राजस्थान का सियासी घमासान दिल्ली और हरियाणा होते हुए अब हाईकोर्ट तक पहुंच चुका है. सचिन पायलट समेत बागी विधायकों ने स्पीकर की तरफ से मिले नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन सुनवाई से ठीक पहले बताया गया कि बागी विधायकों की तरफ से हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी पक्ष रखेंगे. साथ ही स्पीकर की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में थे.
यहां पर ये इसलिए बताया जा रहा है, क्योंकि अब तक अगर मुकुल रोहतगी और हरीश साल्वे का पिछला रिकॉर्ड देखें तो उन्होंने ज्यादातर बीजेपी सरकार के पक्ष में केस लड़े हैं. लेकिन इस बार वो कांग्रेस के बागी विधायकों का पक्ष रखने के लिए कोर्ट में हैं. जबकि पायलट ने साफ किया है कि वो बीजेपी में शामिल नहीं होंगे.
कौन हैं मुकुल रोहतगी?
हालांकि अगर मुकुल रोहतगी की बात करें तो उन्होंने हाल ही में ऐलान किया था कि वो फिर से प्राइवेट प्रैक्टिस में वापसी कर रहे हैं. बता दें कि रोहतगी मोदी सरकार में अटॉर्नी जनरल के पद पर नियुक्त थे. लेकिन उन्होंने अपना ये पद छोड़ दिया था. जिसके बाद कई सवाल भी उठे थे. रोहतगी का नाम देश के सबसे बड़े और महंगे वकीलों में आता है. उन्हें पीएम मोदी का काफी करीबी भी माना जाता है. 2002 गुजरात दंगों के मामले में भी मुकुल रोहतगी ने गुजरात सरकार का पक्ष रखा था. हाल ही में चीनी ऐप्लीकेशन टिक-टॉक ने रोहतगी को केस लड़ने का ऑफर दिया था, जिसे उन्होंने देशहित में ठुकरा दिया.
कौन हैं हरीश साल्वे
इसके अलावा कांग्रेस के बागी विधायकों का पक्ष रखने वाले दूसरे वकील हरीश साल्वे भी देश के बड़े और काफी महंगे वकील हैं. साल्वे भी मोदी सरकार की तरफ से कई बड़े केस लड़ चुके हैं. पाकिस्तान में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव केस में भारत सरकार ने हरीश साल्वे और उनकी टीम को आईसीजे में केस लड़ने का मौका दिया. साल्वे 1999 से लेकर 2002 तक सॉलिसिटर जनरल के पद पर भी रह चुके हैं. उन्हें सलमान खान हिट एंड रन केस, मुकेश अंबानी समेत कई बड़े मामलों में केस अपने पक्ष में करने के लिए जाना जाता है.
वहीं अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस के नेता और सीनियर एडवोकेट हैं. कांग्रेस की तरफ से वो सुप्रीम कोर्ट या फिर अन्य राज्यों में पैरवी करते आए हैं. इस बार भी वो गहलोत सरकार की तरफ से राजस्थान हाईकोर्ट में पैरवी कर रहे हैं.
अब ज्यादातर केस मोदी सरकार की तरफ से लड़ने वाले ये दोनों दिग्गज वकील राजस्थान हाईकोर्ट में सचिन पायलट समेत कांग्रेस के 19 बागी विधायकों का पक्ष रख रहे हैं. बता दें कि राजस्थान कांग्रेस और खुद सीएम गहलोत लगातार आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी पर्दे के पीछे से ये पूरी पिक्चर चला रही है. उनका आरोप है कि बीजेपी लगातार पिछले कई महीनों से राजस्थान सरकार को गिराने की कोशिश कर रही थी.
क्यों लगाया जा रहा है जोर?
अब आप अगर ये सोच रहे हैं कि विधायकों के लिए साल्वे और रोहतगी जैसे वकील क्यों पक्ष रहे हैं तो आपको बता दें कि हाईकोर्ट का फैसला सरकार का खेल बिगाड़ भी सकता है और बना भी सकता है. क्योंकि अगर स्पीकर के पक्ष में फैसला जाता है और उनको दिए अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिए कहा जाता है तो ऐसे में गहलोत सरकार आसानी से सत्ता में बनी रहेगी. क्योंकि पार्टी व्हिप का पालन नहीं करने को लेकर स्पीकर सभी 19 विधायकों को अयोग्य घोषित कर सकते हैं. जिसके बाद विधानसभा सदस्यों की संख्या घटेगी और गहलोत सरकार के पास बहुमत से कई ज्यादा विधायक होंगे. लेकिन अगर बागी विधायकों के पक्ष में कोर्ट फैसला सुनाता है तो ऐसे में बीजेपी को इसका सीधा फायदा होगा और गहलोत सरकार गिरने की कगार पर पहुंच सकती है
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