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Azamgarh By Election: SP के सामने 8 साल पहले वाली चुनौती, BSP-BJP पड़ेंगी भारी?

Azamgarh By-Election: मुलायम सिंह यादव-अखिलेश यादव की तुलना में धर्मेंद्र यादव के लिए क्या है सबसे बड़ी मुश्किल?

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लोकसभा की तीन सीटों आजमगढ़, रामपुर और पंजाब की संगरूर सीट (By-elections Azamgarh, Rampur, Sangrur) पर आज उपचुनाव के लिए वोटिंग हो रही है. वोटों की गिनती 26 जून को होगी. रामपुर की सीट (Rampur Seat) आजम खान (Azam Khan) के लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी, जबकि आजमगढ़ से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इस्तीफा दिया था. विधानसभा चुनाव में इन दोनों जगहों से एसपी को जीत मिली थी.

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मोदी लहर में भी आजमगढ़ से जीत गई थी एसपी

सबसे पहले बात यूपी के आजमगढ़ लोकसभा सीट (Azamgarh Lok Sabha Seat) की. यहां करीब 18 लाख मतदाता हैं. पिछले 4 लोकसभा चुनावों के नतीजे देखें तो 2014 और 2019 में मोदी लहर में भी एसपी की जीत हुई. लेकिन 2009 में बीजेपी और 2004 में बीएसपी ने जीत हासिल की.

आजमगढ़ (Azamgarh) से साल 2019 में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को 60.4% वोटों के साथ जीत मिली थी. दूसरे नंबर पर बीजेपी थी. उम्मीदवार दिनेश लाल यादव (Dinesh Lal Yadav) को 35.1% वोट मिले थे. 2014 में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने 35.4% वोटों के साथ जीत हासिल की. दूसरे नंबर पर रमाकांत यादव (Ramakant Yadav) थे. 28.9% वोट मिले थे.

अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव चुनावी मैदान में

आजमगढ़ सीट से अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) चुनावी मैदान में हैं. धर्मेंद्र यादव पहले मैनपुरी और बदायूं से सांसद रह चुके हैं और अब उन्हें आजमगढ़ संसदीय उप चुनाव मे उतारा गया है. धर्मेंद्र यादव ने 2017 में शिवपाल यादव बनाम अखिलेश यादव के मतभेद में भी अहम भूमिका निभाई थी और बताया जाता है कि उन्होंने कई नेताओं को अखिलेश यादव के पाले में रखा था.

धर्मेंद्र यादव ने साल 2004 मे मैनपुरी संसदीय सीट से जीत हासिल की थी. इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी से चुनाव लड़ा और धर्मेंद्र यादव को बदायूं भेजा गया. धर्मेंद्र ने 2009 और 2014 में यहां से भी जीत हासिल की. लेकिन साल 2019 में उन्हें स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी डॉ. संघमित्र मौर्य से हार का सामना करना पड़ा.

बीएसपी ने आजमगढ़ सीट पर गुड्डू जमाली पर दांव लगाया है. यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) से पहले बीएसपी नेता (BSP Leader) रहे गुड्डू जमाली (Guddu Jamali) एसपी में शामिल हो गए थे, लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो ओवैसी (Owaisi) के साथ चले गए. हालांकि चुनाव में जीत नहीं मिली. कुछ महीनों बाद ही वापस अपनी पुरानी पार्टी बीएसपी में शामिल हो गए.

गुड्डू जमाली (Guddu Jamali Mubarakpur) आजमगढ़ की मुबारकपुर विधानसभा सीट (Mubarakpur Seat) से तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं. दो बार 2012 और 2017 में जीत मिली, लेकिन 2022 में चौथे नंबर पर रहे. इनका मुस्लिम वोटर्स में अच्छी पकड़ है, ऐसे में सीधे तौर पर एसपी को नुकसान हो सकता है. अंदेशा जताया जा रहा है कि एसपी और बीएसपी की लड़ाई में बीजेपी बढ़त ले सकती है.

आजमगढ़ में अबकी बार 2014 वाली स्थिति-बंट गए थे एसपी के वोट

ऐसा नहीं है कि गुड्डू जमाली पहली बार आजमगढ़ की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. साल 2014 में ऐसी ही स्थिति थी. तब मुलायम सिंह यादव के सामने बीजेपी के रमाकांत यादव और बीएसपी से गुड्डू जमाली मैदान में थे.

तब बीजेपी के वोट बैंक पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा था. औसत निकाले तो बीजेपी को 28% से 35% वोट मिलते रहे हैं. वह वोट बीजेपी को मिले थे, लेकिन नुकसान एसपी को हुआ था. महज 35% वोट के साथ मुलायम सिंह यादव की जीत हुई थी. दूसरे नंबर पर 28% वोट के साथ बीजेपी और तीसरे नंबर पर 27% वोट के साथ बीएसपी थी. बीजेपी-बीएसपी लगभग बराबर पर थी. वहीं 2019 में बीजेपी (दिनेश लाल यादव) को आजमगढ़ से 35% वोट मिले, लेकिन एसपी (अखिलेश यादव) को 60% वोटों के साथ जीत मिली.

अखिलेश यादव के लिए 'आजमगढ़ सीट' होम ग्राउंड पिच जैसी है. वह इसे खोना नहीं चाहेंगे. वहीं बीजेपी के लिए आजमगढ़, पूर्वांचल में घुसपैठ का गेट है, जिसके जरिए पूर्वांचल पर पकड़ मजबूत की जा सकती है. मायावती मुस्लिम उम्मीदवार के जरिए दलित-मुस्लिम गठजोड़ का लिटमस टेस्ट करती दिख सकती हैं. तीनों पार्टियों ने आजमगढ़ उपचुनाव को दिलचस्प बना दिया है. मामला त्रिकोणीय बनता दिख रहा है. इसलिए अखिलेश यादव के चुनौती बड़ी है.

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रामपुर सीट पर 23 साल से एसपी-बीजेपी की टक्कर

रामपुर सीट की गिनती मुस्लिम बहुल सीटों में से होती है. 52% आबादी मुस्लिम है. यहां 1999 के बाद से एसपी और बीजेपी की टक्कर देखने को मिली है. पिछले 5 लोकसभा चुनावों में 3 बार एसपी और 1 बार बीजेपी और 1 बार कांग्रेस की जीत हुई. साल 2019 के चुनाव में आजम खान ने 52% वोटों के साथ जीत हासिल की थी, लेकिन बीजेपी ने भी कड़ी टक्कर दी थी. जया प्रदा 42% वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहीं. हालांकि जब 2004 और 2009 में जया प्रदा ने एसपी के टिकट से रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा था, तो जीत गई थीं.

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