23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन है और उनके जन्मदिन के मौके पर हर बार की तरह सियासत जारी है. पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बृहस्पतिवार को कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने हिंदू महासभा की ‘विभाजनकारी राजनीति’ का विरोध किया था और वह धर्मनिरपेक्ष तथा एकजुट भारत की खातिर लड़े थे.
इस पर हिंदू महासभा ने कहा कि ममता की हिम्मत कैसे हुई लाला लाजपत राय की हिंदू महासभा को बदनाम करने की.
सच्चाई ये है कि हिंदू महासभा और सावरकर ने नेताजी से आजाद हिंद फौज की स्थापना करने के लिए सिफारिश की थी. हम दोनों इस देश से प्यार करते हैं. आज ममता बनर्जी के पास लड़ने के सभी रास्ते बंद हो गए हैं तो वो इतना नीचे गिर गई हैं.चक्रपाणि, हिंदू महासभा
ममता ने कहा क्या है?
दरअसल, ममता बनर्जी ने कहा कि बोस ने अपने संघर्ष के जरिए यह संदेश भेजा कि सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए और एकजुट भारत के लिए लड़ना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. ममता बनर्जी ने सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘‘नेताजी ने हिंदू महासभा की विभाजनकारी राजनीति का विरोध किया था. वह धर्मनिरपेक्ष भारत के लिए लड़े. लेकिन अब धर्मनिरपेक्षता का पालन करने वालों को बाहर करने के प्रयास किए जा रहे हैं.’’ उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि नेताजी के लापता होने के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए सरकार गंभीर नहीं है.
बनर्जी ने कहा, ‘‘उन्होंने (केंद्र) केवल कुछ ही गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किया है. वास्तविकता में क्या हुआ था, यह पता लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए. यह शर्मिंदगी की बात है कि 70 साल से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद हम यह नहीं जान पाए हैं कि उनके साथ क्या हुआ था.’’
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