था- बागी शिवसेना और बीजेपी के पास है संख्याबल
महाराष्ट्र सरकार को संभालने के कुछ दिनों बाद बीजेपी-शिंदे समूह गठबंधन ने रविवार को राज्य विधानसभा में अपनी पहली चुनौती को आसानी से पार कर लिया. बीजेपी विधायक राहुल नार्वेकर ने विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव जीता. नरवेकर को जहां 164 वोट मिले, वहीं उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार राजन साल्वी को केवल 107 वोट मिले.
राहुल नार्वेकर ने विधानसभा अध्यक्ष बनते ही उद्धव ठाकरे को पहला झटका दिया. नवनिर्वाचित अध्यक्ष ने शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में विधायक अजय चौधरी की नियुक्ति को खारिज कर शिंदे खेमे को राहत दी. साथ ही उन्होंने शिवसेना के मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) के रूप में विधायक सुनील प्रभु की नियुक्ति को भी रद्द कर दिया. चौधरी और प्रभु, दोनों ही उद्धव ठाकरे खेमे से हैं.
इसके अलावा, अध्यक्ष ने एकनाथ शिंदे की 2019 में शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में नियुक्ति को बरकरार रखा. यानी बीजेपी-शिंदे गुट के गठबंधन के पहले प्रयोग (विधानसभा अध्यक्ष) ने सोमवार को हुए फ्लोर टेस्ट में उनके लिए आसान मंच सजा दिया.
नंबर गेम में शिंदे सरकार कैसे सुरक्षित दिख रही थी?
शिंदे खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली उद्धव ठाकरे गुट की एक याचिका सुप्रीम कोर्ट के सामने है. लेकिन 16 विधायकों के अयोग्य होने की स्थिति में भी नई सरकार सुरक्षित दिख रही थी.
बीजेपी के पास वर्तमान में 106 विधायक हैं और एकनाथ शिंदे का दावा है कि उन्हें शिवसेना के 39 बागियों सहित 50 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. 16 विधायकों की अयोग्यता बहुमत के आंकड़े को 137 पर लाएगी, शिंदे सरकार अभी भी 140 विधयकों के साथ एक आरामदायक स्थिति में होगी.
राहुल नार्वेकर का विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव जीतना, जिसमें उन्हें 164 वोट मिले, भी बता रहा है कि शिंदे सरकार का मजबूत स्थिति में हैं.
सीएम एकनाथ शिंदे और उनके डिप्टी देवेंद्र फडणवीस ने रविवार रात फ्लोर टेस्ट से पहले एक और बैठक की थी. गोवा से बागियों की वापसी के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की यह लगातार दूसरी शाम की बैठक थी. जाहिर तौर पर बीजेपी और शिंदे गुट फ्लोर टेस्ट में कोई चूक नहीं चाहता है.
उद्धव कैंप के 16 विधायकों को बर्खास्त करने के लिए स्पीकर जारी करेंगे नोटिस,उद्धव पहुंचे SC
बागी शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के मुख्य सचेतक/ चीफ व्हिप भरत गोगावाले ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को एक याचिका देकर पार्टी के 16 विधायकों को व्हिप का उल्लंघन करने पर निलंबित करने की मांग की है.
विधानसभाअध्यक्ष के कार्यालय ने पुष्टि की है कि 16 विधायकों को निलंबन के लिए नोटिस जारी किया जाएगा. गोगावले ने पिछले गुरुवार को गोवा में पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए ठाकरे खेमे के सभी 16 शिवसेना विधायकों को एक व्हिप जारी किया था, जिसका उन्होंने उल्लंघन किया था.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों के नए पार्टी व्हिप को मान्यता देने के नए स्पीकर के आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की तारीख 11 जुलाई को तय की है.
6 महीने में गिर सकती है एकनाथ की सरकार- शरद पवार
एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव होने की संभावना है क्योंकि शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार अगले छह महीनों में गिर सकती है. उन्होंने रविवार की शाम को मुंबई में NCP विधायकों और पार्टी के अन्य नेताओं को संबोधित करते हुए यह बयान दिया.
पवार ने यह भी दावा किया कि इस प्रयोग की विफलता के कारण कई बागी विधायक अपनी मूल पार्टी में लौट आएंगे. उन्होंने कहा कि अगर हमारे हाथ में केवल छह महीने हैं, तो NCP विधायकों को अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में अधिक समय बिताना चाहिए.
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