ADVERTISEMENTREMOVE AD

पहले नरम थे,फिर माफी पर अड़े और अभद्रता पर उतर आए सुप्रियोःपत्रकार

टेलीग्राफ अखबार ने अपने संपादक राजगोपाल और बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो के बीच हुई एक बातचीत को छापा था

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

"सत्ता में शामिल किसी को भी, संपादकों को बुलाकर माफी मांगने के लिए नहीं कहना चाहिए", ये कहना है द टेलीग्राफ के संपादक आर राजगोपाल का. 19 सितंबर को जाधवपुर यूनिवर्सिटी में हुए बवाल के बाद अखबार ने राजगोपाल और बीजेपी सांसद बाबुल सुप्रियो के बीच हुई एक बातचीत को छापा था.

द क्विंट से बात करते हुए राजगोपाल ने कहा कि अखबार में प्रकाशित किसी भी खबर या आर्टिकल को लेकर अगर किसी को कोई शिकायत है, तो विवाद दर्ज करवाने की एक तय प्रक्रिया होती है. उन्होंने कहा, "आप या तो एक पत्र लिखते हैं, और अगर अखबार इसे नजरअंदाज करता है, तो आप कानूनी रास्ता अपनाते हैं. लेकिन इसके लिए किसी को फोन करना गलत है."

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'दोस्ताना माफी' मांगने से लेकर चिल्लाने तक

22 सितंबर को टेलीग्राफ में प्रकाशित एक आर्टिकल में कहा गया था कि बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने अखबार के संपादक राजगोपाल को फोन किया. सुप्रियो ने "गलत बयान के लिए जिम्मेदार" बताते हुए माफी की मांग की. इस दौरान, सुप्रियो ने संपादक को अपशब्द कहे और उनका अपमान किया.

राजगोपाल ने द क्विंट को बताया, "उन्होंने कहा कि वह एक 'दोस्ताना माफी' पर चर्चा करना चाहते हैं."

"जब मैंने उनसे पूछा कि माफी किसलिए, तो उन्होंने कहा, क्योंकि हमने छापा था कि उन्होंने एक शख्स को कोहनी मारी है." राजगोपाल ने फिर साफ किया कि अखबार में ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं छपी है.

राजगोपाल ने यह भी बताया कि फोन पर बातचीत के दौरान सुप्रियो शुरू में विनम्र थे, लेकिन बात तब गरमागरमी में तब्दील गई, जब वे लगातार माफी मांगने की जिद करने लगे.

राजगोपाल ने कहा, “ऐसा नहीं था कि केवल मंत्री ही चिल्ला रहे थे. मैं भी चिल्ला रहा था. मुझे बहुत गुस्सा आ गया था, क्योंकि जिस लहजे से आप एक अखबार को फोन करके उनसे माफी मांगने के लिए कहते हैं- चाहे आप विनम्र हों या न हों, इसे केवल प्रभाव डालने की कोशिश कहा जा सकता है.”  

सुप्रियो ने बाद में बातचीत में कहा कि उनकी असली नाराजगी आर्टिकल की हेडलाइन के साथ थी. राजगोपाल ने कहा, “यही वजह है कि मैंने उनसे कहा कि हम फोन पर यह बातचीत नहीं कर सकते. क्योंकि वे गोलपोस्ट बदलते रहेंगे.”

ये भी पढ़ें- बाबुल सुप्रियो के साथ जादवपुर यूनिवर्सिटी में धक्का-मुक्की

0

'जो सत्ता में हैं, वो खबर को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं'

राजगोपाल ने कहा, “उन्होंने मेरे लिए कई अपशब्दों का इस्तेमाल किया, लेकिन मैंने आर्टिकल में व्यक्तिगत अपमान का जिक्र नहीं किया है. आर्टिकल मेरे बारे में नहीं होना चाहिए. यह उस तरीके के बारे में होना चाहिए जो एक जनप्रतिनिधि और पत्रकार के बीच हो रहा था.”  

संपादक ने यह भी कहा कि आर्टिकल में इस बात पर जोर देने की कोशिश की गई थी कि सत्ता में बैठे लोग हर तरह के दांव-पेंच का इस्तेमाल करके खबरों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने आगे बताया, "मुझे नहीं लगता कि इन दांव-पेंचों के आगे झुकना या यहां तक कि उन्हें प्रोत्साहित करना नैतिक पत्रकारिता है. मैं बातचीत को जारी नहीं रखना चाहता था. मैं इसे जल्दी खत्म करना चाहता था.”

सुप्रियो ने अपने ट्वीट में कहा था कि संपादक ने उनसे बात करते समय “गंदी भाषा” का इस्तेमाल किया था. इसके जवाब में राजगोपाल ने कहा, "कुछ लोगों ने कहा है कि वे मुझे बहुत विनम्र व्यक्ति के तौर पर जानते हैं, लेकिन इस बातचीत में मैं बहुत कठोर था. हालांकि, मैंने एक भी गंदे शब्द का इस्तेमाल नहीं किया.”

जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने बातचीत को छापने का फैसला क्यों किया, तो उन्होंने कहा- “क्योंकि एक अखबार को “बिका हुआ” कहना एक पूरे संस्थान पर आरोप लगाना है.”   
ADVERTISEMENTREMOVE AD

उन्होंने कहा, “मैं एक संस्था का प्रतिनिधित्व करता हूं. अगर वह किसी संस्थान के ऊपर आरोप लगा रहे हैं, तो मैं उसे नजरअंदाज नहीं कर सकता. मैंने उनसे उस समय कहा था कि मैं इसे प्रकाशित करूंगा और उन्होंने भी मुझसे कहा था हिम्मत है तो छापिए.''

राजगोपाल के मुताबिक, सुप्रियो ने कहा था कि वह उनकी बातचीत रिकॉर्ड कर रहे हैं, जिस पर राजगोपाल ने उन्हें इसे सार्वजनिक करने के लिए कहा.

बता दें, सुप्रियो ने अभी तक ऐसी किसी भी रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक नहीं किया है. द क्विंट ने रिकॉर्डिंग की एक कॉपी हासिल करने के लिए सुप्रियो से संपर्क साधा है. अगर रिकॉर्डिंग मिल जाती है तो इस आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा.

ये भी पढ़ें - जादवपुर यूनि. वामंथियों का अड्डा, सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत: BJP

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×