पश्चिम बंगाल में सेना की तैनाती को लेकर गर्म हुआ मुद्दा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. शुक्रवार को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखकर सेना को राजनीति में घसीटने पर दुख जताया था. उसके जवाब में ममता बनर्जी ने मनोहर पर्रिकर के चिट्ठी की भाषा पर ही सवाल करते हुए कहा है कि “उन्हें यह भी नहीं पता कि एक मुख्यमंत्री को खत कैसे लिखते हैं.”
मैंने सरकार की नीति के बारे में कहा था, ना कि सेना के बारे में. मैंने अपने लंबे राजनीतिक और प्रशासनिक जीवन में राजनीतिक बदले के लिए सेना का ऐसा दुरुपयोग कभी नहीं देखा.ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
ममता ने दो पन्ने के अपने जवाब में लिखा है कि हम अपने सेना के काम और राष्ट्रीयता का पूरा सम्मान करते हैं. लेकिन सेना को राजनीति में घसीटने से उनके मनोबल पर असर पड़ा है.
ममता ने लिखा है मैं आपके आरोपों का विरोध करती हूं. टोल प्लाजा का डाटा एनएचएआई और दूसरी एजेंसियों के पास उपलब्ध है और इस तरह की एक्सरसाइज टाली जा सकती थी. आपकी सरकार ने कोलकाता पुलिस की बात भी नहीं सुनी. इससे पहले भी हमने पूरा सहयोग किया है, लेकिन इस बार डिफेंस मिनिस्ट्री ने अपनी तरफ से ऐसा फैसला लिया. आपकी मिनिस्ट्री ने सिविल एरिया में सेना को तैनात करने के लिए राज्य की अनुमति नहीं ली थी. इस तरह की एक्सरसाइज के लिए राज्य की लिखित अनुमित लेना जरूरी है.
मनोहर पर्रिकर ने क्या कहा था चिट्ठी में
शुक्रवार को मनोहर पर्रिकर ने ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखकर कहा था
भारतीय सेना सबसे ज्यादा अनुशासन का पालन करने वाली संस्था है. साथ ही सेना देश की सुरक्षा के लिए समर्पित है. देश अपनी सेना के काम और अराजनीतिक व्यवहार पर गर्व करती है. और ऐसे में आपके आरोप की वजह से सेना का मनोबल गिरने का डर है. ऐसी बातों की एक मंझे हुए नेता और आप जैसे अनुभवी लोगों से उम्मीद नहीं की जा सकती है.
क्या है पूरा मामला
हाल ही में पश्चिम बंगाल में कुछ इलाकों के टोल प्लाजा पर सेना की तैनाती हुई. पश्चिम बंगाल सरकार को जानकारी दिए बगैर सेना की तैनाती होने पर ममता बनर्जी नाराज हो कर सचिवालय में धरने पर बैठ गई थीं. बनर्जी ने सेना की तैनाती टोल प्लाजा पर किए जाने को आपातकाल से जोड़ा था.
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