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अमेरिकन मैगजीन TIME ने PM मोदी को बताया ‘डिवाइडर इन चीफ’

‘टाइम’ में लिखे आर्टिकल पर शुरू हुआ विवाद

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अमेरिकन न्यूज मैगजीन 'टाइम' अपनी एक हेडलाइन को लेकर चर्चा में है. टाइम मैगजीन ने पीएम मोदी को लेकर अपने कवर पेज पर एक हेडलाइन दी है, जिस पर काफी विवाद होने की संभावना है. मैगजीन ने कवर पेज पर पीएम मोदी की फोटो के साथ 'इंडियाज डिवाइडर इन चीफ' (भारत को तोड़ने वाला प्रमुख) लिखा है.

इसके अलावा टाइम की वेबसाइट पर इस आर्टिकल को पब्लिश भी किया गया है. जिसमें पीएम मोदी पर सांप्रदायिक माहौल को खराब करने के आरोप लगाए गए हैं.

इस हेडलाइन को देने वाले पत्रकार का नाम आतिश तसीर है. उन्होंने अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी इसी तरह की हेडलाइन देते हुए लिखा है, ‘क्या दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को मोदी सरकार के पांच साल और झेलने होंगे?’

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मोदी की नेहरू से तुलना

टाइम के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर छपे आर्टिकल में पीएम मोदी की जवाहरलाल नेहरू से तुलना की गई है. इसमें लिखा गया है कि जवाहर लाल नेहरू ने देश में सभी को बराबरी का हक देते हुए कहा कि यहां हर धर्म के लोगों के लिए जगह होगी. नेहरू सेक्युलर विचारधारा के थे. लेकिन पीएम मोदी ने इन पांच सालों में सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश की.

टाइम ने फिलहाल अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इस आर्टिकल को पब्लिश किया है, इसके बाद 20 मई को जारी होने वाली टाइम मैगजीन के अंक में ये कवर स्टोरी के तौर पर ली जाएगी, फिलहाल टाइम ने इसकी कवर फोटो वेबसाइट पर जारी की है
‘टाइम’ में लिखे आर्टिकल पर शुरू हुआ विवाद

कांग्रेस मुक्त भारत चाहते हैं मोदी

टाइम मैगजीन के इस आर्टिकल में पीएम मोदी पर देश के फाउंडिंग फादर्स और बड़े पदों पर रहने वाले लोगों पर भी हमला बोलने का आरोप लगाया गया है. इसमें लिखा है, मोदी की जीत के बाद एक शक पैदा हुआ, जब उन्होंने कई सम्मानित लोगों पर हमला बोलना शुरू किया. उन्होंने नेहरूवाद और समाजवादी विचारधारा पर हमला बोला. इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस मुक्त भारत की भी बात की.

आर्टिकल में गुजरात दंगों का भी जिक्र किया गया है. इसमें लिखा है, मोदी ने हर क्रूरता भरे दंगों के बाद चुप्पी साधी रखी. जैसे साल 2002 में उनके होम स्टेट गुजरात में एक साथ लगभग एक हजार लोगों को मार दिया गया, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग थे. इस सबसे उन्होंने यही साबित किया है कि वो भीड़तंत्र को बढ़ावा देते हैं.

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चुनावी माहौल में टाइम जैसे बड़ी मैगजीन का यह आर्टिकल सियासी तूफान खड़ा कर सकता है. फिलहाल इसे लेकर बीजेपी के किसी भी नेता की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं आया है.

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