25 साल से तमिलनाडु में लगातार हो रही एक बात का सीधा जवाब अब मिला है- सुपरस्टार रजनीकांत अपनी पार्टी नहीं बनाएंगे. अगले कुछ महीनों में होने जा रहे तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए ये खबर बहुत बड़ी है. 29 दिसंबर को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए रजनीकांत ने राजनीति से दूर रहने का ऐलान कर दिया. लेकिन उन्होंने कहा है कि वो लोगों की सेवा करते रहेंगे. रजनीकांत का कहना है कि किसी पार्टी को बनाने के बाद सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार करना संभव नहीं है. उन्होंने कहा, "मुझे सार्वजनिक सभाओं को संबोधित करना होगा और लाखों लोगों से मिलना होगा." रजनीकांत ने कहा, "इसलिए मैं बहुत अफसोस के साथ कह रहा हूं कि मैं राजनीतिक पार्टी शुरू करने और राजनीति में उतरने की स्थिति में नहीं हूं. इसकी घोषणा करते हुए केवल मैं ही इसके दर्द को जान सकता हूं."
BJP के लिए कैसा है ये ऐलान?
जाहिर है कि रजनीकांत के इस ऐलान से उनके फैंस बेहद निराश होंगे. सिर्फ फैंस ही नहीं तमिलनाडु में अपनी जमीन तलाश रही बीजेपी के लिए भी ये बड़ा फैसला साबित होने जा रहा है. दरDसल, रजनीकांत को तमिलनाडु में बीजेपी के प्लान बी के तौर पर कुछ लोग देखते हैं. ऐसा सोचा जाता रहा है कि रजनीकांत अगर राजनीति में आते तो डीएमके के कुछ आधार वोटों को खींच ले जाते, जिसका बीजेपी को फायदा होता. ऐसे में बीजेपी चाह रही होगी कि रजनीकांत की पार्टी राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर लड़े लेकिन अब ये होने नहीं जा रहा है.इससे पहले भी बीजेपी ने करुणानिधि और जयललिता के बाद राज्य में पैदा हुई सियासी शून्यता को भरने के लिए रजनीकांत पर खूब डोरे डाले थे. लेकिन बाद में पार्टी ने AIADMK के साथ ही जाना बेहतर समझा.
AIDMK की भी दो टूक
अब रजनीकांत ने ऐसे समय में ऐलान किया है जब इससे ठीक 2 दि्न पहले ही AIADMK ने भी बीजेपी को दो टूक कह दिया था-मनमानी नहीं चलेगी. 27 दिसंबर को AIADMK के कैंपेन के पहले चरण के दौरान पार्टी सांसद केपी मुनुसामी ने बीजेपी पर 'निशाना' साधते हुए दो टूक कहा, "बीजेपी को मानना चाहिए कि AIADMK वरिष्ठ सहयोगी है, पार्टी पलानीस्वामी की सीएम पद की उम्मीदवारी को समर्थन दे या फिर वो अपने विकल्पों पर दोबारा सोच ले." ये बयान अहम इसलिए है, क्योंकि मुनुसामी राज्य में चुनाव के डिप्टी कोऑर्डिनेटर भी हैं.
अब भी रजनीकांत से बीजेपी को है आस?
रजनीकांत के राजनीति में नहीं आने के ऐलान के बाद भी बीजेपी की आस खत्म नहीं हुई है. '5 से 80 साल तक की उम्र के फैंस' की ताकत रखने वाले रजनीकांत से पार्टी की कोशिश होगी कि कैसे भी बीजेपी के पक्ष में संकेत हासिल कर ही लिए जाए. बता दें कि RSS विचार एस गुरुमूर्ति रजनीकांत से कई बार मिल चुके हैं और उन्होंने रजनीकांत से गुजारिश की है कि राजनीति से दूर रहने के अपने फैसले पर फिर से विचार करें. ऐसा बताया जाता है कि बीजेपी चाहती है कि रजनीकांत पार्टी की पैरवी करें, इमेज तैयार करें, जिससे द्रविडियन पार्टियों के वोट बैंक को तोड़ा जा सके.
रजनीकांत के फैसले पर गुरूमूर्ति ने अपने ट्वीट में इशारा किया है कि रजनीकांत 1996 वाला वाकया फिर से दोहरा सकते हैं और चुनावों में प्रभाव डाल सकते हैं.
रजनीकांत अपने राजनीति में आने के बारे में इशारा 1990 से देते रहे हैं और आधिकारिक तौर पर उन्होंने 31 दिसंबर 2017 को ही इसका ऐलान किया. तब उन्होंने कहा था-
मैं राजनीति में आऊंगा और पार्टी लॉन्च करूंगा ताकि मैं सिस्टम में रहकर तमिलनाडु के लोगों को सेवा कर सकूं.
अब गुरुमूर्ति जिस 1996 वाले वाकये की बात कर रहे हैं उसे जान लेते हैं
रजनीकांत की पॉलिटिक्स में एंट्री लेने की चर्चा नयी नहीं है बल्कि ये चर्चा 1990 के दशक से ही चल रही है. रजनीकांत ने 2017 में एक्टिव पॉलिटिक्स में उतरने का ऐलान किया था और राज्य की सभी 234 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की बात भी कही थी. कई राजनीतिक विद्वान बताते हैं कि 1996 के चुनाव में तब एक पंचलाइन दी थी कि अगर AIADMK की सत्ता में वापसी होती है तो 'भगवान भी तमिलनाडु को नहीं बचा पाएंगे'. इसके बाद जयललिता की चुनाव में बुरी तरह हार हुई थी. वो खुद अपनी सीट तक हार गई और पार्टी भी 234 में से सिर्फ 4 सीटों पर ही सिमट गई.
ऐसे में बीजेपी को उम्मीद रहेगी कि किसी भी तरह से रजनीकांत बीजेपी की तरफदारी करते हुए दिख जाए या उनकी तरफ से फैंस को ऐसे संकेत मिल जाएं.
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