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'सेलिब्रिटी ट्वीट' पर महाराष्ट्र में सियासत, कैसे हो सकेगी जांच?

क्या ये सिर्फ राज्य और केंद्र के बीच 'सियासत' का मामला है?

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'सेलिब्रिटी ट्वीट' मामले पर महाराष्ट्र में सियासत गरम है. राज्य सरकार की तरफ से 'सेलिब्रिटीज ट्वीट' के जांच के आदेश देने के बाद बीजेपी ने 'भारत रत्न' के समर्थन में रैली निकाली. इस सियासत के बीच कुछ सवाल पूछे जा रहे हैं कि इस जांच का नतीजा कहां तक पहुंचेगा? या ये सिर्फ राज्य और केंद्र के बीच 'सियासत' का मामला है?

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इस नए गतिरोध की शुरुआत तब हुई जब किसान प्रदर्शन के समर्थन में रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग, मीना हैरिस, मिया खलीफा और अमांडा जैसी इंटरनेशनल शख्सियतों ने ट्वीट करना शुरू किया. इसके बाद ट्विटर पर ये मुद्दा देश-दुनिया में छाया रहा.

विदेश मंत्रालय के बयान के बाद सचिन तेंदुलकर, लता मंगेशकर, अक्षय कुमार, अजय देवगन समेत कई बॉलीवुड-स्पोर्ट्स इंडस्ट्री के सितारों ने देश में एकजुटता के लिए ट्वीट किया. अब देश के बाकी दूसरे मुद्दों पर चुप्पी साधने वाला इन सेलिब्रेटिज की सोशल मीडिया पर काफी ट्रोलिंग भी हुई. महाराष्ट्र में शरद पवार से लेकर राज ठाकरे तक कई नेताओं की प्रतिक्रिया भी आई.

कांग्रेस नेताओं ने तो महाराष्ट्र के गृहमंत्री से गुहार लगाई और कहा कि ट्विटर की जंग लड़ने उतरे इन नेशनल हीरोज पर किसी तरह का कोई दबाव तो नहीं? इसके बाद हरकत में आए राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने इंटेलीजेंस विभाग को मामले में जांच के आदेश दे दिए.

राज्य सरकार के एक्शन पर बीजेपी का रिएक्शन आया. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से लेकर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर की प्रतिक्रिया सामने आई.

“क्या सरकार ने होश खो दिया है? भारत रत्नों की जांच करवाने निकली सरकार और उसकी मांग करने वालों की मानसिक जांच करनी चाहिए.”
देवेंद्र फडणवीस

प्रकाश जावडेकर ने कहा- “क्या महाराष्ट्र मे अब देशभक्ति गुनाह हो गया है? सचिन तेंदुलकर, लता मंगेशकर, अक्षय कुमार और अजय देवगन द्वारा भारत के पक्ष में दिए बयान के कारण उनकी जांच होगी.”

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इतना ही नहीं बल्कि बीजेपी युवा मोर्चा ने सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर के मुंबई स्थित घर पर 'सम्मान यात्रा' निकालकर महाराष्ट्र सरकार का विरोध किया.

जांच पर एक्सपर्ट क्या कहते हैं?

अब क्विंट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से जानने की कोशिश की कि क्या ऐसे मामलों में जांच हो भी सकती है? इसके लिए क्या प्रावधान है? क्या ये जांच किसी नतीजे तक पहुंचेगी? मुंबई सेशन्स कोर्ट के रिटायर्ड जज व्ही. के. पाटिल ने बताया कि इस मामले में ट्वीट्स करनेवाले किसी व्यक्ति ने दबाव होने की शिकायत दर्ज नहीं कराई है.

मांग कांग्रेस पार्टी की तरफ से की गई है, जो इस मामले में थर्ड पार्टी है. इसलिए इस मामले में locus standi यानी कोई पक्ष सामने से शिकायत करने नहीं आया है. ऐसे में सरकार को स्वत: संज्ञान लेकर किसी भी विषय पर जांच करने का अधिकार तो है लेकिन जांच का दायरा तय करना मुश्किल है. जब तक ट्वीट करने वाला व्यक्ति दबाव की बात नहीं करता, तब तक ये बात साबित नहीं हो सकती. इसलिए इस मामले में जांच अधिकारियों को संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ करनी होगी.

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बता दें कि इससे पहले भी कई सारे मामलों मे महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने जांच के आदेश दिए थे लेकिन एक भी मामला किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंच पाया. जैसे, भीमा कोरेगांव मामले मे शुरू जांच के बावजूद राज्य सरकार ने समांतर जांच के आदेश दिए थे जिसमें कई लोगों को फंसाए जाने की आशंका गृहमंत्री ने जताई थी.

सुशांत सिंह केस में मुंबई पुलिस को बदनाम करने के आरोप में करीब 80 हजार फेक अकाउंट्स बनाने के षड्यंत्र की जांच के आदेश क्राइम ब्रांच और स्टेट सायबर क्राइम यूनिट को दिए गए थे.

कंगना रनौत से जुड़ा ड्रग्स कनेक्शन का वीडियो सामने आया था. इस मामले मे उठी मांग के बाद सदन में गृह मंत्री ने कंगना के जांच के आदेश दिए गए थे.

गौतम नवलखा को जेल कस्टडी में चश्मा न देना और उनसे अमानवीय व्यवहार करने की बात कोर्ट में सामने आई थी. तब भी अनिल देशमुख ने ट्वीट कर तलोजा जेल अधिकारियों के जांच के आदेश दिए थे.

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