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'सत्ता आए या जाए, शिवसेना को फर्क नहीं पड़ता', 'सामना' के जरिए बागियों को दो टूक

Maharashtra Political Crisis: शिवसेना ने आरोप लगाया है कि उनके विधायक बीजेपी की गिरफ्त में फंस गए हैं.

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महाराष्ट्र में सियासी संकट (Maharashtra Political Crisis) गहराता जा रहा है. एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की बगावत के बाद महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार पर तलवार लटक रही है. इस बीच शिवसेना (Shiv Sena) ने अपने मुखपत्र 'सामना' (Saamana) के जरिए बागी विधायकों और बीजेपी पर निशाना साधा है. 'सामना' के संपादकीय में लिखा गया है कि जो लोग महाराष्ट्र में नई सरकार बनाने का सपना देख रहे हैं वह उनका स्वप्नदोष है. इसके साथ ही बागी विधायकों को सावधान हो जाने की चेतावनी भी दी गई है.

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'बीजेपी की गिरफ्त में फंसे शिवसेना विधायक'

शिवसेना ने 'सामना' के जरिए एक बार फिर बीजेपी पर आरोप लगाया है. सामना में लिखा गया कि, "शिवसेना के टिकट पर, पैसों पर, निर्वाचित हुए मेहनतवीर विधायक बीजेपी की गिरफ्त में फंस गए हैं." इसके साथ ही कहा गया है कि बीजेपी कहती है कि इस घटनाक्रम से उसका कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन यह सिर्फ एक मजाक भर लगता है, क्योंकि सूरत के होटल में बीजेपी के लोग मौजूद थे. वहीं गुवाहाटी हवाई अड्डे पर असम के मंत्री ने बागी विधायकों का स्वागत किया था.

शिवसेना विधायकों को चेतावनी

मुखपत्र के जरिए शिवसेना ने बागी विधायकों को सावधान हो जाने के लिए भी कहा है. संपादकीय में बागियों से पूछा गया है कि, "शिवसेना द्वारा उम्मीदवारी देकर मेहनत से जीतकर लाए और अब शिवसेना से बेईमानी कर रहे हो? इन सवालों के जवाब देने पड़ेंगे."

इसके साथ ही सामना में लिखा गया है कि नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे और उनके साथ मौजूद विधायकों को पहले मुंबई आना होगा. विश्वासमत प्रस्ताव के समय महाराष्ट्र की जनता की नजर से नजर मिलाकर विधानभवन की सीढ़ी चढ़नी पड़ेगी. मुख्यपत्र के जरिए बागी विधायकों को चेतावनी देते हुए लिखा गया है कि,

"शिवसैनिकों ने तय किया तो सभी लोग हमेशा के लिए ‘भूतपूर्व’ हो सकेंगे. इसके पहले की बगावतों का इतिहास यही कहता है. समय रहते सावधान हो जाओ, समझदार बनो!"

'उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता शिखर पर'

मुखपत्र के जरिए शिवसेना ने कहा है कि विधानसभा में जो होना है वो होगा, परंतु मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता शिखर पर है. लोक मन में उद्धव ठाकरे प्रिय हैं. शिवसेना का संगठन मजबूत है इसलिए अलग समूह बनाकर असम गए लोगों को विधायक, माननीय बनने का मौका मिला. ये सभी विधायक एक बार फिर चुनाव का सामना करते हैं तो जनता उन्हें पराजित किए बगैर नहीं रहेगी.

"आज बीजेपी वाले उन्हें हाथों की हथेली पर आए जख्म की तरह संभाल रहे हैं, वे आवश्यकता समाप्त होते ही पुन: कचरे में फेंक देंगे. बीजेपी की परंपरा यही रही है."

'सत्ता आए या जाए, शिवसेना को फर्क नहीं पड़ता'

महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के बीच शिवसेना ने अपने मुख पत्र में लिखा कि "कोई कितना भी जोर लगा रहा होगा फिर भी तूफान खत्म होगा और आकाश साफ होगा. जो लोग महाराष्ट्र में नई सरकार स्थापित करने का सपना देख रहे हैं ये उनका स्वप्नदोष है."

इसके साथ ही हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव पर भी टिप्पणी की गई है. सामना में कहा गया है कि, "राज्यसभा, विधान परिषद चुनाव की ‘अतिरिक्त’ जीत किसकी वजह से मिली है, यह अब खुल गया है." वहीं संपादकीय में लिखा गया है कि शिवसेना को सत्ता के आने-जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है.

"शिवसेना ने ऐसे कई प्रसंगों को पचाया है. ऐसे संकटों के सीने पर पांव रखकर शिवसेना खड़ी रही. जय-पराजय को पचाया है. सत्ता आई या गई, शिवसेना जैसे संगठन को फर्क नहीं पड़ता है."

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