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पुडुचेरी के बाद अब महाराष्ट्र का सपना देख रही BJP- शिवसेना

शिवसेना ने अपने संपादकीय में लिखा- बीजेपी मार्च-अप्रैल तक महाराष्ट्र सरकार गिराने की कोशिश कर रही है

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पुडुचेरी में कांग्रेस की सरकार गिर गई है, कांग्रेस के 5 विधायकों के इस्तीफे के बाद सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई. इसे लेकर बीजेपी पर कई आरोप लगे. लेकिन अब महाराष्ट्र सरकार को भी चिंता सताने लगी है. शिवसेना ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि पुडुचेरी के बाद अब बीजेपी के निशाने पर महाराष्ट्र है. कहा गया है कि बीजेपी मार्च-अप्रैल तक महाराष्ट्र की सरकार गिराने की कोशिश कर रही है. ये तमाम आरोप शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लगाए हैं.

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सामना के संपादकीय की शुरुआत बीजेपी पर तंज से की गई है. जिसमें लिखा है- "जो बोओगे, वही काटोगे! पुडुचेरी से महाराष्ट्र", संपादकीय में आगे लिखा है,

पुडुचेरी (हमारी पॉन्डिचेरी) केंद्र शासित और छोटा राज्य है. 30 निर्वाचित विधायकों और 3 मनोनीत विधायकों को मिलाकर कुल 33 विधायकों की विधानसभा है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने ये छोटा राज्य भी कांग्रेस से खींच लिया है. पुडुचेरी की कांग्रेस सरकार गिर गई है. मुख्यमंत्री नारायण सामी की सरकार को समर्थन देने वाले पांच विधायकों द्वारा मेंढकों की तरह कूदने के कारण सामी की सरकार अल्पमत में आ गई.

पुडुचेरी के बाद महाराष्ट्र की बारी

पांच विधायकों ने साढ़े चार साल तक कांग्रेस की सरकार को समर्थन दिया. उसमें अण्णाद्रमुक के विधायक भी थे लेकिन अब ये सारे विधायक कमल के फूल के भंवरे बन गए हैं. विधानसभा चुनाव में लगभग चार महीने हैं. तब तक बीजेपी या केंद्र सरकार रुक सकती थी. लेकिन वहां की सरकार को गिराकर दिखाया, ऐसा दंभ भरने के लिए बीजेपी मुक्त हो गई है.

पुडुचेरी की सरकार गिराकर दिखा दिया, अब मार्च-अप्रैल महीने में महाराष्ट्र में ‘ऑपरेशन लोटस’ की शुरुआत करेंगे, बीजेपी के कुछ नेताओं ने ऐसा कहा है. मध्य प्रदेश की सरकार गिराई तब भी ‘अगला वार महाराष्ट्र पर’ की घोषणा की गई थी.
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'राज्यपालों का इस्तेमाल करती है बीजेपी'

सामना में आगे कहा गया है कि, अब पुडुचेरी की बात शुरू है लेकिन जैसे ‘दिल्ली बहुत दूर है’ उसी प्रकार ‘महाराष्ट्र तो बहुत ही दूर है!’ जैसी तस्वीर है. वहीं मध्य प्रदेश और पुडुचेरी में कांग्रेस थी. महाराष्ट्र में शिवसेना है, इसलिए कोई अनावश्यक उठापटक के चक्कर में न पड़ें. पुडुचेरी में सरकार गिराने के लिए जो खटपट और भागदौड़ की गई वो सारा प्रयोग महाराष्ट्र में किया जा चुका है. पुडुचेरी की नायब राज्यपाल किरण बेदी ने सामी की सरकार को ठीक से काम नहीं करने दिया. यह राज्य केंद्रशासित होने के कारण वहां के राज्यपाल को कुछ ज्यादा ही अधिकार होता है. इसलिए मुख्यमंत्री द्वारा जनहित में लिए गए हर निर्णय को किरण बेदी बदलने लगीं. हालांकि, दिल्ली के आदेश के बिना नायब राज्यपाल ऐसा बर्ताव नहीं करेंगे. इस संपादकीय में आगे लिखा है,

राज्यपाल महाराष्ट्र के हों या पुडुचेरी के, उन्हें दिल्ली का आदेश मानते हुए ही उठापटक करनी पड़ती है. राज्यपाल का उपयोग भोजन की थाली के कढ़ी पत्ते जैसा किया जाता है. किरण बेदी को भी कढ़ी पत्ते की तरह उपयोग करके फेंक दिया गया है, महाराष्ट्र में छौंक लगाने वाले ‘भाजीपालों’ को ये बात समझ लेनी चाहिए. केंद्रीय सत्ता का उपयोग करके विरोधियों के राज्य की सरकार को गिराना कुछ लोगों को वीरता का काम लगता होगा तो ये उनकी गलतफहमी है.
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झारखंड में सोरेन के पीछे लगाई सीबीआई

वो आगे लिखते है कि, "एक समय दक्षिण में कांग्रेस का बोलबाला था. आज पुडुचेरी जैसा छोटा-सा राज्य भी उनके हाथ में नहीं रहा. देश में अब पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बची है. महाराष्ट्र और झारखंड में आघाड़ी सरकार में कांग्रेस शामिल है. झारखंड को भी अस्थिर किया जा रहा है. इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पीछे केंद्रीय जांच एजेंसी को लगा दिया गया है. यह माहौल लोकतंत्र के लिए मारक है."

आखिर में महाराष्ट्र पर वार करने की कोशिशों पर शिवसेना ने चेतावनी दी है कि, "‘पुडुचेरी हो गया, अब महाराष्ट्र’ का स्वप्न जो लोग देख रहे हैं वे सपना देखते रहें. महाराष्ट्र का निर्णय यही जनमानस है. उसमें बदलाव नहीं होगा. महाराष्ट्र का मन गंभीर है और इरादे पक्के हैं. मध्य प्रदेश और पुडुचेरी का खेल महाराष्ट्र की माटी में नहीं चल पाएगा. आखिरकार, राजनीति का एक मंत्र महत्वपूर्ण है जो सब पर लागू होता है. ‘जो बोओगे वही काटोगे’ इसका ध्यान हर सत्ताधीश रखे तो ठीक है!"

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