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Rampur By Election: BSP का उपचुनाव से किनारा, क्या बीजेपी-एसपी को होगा फायदा?

Rampur By Election: रामपुर सीट से कांग्रेस ने 8 बार और बीजेपी-एसपी ने 3-3 बार लोकसभा का चुनाव जीता है.

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उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव (Rampur By-Election) हो रहे हैं. विधायक बनने के बाद एसपी नेता आजम खान (Azam Khan) ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से सीट खाली है. ऐसे में समझते हैं कि प्रदेश के सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले जिले में राजनीतिक समीकरण (Rampur Political Equation) क्या हैं? पिछले कुछ चुनावों के नतीजे क्या कहानी कहते हैं?

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रामपुर सीट: 70 साल का रिकॉर्ड-सबसे ज्यादा बार मुस्लिम उम्मीदवार की जीत

यूपी का रामपुर सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी (Rampur Muslim Population) वाला जिला है. 1952 के बाद 70 साल का चुनाव रिकॉर्ड देखें तो कुल 17 बार लोकसभा का चुनाव (Rampur Lok Sabha Elections) हुआ, जिसमें सबसे ज्यादा 11 बार मुस्लिम उम्मीदवार की जीत हुई. कांग्रेस ने 8 बार और बीजेपी-एसपी ने 3-3 बार लोकसभा का चुनाव जीता.

रामपुर में बीएसपी एक बार भी नहीं-1999 के बाद से कांग्रेस नहीं जीती चुनाव

बीजेपी 3 बार रामपुर लोकसभा सीट (Rampur Lok Sabha Seat) जीत चुकी है. सबसे पहले 1991 में बीजेपी के टिकट पर राजेन्द्र कुमार शर्मा (Rajendra Kumar Sharma) ने जीत का खाता खोला था. फिर 1998 में बीजेपी ने मुस्लिम चेहरा मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) को उतारा. वो जीत गए. 2014 में बीजेपी के टिकट पर नेपाल सिंह (Nepal Singh) ने जीत हासिल की. एसपी भी 3 बार ये सीट जीत चुकी है. पहली बार 2004 में जया प्रदा (Jaya Prada) ने एसपी को जीत दिलाई थी. दूसरी बार भी 2009 में जयाप्रदा की जीत हुई. फिर 2019 में आजम खान (Azam Khan) एसपी के टिकट पर सांसद बने थे.

रामपुर से मायावती की पार्टी बीएसपी (Mayawati's Party BSP) एक बार भी लोकसभा सीट नहीं जीत सकी है. वहीं 1952 के बाद से सबसे ज्यादा 8 बार रामपुर (Rampur) लोकसभा सीट जीतने वाली कांग्रेस ने 1999 के बाद यहां से जीत का स्वाद नहीं चखा. रामपुर लोकसभा सीट (Rampur Lok Sabha Seat) की जीत और कांग्रेस के बीच एक और इंटरेस्टिंग कनेक्शन है. रामपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस का आठों बार विजयी उम्मीदवार कोई न कोई मुस्लिम चेहरा ही रहा.
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कांग्रेस (Congress in Rampur) 1999 से पहले 8 बार रामपुर लोकसभा की सीट जीत चुकी है, जिसमें सबसे ज्यादा बार जुल्फिकार अली खान 3 बार जीते हैं. 2 बार बेगम नूर बानो और फिर अहमद मेंहदी, राजा सईद और अबुल कलाम आजाद का नंबर है.

रामपुर सीट पर मायावती क्यों नहीं लड़ रहीं चुनाव, रिकॉर्ड देखा या हिडेन एजेंडा?

यूपी की राजनीति में कभी एसपी-बीएसपी की लड़ाई मानी जाती थी, लेकिन चुनाव-दर-चुनाव बीएसपी का जनाधार कमजोर पड़ता गया. शायद एक वजह ये हो सकती है कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने रामपुर सीट से पार्टी के किसी उम्मीदवार को उतारने से मना कर दिया.

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पुराने रिकॉर्ड और बीएसपी का घटता जनाधार 'मायावती का रामपुर से चुनाव न लड़ने' के फैसले का समर्थन करते हैं, लेकिन क्या वजह इतनी भर है? शायद नहीं. यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगा. कई सर्वे में ये बात सामने आई कि मायावती का कोर वोटर कहा जाने वाला जाटव समुदाय बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुआ है. बीजेपी की सीट और वोट प्रतिशत बढ़ने में जाटव वोटर की बड़ी भूमिका रही. रामपुर में 13% एससी समुदाय के लोग हैं. अगर विधानसभा वाला ट्रेंड लोकसभा उपचुनाव में रिपीट हुआ तो मायावती के चुनाव न लड़ने से रामपुर सीट पर सीधा फायदा बीजेपी को हो सकता है.

रामपुर में हर बार बीजेपी-एसपी में कांटे की टक्कर, क्या जेल रिहाई फैक्टर काम करेगा?

रामपुर सीट पर बीजेपी-एसपी की लड़ाई रही है. मुस्लिम आबादी वाली सीट होने के बाद भी आजमगढ़ की तरह किसी एक पार्टी का गढ़ नहीं रहा.

2019 के लोकसभा चुनाव में रामपुर से आजम खान 52% वोट पाकर भले ही जीत गए थे, लेकिन बीजेपी उम्मीदवार जया प्रदा ने तगड़ी टक्कर दी थी. उन्हें 42% वोट मिले थे. 2014 में बीजेपी के टिकट पर डॉक्टर नेपाल सिंह 37% वोट पाकर जीते थे, लेकिन एसपी के नसीर अहमद खान ने 35% वोटों के साथ बराबर चुनौती दी.

रामपुर लोकसभा सीट से उपचुनाव में एसपी की तरफ से आजम खान की पत्नी व पूर्व सांसद तजीन फात्मा या उनके बेटे अब्दुल्ला आजम लड़ सकते हैं. वहीं मुख्तार अब्बास नकवी को राज्यसभा का उम्मीदवार नहीं बनाया गया है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी उन्हें रामपुर से उतार सकती है.

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रामपुर में हिंदुओं की तुलना में मुस्लिम आबादी ज्यादा है. ऐसे में वोटों के ध्रुवीकरण की वजह से दोनों पार्टियों में बराबर की टक्कर दिखती है. अबकी बार आजम खान जेल से बाहर आए हैं. रिहाई के बाद वो सबसे पहले रामपुर पहुंचे. लोगों से मिलने के दौरान भावुक भी हुए थे.

ऐसे में कुछ हद तक शायद एसपी के लिए जेल से रिहाई का फैक्टर काम कर जाए. लेकिन पिछले विधानसभा के नतीजे भी नहीं भूलने चाहिए. जब आजम खान ने बेटे ने इमोशनल गेन लेने की कोशिश की थी, उसके बावजूद रामपुर की 5 विधानसभा सीटों में से एसपी 3 पर ही जीत पाई. 2 पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था.

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