उत्तराखंड की पौड़ी रामलीला देश की सबसे पुरानी रामलीलाओं में से एक है. नेहरू से लेकर अटल बिहारी तक, पौड़ी रामलीला का मंच सदियों से इस पहाड़ी प्रदेश की राजनीति का चश्मदीद रहा है. द क्विंट ने रामलीला के रावण और दशरथ को ढूंढ निकाला. चुनावी सरगर्मी के बीच किसी की इलेक्शन ड्यूटी लगी थी तो कोई नुक्कड़ पर राजनीति का दंगल खोले बैठा था.
सवाल- क्या राजनीति भी रामलीला की तरह है? कहानी वही रहती है लेकिन किरदार बदल जाते हैं?
हां, बिल्कुल हर चुनाव में उम्मीदवार बदल जाते हैं, विधायक बदल जाते हैं लेकिन अफसोस राजनीति नहीं बदलती, विकास नहीं होता, पलायन नहीं रुकता.
रामलीला में रावण का किरदार निभाने वाले जगत किशोर बरथावाल कहते हैं कि कहानी वही है, हर चुनाव में उम्मीदवार राम राज्य की बात करते हैं लेकिन हकीकत ये है कि वो कुछ नहीं करते, बस नाटक होता है.
रामलीला के ये एक्टर पौड़ी विधानसबा के 91, 575 वोटरों में से हैं. इन्होंने पौड़ी में गांव के गांव की पलायन होते देखा है. शहर में पलायन बड़ी समस्या है, अबतक 341 गांव बेरोजगारी की समस्या की वजह से शहरों का रुख कर चुके हैं.
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118 साल पुरानी रामलीला के ये अभिनेता अब नई सरकार से रवैये में बदलाव की उम्मीद करते हैं, रामलीला के लिए आर्थिक मदद की आस रखते हैं, ना-उम्मीद नहीं है लेकिन राजनीति से इनकी निराशा साफ झलकती है.
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रिपोर्टिंग: आशुतोष सिंह
प्रोड्यूसर: हंसा मल्होत्रा
एडिटर: मो. इब्राहिम, सुनील गोस्वामी, राहुल सनपुई
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