ADVERTISEMENTREMOVE AD

"एकनाथ शिंदे सुपारीबाज"- 'सामना' में शिंदे पर कटाक्ष, चुनाव आयोग पर उठाए सवाल

Saamna में छपे लेख में लिखा गया है कि "सुपारीबाजों" को शिवसेना पर हमला करने की सुपारी दिल्ली ने दी.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

शिवसेना (Shivsena) अब किसकी होगी इस बात पर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) आमने-सामने हैं. गेंद चुनाव आयोग के पाले में है. चुनाव आयोग ने फिलहाल के लिए अपने फैसले में शिवसेना के चुनाव चिन्ह को फ्रीज कर दिया है और ‘शिवसेना’ का नाम स्वतंत्र रूप से उपयोग में लाने पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश दिया है.

इसी फैसले के बाद 10 अक्टूबर, सोमवार को शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय छपा जिसमें महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को 'सुपारीबाज' और उनके साथ गए 40 विधायकों को 'उचक्के' कहा गया है. इसके अलावा चुनाव आयोग के फैसले पर भी सवाल खड़े किए गए हैं. हम आपके लिए संपादकीय के कुछ हिस्से लेकर आए हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

"सुपारीबाज की भूमिका अपनाई"

सामना में लिखा गया है कि "बालासाहेब ठाकरे ने 56 वर्ष पहले मराठी अस्मिता, मराठी लोगों के न्याय-अधिकार के लिए एक अलख जगाई. हिंदुत्व को योगदान देकर बढ़ाया. आज उस शिवसेना का अस्तित्व खत्म करने के लिए इसी महाराष्ट्र की मिट्टी से एकनाथ शिंदे और उनके 40 उचक्के दिल्ली के गुलाम बन गए हैं. उन्होंने महाराष्ट्र के मामले में सुपारीबाज की भूमिका अपनाई. शिंदे और उनके 40 बेईमानों का नाम महाराष्ट्र के इतिहास में काली स्याही से लिखा जाएगा. पिछले 56 वर्षों में देश के किसी भी दुष्ट राजनेता से जो नहीं हो सका, वह एकनाथ शिंदे नामक सुपारीबाज ने कर दिखाया. इस काम के लिए दिल्ली ने उस सुपारीबाज का साथ दिया." इस लेख में आगे शिंदे को औरंगजेब से भी बुरा बताते हुए लिखा गया कि

"एक मुख्यमंत्री पद और कुछ मंत्री पद की सौदेबाजी में महाराष्ट्र का स्वाभिमान बेचनेवाली इन औलादों के आगे औरंगजेब का दुष्टपना भी फीका पड़ जाएगा. भारतीय जनता पार्टी इन सबकी सूत्रधार है."
0

चुनाव आयोग पर भी उठाए सवाल

लेख में कहा गया है कि शिवसेना न बुझनेवाली मशाल है. यह जानते हुए भी कुछ "सुपारीबाजों" को शिवसेना पर हमला करने की सुपारी दिल्ली ने दी. उसी में से कोई एक ठाणे का सुपारीबाज उठा और उस "सुपारीबाज" के हाथ में बीजेपी ने अपनी तलवार दी और शिवसेना पर हमला करवाया. धन और केंद्रीय मशीनरी का उपयोग इस काम के लिए किया गया.

"चुनाव आयोग ने भी सुपारीबाजों के बाप को जैसा चाहिए था, वैसा फैसला दिया. वास्तविक मूल शिवसेना बालासाहेब ठाकरे की है. 40 विधायक, 12 सांसद बागी हो गए, लेकिन मूल पार्टी अपनी जगह पर है, लाखों शिवसैनिक पार्टी के सदस्य होते हुए भी चुनाव आयोग ने राजनीतिक नमक हलाली जैसा निर्णय लिया, यह सरासर अन्याय है."

"एक धधकते विचार को मारने का यह कपटी खेल है. चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं को स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए और दबाव में नहीं आना चाहिए, लेकिन यह जायज उम्मीद के विपरीत घट रहा है."

ADVERTISEMENTREMOVE AD

"तैमूरलंग, चंगेज खान और औरंगजेब"

‘धनुष-बाण’ चिह्न शिवसेना को नहीं मिलेगा, ऐसा शिंदे और उनके सुपारीबाज कह रहे थे. बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना का वजूद न रहे, इसके लिए उन्होंने दिल्ली के मुगलों से हाथ मिलाया। कहां चुकाओगे ये पाप! महाराष्ट्र ने अब तक अनेकों जख्म और आघात सहे हैं. महाराष्ट्र पर हर वार को शिवसेना ने अपनी छाती पर झेला है. हजारों शिवसैनिकों ने इसके लिए बलिदान दिया, रक्त बहाया. इस रक्त और त्याग से खिली शिवसेना को खत्म करने में कोई कामयाब नहीं हुआ, तब एकनाथ शिंदे नामक सुपारीबाज की नियुक्ति उस काम के लिए हुई.

तैमूरलंग, चंगेज खान और औरंगजेब की तरह एकनाथ शिंदे और अन्य सुपारीबाजों ने दुष्टता की. एकनाथ शिंदे इन सुपारीबाजों के सरदार हैं. ऐसा दानव हिंदुस्तान के इतिहास में पांच हजार वर्षों में भी नहीं हुआ होगा. चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना के अस्तित्व पर हमला करने का प्रयास करते ही उसने दुष्टकर्मी अफजल खान की तरह दाढ़ी को ताव देते हुए कुटिल मुस्कान भरी होगी.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

आगे लिखा गया है कि "चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना पर किए गए ‘सुपारीबाज’ हमले से शिंदे जितना ही पाकिस्तान भी खुश होगा. महाराष्ट्र का हर दुश्मन खुश होगा, हालांकि खुद का जीवन न्योछावर करके ‘शिवसेना’ नामक अंगार निर्माण करने वाले शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे को आज जो वेदना, दुख हो रहा होगा उसका क्या?

बेईमान सुपारीबाजों ने मां से ही बेईमानी की! हम आखिर में इतना ही कहेंगे, कितना भी संकट आ जाए, उसकी छाती पर पैर रखकर हम खड़े ही रहेंगे!

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×