योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर लगातार बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं. राजभर ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय के एक बयान पर पलटवार करते हुए चुनौती दी कि पांडेय को कार्रवाई करने से रोक कौन रहा है. उन्होंने ये भी साफ किया कि वो भविष्य में बीजेपी के साथ ही रहेंगे. राजभर ने ये बातें बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के बयान पर प्रतिक्रिया दी. पांडेय ने रविवार को राजभर का नाम लिए बिना कहा था कि वो मंत्री पद का दायित्व निभाएं और संयमित भाषा का इस्तेमाल करें.
किसने कार्रवाई करने से रोका है
इस बयान पर राजभर ने कहा है कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को कार्रवाई करने से किसी ने रोका है क्या? उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के बयान को नासमझी का बयान करार दिया. दरअसल, पांडेय ने रविवार को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में कहा था, ''हम देश की सबसे बड़ी पार्टी हैं. सहयोगी दलों से सहयोग और सामंजस्य बनाकर चलेंगे. विषय जेहन में है. व्यक्तिगत तौर पर समझाने की कोशिश हुई है. हमारी नीति रही है कि सहयोगी को बातचीत के जरिए संभाल लेंगे.''
उनसे सवाल किया गया था कि बीजेपी खुद को अनुशासित पार्टी मानती है लेकिन प्रदेश में उसके सांसद, विधायक और मंत्री सरकार और पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं और तमाम आरोप लगा रहे हैं.
'सभी सहयोगी हमारे साथ हैं'
पांडेय ने कहा कि ''सभी सहयोगी हमारे साथ हैं. एक सज्जन आदतवश ऐसे कर रहे हैं. उनसे आग्रह है कि वो मंत्री पद का दायित्व निभाएं और संयमित भाषा का इस्तेमाल करें.'' उन्होंने कहा था कि वो उचित समय आने पर जो भी कदम उठाने की जरूरत होगी, पार्टी उठाएगी. बता दें कि हाल ही में प्रदेश सरकार के कुछ मंत्रियों, विधायकों और सांसदों के बयानों से विवाद उठ खड़ा हुआ है. राजभर भी समय-समय पर अपने बयानों से सरकार के लिए असहज हालात पैदा करते रहे हैं.
राजभर ने कहा कि वो सरकार में रहकर पिछड़े वर्ग, गरीब और दलित समाज के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहेंगे. उन्होंने कहा कि जिस तरह भाई—भाई में लड़ाई होती है, उसी तरह उनकी लड़ाई बीजेपी से है. उन्होंने एक सवाल के जबाब में साफ किया कि वो बीजेपी के साथ ही भविष्य में भी रहेंगे और उनका गठबंधन 2024 तक रहेगा.ये पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से उनकी बातचीत बेनतीजा रही है, राजभर ने कहा कि शाह से बातचीत के बाद भी अभी पार्टी की तरफ से केवल बातें कही जा रही हैं. अभी तक पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को तीन श्रेणी में विभाजित करने के लिये कोई कदम नहीं उठाया गया.
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