ADVERTISEMENTREMOVE AD

MP उपचुनाव: 27 सीटों पर जीत के लिए कांग्रेस-बीजेपी के दांव

खाली पड़ी 27 सीटों पर चुनाव कब होंगे इस पर अभी सस्पेंस बना हुआ है

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस संकट के पहले मार्च में कैसे सत्ता पलटी, सभी ने देखा. थोक में कांग्रेस विधायकों ने घेराबंदी की और ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस से इस्तीफा देकर कमलनाथ सरकार गिरा दी. लेकिन कांग्रेस से बीजेपी में आए 'रणबांकुरों' के लिए अब बारी है फिर से बीजेपी के टिकट पर जनादेश पाने की. मौका है मध्य प्रदेश में 27 सीटों पर उपचुनावों का.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
खाली पड़ी 27 सीटों पर चुनाव कब होंगे इस पर अभी सस्पेंस बना हुआ है. जिन 27 सीटों पर उपचुनाव होना है उनमें से 16 सीटें तो अकेले ग्वालियर चंबल क्षेत्र की हैं. वहीं कोरोना वायरस का संक्रमण भी इस इलाके में पिछले दिनों में काफी बढ़ा है.

पहले चुनावी गणित समझिए

230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में वर्तमान में 203 सदस्य हैं और वहीं 27 सीटें खाली हैं, जिनके लिए उपचुनाव होना है. कांग्रेस 114 से घटकर 89 सीटें, बीजेपी के पास 107 और 7 अन्य विधायक हैं. कांग्रेस के 25 विधायकों ने इस्तीफा दिया है और उम्मीद की जा रही है कि ये सारे 25 लोग बीजेपी के टिकट पर विधानसभा उपचुनाव लड़ेंगे. बीजेपी के 107 विधायक हैं और इसके अलावा 7 (BSP 2, SP 1, अन्य 4) का भी समर्थन हासिल है. आने वाले उपचुनाव में बीजेपी को बहुमत के लिए सिर्फ 9 विधायकों की जरूरत है. जबकि कांग्रेस को अगर बहुमत चाहिए तो उन्हें क्लीन स्वीप करना होगा. कम से कम 26 सीटें तो जीतनी ही होंगी.

कांग्रेस खार खाई बैठी है!

जब से कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई है और बीजेपी सत्ता में आई है, कांग्रेस खार खाई बैठी है. उपचुनाव में कांग्रेस के पास मौका है कि वो बीजेपी को पटखनी दे और फिर से सत्ता में वापसी करे. कांग्रेस को खुद को साबित करने का मौका है, लेकिन राह इतनी आसान नहीं है. वैसे कमलनाथ अपना पूरा जोर लगा रहे हैं. बीजेपी से नाराज लोगों से वो खुद मुलाकात कर रहे हैं. राम मंदिर निर्माण के दौरान भी पूजा पाठ से लेकर हनुमान पूजा तक में वो काफी एक्टिव दिखे थे.

शिवराज ने खेल दिया है नया दांव

कोरोना संकट के बीचों बीच जब उपचुनाव को लेकर सरगर्मी बढ़ रही है. शिवराज सरकार ने ऐलान किया कि मध्य प्रदेश राज्य की सारी सरकारी नौकरियां अब सिर्फ मध्य प्रदेश के युवाओं को ही मिलेंगी. सरकार इसके लिए जरूरी कानूनी बदलाव करेगी. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि शायद ये बदलाव न्यायिक पचड़े में फंस जाए. लेकिन इतना तय है कि चुनावी दांव चल दिया गया है. बीजेपी और शिवराज ने इस कदम से ये संकेत दे दिया है कि वो अब पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुके हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बीएसपी बिगाड़ सकती है कांग्रेस का खेल

मध्य प्रदेश में जिन 27 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से 16 सीटें ग्वालियर चंबल क्षेत्र से आती हैं. यहां जिन सीटों पर कांग्रेस जीती थी वहां से कई सारी सीटों पर बीएसपी ही दूसरे नंबर पर रही थी. मतलब दलित वोट बैंक इस इलाके में काफी अहमियत रखता है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर उपचुनाव में बीएसपी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करती है तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही होने वाला है और बीजेपी को इस बात का फायदा होगा.

कोरोना वायरस संकट में भी राजनीति की रफ्तार तेज

पूरी दुनिया से अभी कोरोना वायरस संकट टला नहीं है. भारत में तो अभी तक हम पीक तक भी नहीं पहुंचे लेकिन मध्य प्रदेश में भारी तादाद में भीड़ जमा करके राजनीतिक गतिविधियों जोरों से हो रही है. पिछले दिनों कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों को बीजेपी में शामिल कराने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं. सिंधिया चंबल इलाके में पूरे एक्शन में दिख रहे हैं और कार्यकर्ताओं को बीजेपी की सदस्यता दिला रहे हैं.

  • 01/03
    मेंहगावं विधानसभा के कांग्रेस के हजारों कार्यकर्ताओं ने फिजिकल कॉलेज के सभागार में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की(फोटो: ट्विटर/@JM_Scindia)
  • 02/03
    ग्वालियर के मेला ग्राउंड में आज गोहद विधानसभा क्षेत्र के 5000 से ज़्यादा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की(फोटो: ट्विटर/@JM_Scindia)
  • 03/03
    ग्वालियर फूलबाग मैदान में, दिमनी एवं जौरा विधानसभा के हज़ारो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने(फोटो: ट्विटर/@JM_Scindia)

ज्योतिरादित्य का विरोध

ज्योतिरादित्य सिंधिया का जहां-जहां दौरा हो रहा है कांग्रेस के कार्यकर्ता काले झंडे दिखाकर, नारे लगाकर, भीड़ इकट्टी करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी गिरफ्तारियां दे रहे हैं. ग्वालियर, इंदौर, भोपाल में इस तरह की कई घटनाएं देखने को मिली हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी सिंधिया के विरोध में सड़कों पर उतर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है.

कुल मिलाकर मध्य प्रदेश का ये मिनी चुनाव फुल स्केल पर लड़ा जाएगा और इसके लिए मैदान सज चुका है. ये भले ही मिनी हों लेकिन नतीजों में सत्ता के समीकरण भी बदलने की क्षमता होगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×