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एनडी तिवारी : कभी पीएम पद के सबसे मजबूत दावेदार थे

विकास कार्यों के लिए एनडी तिवारी की सराहना होती है

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यूपी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी का निधन होने के साथ ही एक युग का अंत हो गया. वह भारत के पहले ऐसे नेता थे जो दो राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. तिवारी 2002 से 2007 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे. वह तीन बार यूपी और एक बार उत्तराखंड के सीएम रहे. आंध्रप्रदेश के राज्यपाल भी रहे. कांग्रेस में कभी उनकी तूती बोलती थी. लेकिन अपने दौर की राजनीति के धुरंधर रहे तिवारी 2017 तक एक कमजोर, असहाय और देश की राजनीतिक पटल पर हाशिये पर चले गए शख्स में तब्दील हो चुके थे.

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1925 को नैनीताल जिले के बलुती गांव में पैदा हुए पर महात्मा गांधी का इतना असर हुआ कि इन्होंने अपनी नौकरी तक छोड़ दी और असहयोग आंदोलन से जुड़ गए.

तिवारी की शिक्षा हल्द्वानी, नैनीताल और बरेली में हुई.1952 में तिवारी नैनीताल सीट से चुनाव लड़े और जीत गए और यूपी की पहली विधानसभा के सदस्य बने. सन 1965 में तिवारी काशीपुर विधानसभा से चुनाव लड़े और जीत गए और उन्हें पहली बार उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल में जगह मिली. तिवारी 1976 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और यह सरकार 1977 को गिर गई. तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने हैं. लेकिन 2007 में उत्तराखंड चुनाव में कांग्रेस की हार के साथ ही उनका राजनीतिक करियर खत्म हो गया.

विकास के लिए होती है तिवारी की तारीफ

नारायण दत्त तिवारी उद्योग के विस्तार के हक में रहते थे. उनमें उद्योग और आम जनता के बीच संतुलन बिठाने का कौशल था. यूपी को उनके इस कौशल का फायदा मिला और बाद में जब उत्तराखंड बना तो उनकी पहल पर राज्य में खासा निवेश हआ और उद्योग लगे. इसका फायदा यहां के बेरोजगार नौजवानों को हुआ.

विवादास्पद निजी जीवन

2009 में आंध्र का राज्यपाल रहते उनका एक टेप सार्वजनिक हुआ जिसमें उन्हें कुछ महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था. इससे उनकी बड़ी छीछालेदर हुई और कांग्रेस ने उनसे किनारा कर लिया. यह उनके राजनीतिक जीवन का अंत था.

इसके बाद रोहित शेखर नाम के एक नौजवान ने 2008 में तिवारी को अपना जैविक पिता बताते हुए मुकदमा कर दिया. काफी ना-नुकुर के और डीएनए टेस्ट के बाद तिवारी ने उन्हें अपना बेटा मान लिया. शेखर को तिवारी को अपना पिता साबित करने के लिए लंबी अदालती लड़ाई लड़नी पड़ी. तिवारी ने रोहित की मां उज्जवला शर्मा से 88 साल की उम्र में शादी की.

विकास कार्यों के लिए एनडी तिवारी की सराहना होती है
अपने राजनीतिक करियर के आखिरी पड़ाव में एनडी तिवारी अपने बेटे रोहित शेखर का करियर बनाने जुट गए  थे
फोटो : PTI 

क्या तिवारी पीएम बन सकते थे?

एनडी तिवारी कांग्रेस और फिर उसकी सरकारों में महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं में रहे. इलाहाबाद छात्र संघ के पहले अध्यक्ष से लेकर केंद्र में योजना आयोग के उपाध्यक्ष से लेकर, उद्योग, वाणिज्य पेट्रोलियम, और वित्त मंत्री के रूप में तिवारी ने काम किया. एक वक्त वह कांग्रेस में पीएम पद के सबसे बड़े दावेदारों में थे. तिवारी ने 1995 में कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई तिवारी कांग्रेस बनाई थी लेकिन दो साल बाद ही वापस लौट आए.

तिवारी दिग्गज राजनीतिज्ञ थे लेकिन सेक्स स्कैंडल से घिरे होने और रंगीले व्यक्तित्व के होने के कारण वह सार्वजनिक जीवन में बदनाम हो गए. उनकी यह छवि उनके राजनीतिक करियर के खात्मे की वजह बनी. उत्तराखंड में लोक गायक नरेंद्र सिंह ने नेगी ने उनके व्यक्तित्व के इस पहलू को लक्ष्य करके 'नौछमी नारेण' नाम से एक वीडियो गीत ही बना डाला था. इसे तिवारी पर सबसे बड़ा कटाक्ष माना गया.

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