चुनाव में हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव 'अज्ञातवास' में चले गए हैं. आरजेडी की हार की समीक्षा बैठक के बाद 29 मई से ही तेजस्वी 'गायब' हैं.
कहां गया आरजेडी का ‘तेज’?
तेजस्वी की गैरमौजूदगी पर उनके विरोधी उनपर निशाना साध रहे हैं और आरजेडी के नेताओं और उनके सहयोगियों के पास इसका कोई जवाब नहीं दिखता.
विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर खूब सक्रिय रहने वाले तेजस्वी ने चमकी बुखार से हुई 160 बच्चों की मौत के बाद ट्वीटर तक पर भी संवेदना के दो शब्द नहीं लिखे.
तेजस्वी के ट्विटर अकाउंट पर गौर किया जाए तो उनका आखिरी ट्वीट 11 जून का है, जिसमें उन्होंने अपने पिता और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी थी.
लगे गुमशुदा के पोस्टर
सवाल उठ रहा है कि आखिर तेजस्वी यादव विपक्ष की भूमिका क्यों नहीं निभा रहे ? मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के जिलों में चमकी बुखार से बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. लेकिन इतने बड़े मुद्दे पर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की चुप्पी लोगों को खल रही है.
हालत यह है कि पिछले दिनों मुजफ्फरपुर के कई स्थानों पर पोस्टर लगाकर तेजस्वी यादव के बारे में जानकारी देने वाले को 5,100 रुपये इनाम देने की घोषणा की गई थी.
ना पार्टी के पास जवाब, ना परिवार के
मौजूदा वक्त में हार की राजनीति में तेजस्वी विपक्ष के चेहरे के रूप में जाने जाते हैं. तेजस्वी यादव को उनके समर्थक बिहार का भावी मुख्यमंत्री कहते हैं. हाल में हुए लोकसभा चुनाव में भी सूबे में वह विपक्ष का चेहरा रह चुके हैं. लेकिन हाल ये है कि 28 जून को बिहार विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरु हुआ लेकिन तेजस्वी नदारद थे.
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और तेजस्वी की मां राबड़ी देवी से जब इस बारे में पूछा गया तो वह भड़क गईं और पत्रकारों से कहा, "तेजस्वी आपके ही घर में हैं."
लेकिन बाद में उन्होंने संभलते हुए कहा:
तेजस्वी जी जल्द ही आएंगे, वह किसी काम में व्यस्त हैं. वह बेकार नहीं बैठे हैं.राबड़ी देवी, आरजेडी नेता
आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र कहते हैं कि राजद नेतृत्वविहीन नहीं है. राजद में कई नेता हैं. उन्होंने दावा किया कि जल्द ही तेजस्वी वापस लौटेंगे.
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक सुरेंद्र किशोर कहते हैं:
विपक्ष लोकसभा चुनाव में मिली हार के सदमे से अब तक उबर नहीं पाया है. यह लोकतंत्र की गलत परंपरा है और यह तभी पनपती है, जब राजनीति में या किसी पार्टी में परिवारवाद हावी होता है. आरजेडी पूरी तरह निजी पार्टी बनकर रह गई है, जिसमें तेजस्वी को नेता चुना गया है. तेजस्वी को किसी बात का डर नहीं है.सुरेंद्र किशोर, राजनीतिक समीक्षक
राजद की सहयोगी पार्टी कांग्रेस भी अब तेजस्वी के 'गायब' होने पर खुलकर नहीं बोल पा रही. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा पूछे जाने पर कहते हैं कि तेजस्वी कहां हैं, यह तो उन्हीं से पूछा जाना चाहिए. जब वह आएंगे, आप लोगों को बता देंगे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्रा हालांकि विपक्ष पर सवाल उठाए जाने को गलत मानते हैं. मिश्रा कहते हैं
आजकल किसी भी बात में विपक्ष से सवाल किया जा रहा है. सवाल तो सरकार से पूछे जाने चाहिए थे, जो पूरी तरह इंसेफलाइटिस को रोकने में नाकाम रही है.प्रेमचंद्र मिश्रा, नेता कांग्रेस
तेजस्वी दो जून को उनकी पार्टी की ओर से आयोजित इफ्तार और लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के मौके पर आयोजित समारोह में भी मौजूद नहीं थे.
बिगड़ती सेहत और घटती सियासी ताकत, लालू यादव क्या कर पाएंगे वापसी?
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