नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार आक्रामक रूप में नजर आ रहे हैं. ED की ओर से महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSCB) घोटाले में उनके खिलाफ FIR दर्ज करने के बाद वो फ्रंटफुट पर आ गए हैं. बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके शरद पवार ने खुद ईडी के सामने पेश होने की बात कही है.
पवार ने कहा, "मैं ईडी की जांच में पूरा सहयोग करूंगा. 27 सितंबर को मैं उनके सामने पेश हो जाऊंगा." उन्होंने ये भी कहा कि जांच एजेंसियों को पूरा अधिकार है कि वो पूछताछ करें.
पवार ने कहा, "मुझे संविधान पर पूरा भरोसा है. शुक्रवार को दोपहर 2 बजे ईडी दफ्तर जाऊंगा और महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक (MSCB) घोटाला मामले में ईडी की पूछताछ में पूरा सहयोग करूंगा."
मैं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के मद्देनजर ज्यादातर मुंबई से बाहर रहूंगा. एजेंसी के अधिकारियों को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि मैं उपलब्ध नहीं हूं. मैं उनके पास जाऊंगा और उन्हें जो भी जानकारी चाहिए, वह उन्हें दूंगा.शरद पवार, एनसीपी चीफ
महाराष्ट्र छत्रपति शिवाजी महाराज की विचारधारा का अनुसरण करता है. हम दिल्ली के तख्त (सिंहासन) के सामने झुकना नहीं जानते.शरद पवार, प्रमुख, एनसीपी
दरअसल, बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देश पर एनसीपी नेता शरद पवार और अजित पवार समेत 70 अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ ईडी ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला मामले में केस दर्ज किया है. ये केस ऐसे समय में दर्ज किया गया है जब अगले महीने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं.
शरद पवार के भतीजे अजित पवार 10 नवंबर 2010 से 26 सितंबर 2014 तक महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री रहे थे.
महाराष्ट्र मुख्यमंत्री ने कहा- ‘सरकार का कोई हाथ नहीं’
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि शरद पवार के खिलाफ ED की जांच में सरकार का कोई हाथ नहीं है.
क्या है महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला?
महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक को साल 2007 और 2011 के बीच एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जिसमें आरोपियों की कथित तौर पर मिलीभगत थी. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की जांच के साथ ही महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटीज कानून के तहत अर्द्ध न्यायिक जांच आयोग की तरफ से दायर आरोप पत्र में नुकसान के लिए पवार और अन्य आरोपियों के ‘‘निर्णयों, कार्रवाई और निष्क्रियताओं’’ को जिम्मेदार ठहराया गया था.
स्थानीय कार्यकर्ता सुरिंदर अरोड़ा ने 2015 में आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई और हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर एफआईआर करने की मांग की थी.
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