पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने राफेल डील मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला केन्द्र की ओर से बिना दस्तखत के सौंपे गए नोट में किए गए गलत दावों पर आधारित है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 14 दिसंबर, 2018 के फैसले में 36 राफेल विमानों की खरीदी प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली तमाम जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि 58,000 करोड़ की राफेल डील पर कोई संदेह नहीं है. विमान सौदे की पूरी प्रक्रिया बिल्कुल सही है और राफेल की गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं है.
फैसले के तुरंत बाद मुख्य याचिकाकर्ता और वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने गलत फैसला दिया है. उन्होंने उसी वक्त पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का इशारा कर दिया था.
कांग्रेस भी फैसले के खिलाफ
उधर कांग्रेस पार्टी ने भी राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा था कि
राहुल गांधी ने जो आरोप लगाए हैं वो एकदम सही हैं और स्टैंड करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कई पहलुओं पर गौर ही नहीं किया. प्रधानमंत्री ने राफेल विमान कई गुना ज्यादा महंगी कीमत पर लिए. राफेल सौदे में दसॉ से अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट पार्टनर बनाने की शर्त रखी गई. कई सवालों को जवाब मिले ही नहीं है. इस मामले की जांच जेपीसी के जरिए होनी चाहिए.आनंद शर्मा, नेता कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी जेपीसी की मांग को लगातार दोहरा रही है. कांग्रेस ने एक ऑडियो जारी कर आरोप लगाया है कि पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के पास राफेल डील से जुड़ी फाइलें हैं. उन्होंने खुद इस बात को कुबूल किया है.
जबकि सरकार का कहना है कि कांग्रेस पार्टी बार-बार झूठ बोलने की बजाय इस मुद्दे पर सदन में चर्चा में हिस्सा ले और बहस से ना भागे.
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