मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को ऐलान किया कि राज्य में एससी-एसटी एक्ट के तहत बिना जांच के गिरफ्तारी नहीं होगी. चौहान के इस बयान को लेकर उनकी ही पार्टी के सासंद उदित राज और एनडीए के सहयोगी रामदास अठावले नाराज हो गए हैं.
दोनों दलित नेताओं ने चौहान से बयान वापस लेने की मांग की है. इन दोनों नेताओं का तर्क है कि चौहान के इस बयान से दलितों में नाराजगी बढ़ेगी.
बीजेपी सांसद उदित राज ने कहा-
“मैं तकलीफ महसूस कर रहा हूं कि ऐसा बयान क्यों दिया गया है. हमारी सरकार कानून मजबूत करती है और हमारे चीफ मिनिस्टर इसे डाइल्यूट करते हैं. समाज के अंदर फिर से निराशा है. आक्रोश पैदा हो गया है, इसलिए इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए.”
शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ सांसद राम अठावले ने भी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा-
“हो सकता है शिवराज सिंह चौहान ने अपना बयान ऊंची जातियों को खुश करने के लिए दिया हो, लेकिन उन्हें ऐसी कोई बात नहीं बोलनी चाहिए जिससे दलित समुदाय में भय या असुरक्षा की भावना पैदा हो. चौहान को अपना बयान वापस लेना चाहिए, क्योंकि मुख्यमंत्री अगड़े और पिछड़े दोनों के लिए होता है.”
जांच के बाद ही गिरफ्तारी का चौहान ने दिया आदेश
शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, "राज्य में सवर्ण, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति सभी वर्गों के हितों को सुरक्षित रखा जाएगा. इसके लिए एससी/एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तारी जांच के बाद ही होगी. जो भी शिकायत आएगी, उसकी जांच के बाद ही किसी की गिरफ्तारी होगी."
केंद्र ने बदला था SC का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के मामले में बड़ा फैसला सुनाया था और जांच के बाद ही केस दर्ज करने की बात कही थी, मगर केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदल दिया था.
इस अध्यादेश के मुताबिक, एससी/एसटी समाज के किसी शख्स की शिकायत किए जाने पर बिना जांच के मामला दर्ज किया जाएगा. साथ ही आरोपी को 6 महीने के लिए जेल जाएगा. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश में विरोध प्रदर्शन का दौर लगातार जारी है.
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