कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी में बड़े बदलाव करते हुए कोषाध्यक्ष का पद वरिष्ठ नेता अहमद पटेल को सौंप दिया है. पटेल मोतीलाल वोरा की जगह ये अहम पद संभालेंगे.पार्टी के ‘ओल्ड गार्ड’ की ओवरहॉलिंग करते हुए राहुल गांधी ने और भी कई अहम पदों में फेरबदल किए हैं.
अहमद पटेल ही क्यों?
अहमद पटेल उर्फ अहमद भाई उर्फ एपी राज्यसभा के सांसद हैं और करीब 2 दशक के बाद फिर से कांग्रेस पार्टी में अहम पद पर लौटे हैं. इससे पहले वो साल 1996 से 2000 तक भी पार्टी के कोषाध्यक्ष रह चुके हैं. खास बात है कि उन्हें 69वें जन्मदिन पर राहुल गांधी ने ये तोहफा दिया है.
इस बीच पटेल यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के पॉलिटिक्ल सेक्रेट्री की पावरफुल पोस्ट पर रहे. राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से पहले उन्हें कांग्रेस का दूसरा (सोनिया के बाद) सबसे ताकतवर नेता माना जाता था. साल 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता तक पहुंचाने में अहमद पटेल की बड़ी भूमिका रही.
खास बात है कि दिसंबर 2017 में राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद ये सवाल उठने लगा कि राहुल की नई टीम में अहमद पटेल का रोल क्या होगा? उनके साइडलाइन होने की चर्चाएं भी 24, अकबर रोड (कांग्रेस हेडक्वार्टर, दिल्ली) पर तेज हुईं. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
संकटमोचक हैं अहमद पटेल
पिछले कुछ महीनों में राहुल गांधी समेत कांग्रेस के तमाम नेता ये कहते नजर आए हैं कि पार्टी इलेक्शन फंड की कमी से जूझ रही है. हालत ये थी कि कई राज्यों को पार्टी चलाने का फंड तक दिल्ली हेडक्वार्टर से नहीं भेजा गया.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016-17 में बीजेपी ने 1,034 करोड़ की फंडिंग की घोषणा की तो कांग्रेस ने सिर्फ 225 करोड़ की. ऐसे में पार्टी को फिर ‘संकटमोचक’ अहमद पटेल की याद आई.
जुलाई 2018 में राहुल गांधी की नई कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) से जनार्दन द्विवेदी और दिग्विजय सिंह सरीखे कई वरिष्ठों के नाम गायब रहे लेकिन अहमद पटेल का नाम ऊपरी सदस्यों में था. और, अब उन्हें कोषाध्यक्ष का अहम पद मिलने से ये साबित हो गया है कि अहमद पटेल की कांग्रेस पार्टी में खास अहमियत है.
जानकारों का मानना है कि बीजेपी के खिलाफ 2019 में करो या मरो की लड़ाई लड़ने वाली कांग्रेस पार्टी को फंडिंग से लेकर रणनीति और नेटवर्किंग तक अहमद पटेल की जरूरत पड़ने वाली है. ऐसे में उनका प्राइम पोस्ट पर रहना कोई हैरानी की बात नहीं.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक पटेल ने फंडिंग के लिए डोर-डू-डोर कलेक्शन के अलावा पार्टी कार्यकर्ताओं से पैसा जुटाने का प्लान भी बनाया है जिसकी फिलहाल कांग्रेस पार्टी को सख्त जरूरत है.
‘ओल्ड गार्ड’ की ओवरहॉलिंग
पटेल के अलावा कई और बुजुर्ग नेताओं के जिम्मेदारियों में फेरबदल किए गए हैं.
- मोतीलाल वोरा- महासचिव (प्रशासन)
- आनंद शर्मा- विदेश मामलों के विभाग का अध्यक्ष
- लुईजिन्हो फ्लेरियो- नॉर्थ-ईस्ट (असम को छोड़कर) का प्रभारी महासचिव
- मीरा कुमार- CWC में स्थाई आमंत्रित सदस्य
कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद संभालने के बाद राहुल गांधी कई मौकों पर कह चुके हैं कि वो युवाओं को उत्साह को बुजुर्गों के तजुर्बें के साथ ही लेकर चलना चाहते हैं. पार्टी में ताजा फेरबदल उनकी इस बात की तस्दीक करते हैं.
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