किसान आंदोलन को लेकर एक तरफ सरकार लगातार कह रही है कि उसके कृषि कानून काफी बेहतर हैं, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के अपने ही सहयोगी दलों ने अब इस मुद्दे पर बगावत कर दी है. शिरोमणि अकाली दल के बाद अब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी एनडीए का साथ छोड़ दिया है. आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने एनडीए को छोड़ने का ऐलान किया है. इससे पहले वो लगातार केंद्र सरकार को किसानों आंदोलन का समर्थन कर रहे थे और सरकार को चेतावनी दे रहे थे.
जरूरत पड़ने पर छोड़ दूंगा लोकसभा सदस्यता
हालांकि एनडीए छोड़ने के ऐलान के साथ ही हनुमान बेनीवाल ने ये भी साफ किया है कि वो कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने सिर्फ किसानों के समर्थन में एनडीए छोड़ा है. उन्होंने कहा कि,
“इससे पहले मैंने लोकसभा की कमेटी से इस्तीफा दिया, लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ तो अब एनडीए छोड़ दिया. अगर जरूरत पड़ी तो मैं लोकसभा की सदस्यता भी छोड़ दूंगा.”
उन्होंने कहा कि अगर मैं संसद में रहा और किसानों को लेकर ऐसे बिल आए तो मैं उन्हें सबके सामने फाड़ दूंगा. कानून पास होने के वक्त मैं संसद में नहीं था.
अब दुष्यंत चौटाला पर दबाव
बता दें कि इससे पहले एनडीए के बड़े सहयोगी दल शिरोमणि अकाली दल ने भी किसानों का जोरदार समर्थन किया था और पार्टी नेता हरसिमरत कौर ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद पार्टी ने ऐलान किया था कि वो एनडीए को छोड़ रहे हैं. साथ ही मोदी सरकार पर जमकर हमला भी बोला. अकाली दल और आरएलपी के बाद अब हरियाणा में बीजेपी को समर्थन देने वाले दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी पूरी तरह से दबाव में है. दुष्यंत चौटाला की पार्टी के कोर वोटर भी किसान हैं, इसीलिए किसान लगातार उनसे बीजेपी का साथ छोड़ने की मांग कर रहे हैं. चौटाला के खिलाफ कई प्रदर्शन भी हो रहे हैं. जिसके बाद चौटाला को आखिरकार कहना पड़ा कि कृषि कानूनों में खामियां हैं और संशोधनों की जरूरत है. उन्होंने किसानों से कहा कि वो सरकार से बातचीत करें.
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